संतोष कुमार सिंह |
हिन्दी साहित्य पर यदि ठीक से विचार किया जाए तो स्पष्ट होता है कि हिन्दी के तमाम रचनाकार ऐसे हैं जिन्होंने हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में अपना बहुत बड़ा योगदान तो दिया है, किन्तु उनकी चर्चा, उनका मूल्यांकन बहुत कम हुआ। ऐसे ही विपुल साहित्य सृजन करने वाले प्रबुद्ध रचनाकार हैं आदरणीय सन्तोष कुमार सिंह जी। हाथरस जनपद (उ प्र) के एक गाँव ततारपुर में 8 जून 1951 को जन्मे संतोष जी इंडियन आॅयल कारपोरेशन लि., मथुरा में उत्पादन अभियन्ता पद से सेवानिवृति के बाद अब स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। आप गीत, कहानी, गजल, बाल कहानी, बाल कविताएं/गीत, हाइकु कविताएॅं, हास्य-व्यंग्य आदि विधाओं में सक्रिय हैं और आपकी रचनाओं का देश-भर की कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन एवं आकाशवाणी, मथुरा, नियो टीवी, मथुरा, जैन टीवी एवं साधना टीवी, दिल्ली से प्रसारण हो चुका है। प्रकाशित साहित्य : प्रौढ़़ साहित्य- परमवीर प्रताप (खण्ड काव्य), सुन रे मीत नारी के गीत (गीत संकलन), आलोक स्मृति (शोक काव्य), आस्था के दीप (हाइकु कवितायें), आइना सच कहे (हाइकु कवितायें), अछूत कन्या (कहानी संग्रह), द्वादस ज्योर्तिलिंग कथा (शिव गीत कथा ), नीति शतक काव्यानुवाद (संस्कृत से हिन्दी में अनूदित), हाइकु गंगा (हाइकु संग्रह), क्या होता है थाना (हास्य व्यंग्य संग्रह), गाँव कहीं पर खो गए (गीत संग्रह), सुरक्षा शतक (कुण्डली छद काव्य संग्रह), मालनामा (लम्बी हास्य कविता), अनुरंजिका (गीत संग्रह), जड़ी-बूटी चिकित्सा शतक (आयुर्वेद चिकित्सा), अक्ल बड़ी या भैंस (हास्य व्यंग्य संग्रह), अमर शहीद सरदार भगतसिंह : एक जीवन गाथा, अद्भुत किन्तु सत्य (विश्व की रोचक जानकारियाँ), परत-दर-परत सच (गजल संग्रह), हाइकु सुगंधा (हाइकु कविताएं); बाल साहित्य- पेड़ का दर्द (पर्यावरण शिक्षा बाल कविताएं), पर्यावरण की कहानी ददा जी की जुबानी, हाथी गया स्कूल (बाल कविताएं), बन्दर का अद्भुत न्याय (बाल कविताएं), नन्हे बच्चे प्यारे गीत (बाल कविताएं), गीत गुंजन (बाल कविताएं), गीत सुधा (स्वास्थ्य पर आधारित बाल कविताएं), कविताएं विज्ञान की (भौतिक विज्ञान पर बाल कविताएं), मन भावन बाल कहानियाँ, फिसला पैर गिरा हाथी (शिशु कविताएं), बोलो बच्चो मीठे बोल, भारत की महान विभूतियाँ (भाग एक), भारत की महान विभूतियाँ (भाग दो), भारत की महान विभूतियाँ (भाग तीन), मन भावन बालगीत (बालगीत), हाथी पहुँचा सूट सिलाने (शिशु कविताएं)। सम्पादन : तीन पुस्तकों का सम्पादन तथा दो पुस्तकों में सम्पादन सहयोग। पुरस्कार/ सम्मान : पं रामनारायण शास्त्री अखिल भारतीय कहानी पुरस्कार, इंदौर (मप्र), ‘कवि श्री’ सम्मान, अखिल भारतीय कवि सभा, दिल्ली, इंडियन आॅयल मुख्यालय द्वारा निबन्धों पर कई बार प्रथम पुरस्कार, श्री हरिदास बजाज हास्य पुरस्कार, मथुरा, ‘चन्द्रबरदाई सम्मान’ क्षत्रिय सेवा समिति, गाजियाबाद, बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र, भोपाल, संस्कार भारती, मथुरा द्वारा ‘साहित्य प्रतिभा सम्मान’ आदि। सम्पर्क: ‘चित्रनिकेतन’ बी 45, मोतीकुंज एक्सटेंशन, मथुरा-281001 (उ.प्र.), ई-मेल : ksantoshb45@gmail.com। आपके पच्चीस हाइकु यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ:-
गूगल सर्च इंजन से साभार |
बिहँस उठे भृंग
सुनायें छंद।
2. बुझने लगे
ईष्र्या भरी हवा से
आस्था के दीप।
3. दलाली खुली
राजनीति की कुर्सी
पृथ्वी-सी हिली।
4. दुःखी हो गात
अमावस-सी लगे
चाँदनी रात।
5. सो गया बेटा
पेट भर कुत्ते का
भूखा था बाप।
6. कोई गरीब
जब सर उठाता
भूकंप आता।
7. शिव हैं वृक्ष
प्रदूषण का विष
पीते हैं नित्य।
8. हर स्थिति में
बढ़ती रहे खुशी
हरी दूब-सी।
9. नैनों ने कहा
पिताजी ने समझा
माँ तो चुप थी।
10. रँभाती रही
कसाइयों के घर
गाय-सी बहू।
11. हर युद्ध में
जीते कोई भी पक्ष
हारे इंसान।
12. कर लो शोध
स्वर्ग से भी सुन्दर
है माँ की गोद।
13. गलती सदा
समय की धूप से
दुःखों की वर्फ।
14. कुर्सियाँ घेरे
बैठे हैं संसद में
कुछ लुटेरे।
15. अति का सब्र
लाश लिए गोदी में
बैठी हैं कब्र।
16. जायदाद-सा
किया है बँटवारा
माँ-बाप का।
17. धूप को देख
हो गई पानी-पानी
शर्म से वर्फ।
18. दिखी है यार
कामिनी-सी कमर
नदी की धार।
19. गीत गा दौड़े
कलियों को रिझाने
मस्ताने भोंरे।
20. सत्य है शोध
नष्ट करें विवेक
बेकाबू क्रोध।
21. दुष्टों के साथ
कमल की तरह
मैं रहा साफ।
22. बेलें कब से
प्रेयसी-सी लिपटीं
तरु तन से।
23. है अनमोल
ममता मिले न माँ
सिक्कों से तोल।
24. लाल जोड़े में
दुल्हिन-सी लिपटी
गुलमोहर।
25. माँ हुई राख
फिर भी न आया
कोख से जाया।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-02-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2249 पर दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 11 फरवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंउम्दा अभिव्यक्ति आदरणीय
जवाब देंहटाएंउम्दा अभिव्यक्ति आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सार्थक चिंतन कराते हाइकू ...
जवाब देंहटाएंbahut sundar santosh jii badhaaii
जवाब देंहटाएंsurendra varma
bhut badhiya likha hai apne
जवाब देंहटाएंself book publisher india