मुरादाबाद के चार गीतकार
शचीन्द्र भटनागर
जन्म: 28 सितम्बर 1935 कृतियाँ: खंड-खंड चांदनी, अखंडित अस्मिता, धी आखर प्रेम के (गीत-संग्रह) आदि प्रकाशन : विभिन्न समाचार पत्रों, साहित्यिक पत्रिकाओं तथा समवेत संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित संपर्क: द्वारा श्री अमित भटनागर, कचहरी रोड, मुरादाबाद-244001 (उ०प्र०)
सम्पर्कभाष सं०: 09368356504 |
दर्पण मन मेरे
यहां बहुत मैले प्रतिबिंब हैं चलो चलें और कहीं दर्पण मन मेरे कैसे पहचानी पगडंडी को छोड़ें कैसे गंधों से संबंध यहां जोड़ें दूर तलक फैले वीरानों में कैसे हम क्रूर बबूलों से अपना रिश्ता जोड़ें झुलसाते अणुओं की गोद से चलो चलें और कहीं चंदन मन मेरे यहां स्वार्थ ही है संबंधों की सीमा एक वृत्त तक है स्वच्छंदों की सीमा ह्रदय की नहीं मात्र अधरों की बातें हैं सारे के सारे अनुबंधों की सीमा ऐसी सीमाओं को तोड़कर चलो चलें और कहीं उन्मन मन मेरे |
राजेंद्रमोहन शर्मा 'श्रंग'
जन्म: 12 जून 1934
कृतियाँ: अर्चना के गीत (गीत-संग्रह), मैंने कब ये गीत लिखे हैं (गीत-संग्रह), शकुंतला (प्रबंध काव्य ) आदि प्रकाशन : विभिन्न समाचार पत्रों, साहित्यिक पत्रिकाओं तथा समवेत संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित संपर्क: 77 हनुमान नगर, लाइन पार, मुरादाबाद-244001 (उ०प्र०)
सम्पर्कभाष सं०: 09797528271
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वंदना के बोल
अर्चना के गीत कुछ लेकर मैं तुम्हारे द्वार आया हूँ सोहती तंत्री करों में और पुस्तक धारणी तुम हंस है वाहन तुम्हारा बुद्धि ज्ञान प्रदायिनी तुम अर्चना को कुछ नहीं लाया भाव का नैवेद्य लाया हूँ मैं तुम्हारा क्षुद्र बालक अर्चना मैं क्या करूंगा तुम स्वयं वाणी जगत की वंदना मैं क्या करूंगा गीत की माला करों में ले भाव में भर प्यार लाया हूँ विश्व बढ़ता जा रहा है नाश के पथ पर निरंतर ज्योति दो ज्योतिर्मयी सदभावना भी हो परस्पर मांगने निर्माण का मैं पथ वंदना के बोल लाया हूं |
४ जून १९७९ को इटावा (उ.प्र.) के एक छोटे से गाँव चंदपुरा में जन्मे अवनीश सिंह चौहान के आलेख, समीक्षाएँ, साक्षात्कार, कहानियाँ, कविताएँ एवं नवगीत देश-विदेश की अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित। साप्ताहिक पत्र ‘प्रेस मेन’, भोपाल, म०प्र० के ‘युवा गीतकार अंक’ (३० मई, २००९) तथा ‘मुरादाबाद जनपद के प्रतिनिधि रचनाकार’ (२०१०) में आपके गीत संकलित। एक दर्जन हिंदी एवं अँग्रेजी पुस्तकों का लेखन, सह लेखन एवं संपादन। अंग्रेजी नाटककार विलियम शेक्सपियर द्वारा विरचित दुखान्त नाटक ‘किंग लियर’ का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित। आयरलेंड की कवयित्री मेरी शाइन द्वारा सम्पादित अंग्रेजी कविता संग्रह 'ए स्ट्रिंग ऑफ वर्ड्स' में आपकी रचनाएँ संकलित। आपका एक नवगीत संग्रह, एक कहानी संग्रह तथा एक गीत, कविता और कहानी से संदर्भित समीक्षकीय आलेखों का संग्रह प्रकाशनाधीन। प्रख्यात गीतकार, आलोचक, संपादक श्री दिनेश सिंहजी (रायबरेली, उ०प्र०) की चर्चित एवं स्थापित कविता-पत्रिका ‘नये-पुराने’ (अनियतकालिक) के कार्यकारी संपादक पद पर अवैतनिक कार्यरत। वेब पत्रिका ‘गीत-पहल’ के समन्वयक एवं सम्पादक । आपके साहित्यिक अवदान के परिप्रेक्ष्य में आपको 'ब्रजेश शुक्ल स्मृति साहित्य साधक सम्मान' (वर्ष २००९ ), 'हिंदी साहित्य मर्मज्ञ सम्मान' (वर्ष २०१०) तथा 'प्रथम पुरुष सम्मान' (२०१०) से अलंकृत किया जा चुका है। ब्लाग: पूर्वाभास ई-मेल: abnishsinghchauhan@gmail.com |
चरण पखार गहूँ मैं
मेरी कोशिश
सूखी नदिया में - बन नीर बहूँ मैं बह पाऊँ उन राहों पर भी जिनमें कंटक बिखरे तोड़ सकूँ चट्टानों को भी गड़ी हुई जो गहरे रत्न, जवाहिर मुझसे जन्में इतना गहन बनू मैं थके हुए को हर प्यासे को चलकर जीवन-जल दूँ दबे और कुचले पौधों को हरा-भरा नव-दल दूँ हर विपदा में - चिंता में सबके साथ दहूँ मैं नाव चले तो मुझ पर ऐसी दोनों तीर मिलाए जहाँ-जहाँ पर रेत अड़ी है मेरी धार बहाए ऊसर-बंजर तक जा-जाकर चरण पखार गहूँ मैं |
विवेक 'निर्मल' जन्म: 3 अप्रैल 1966
कृति: सबके अटल प्रकाशन : विभिन्न समाचार पत्रों, साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित संपर्क: BS-17/18, दीनदयाल नगर, मुरादाबाद-244001 (उ०प्र०)
सम्पर्कभाष सं०: ०९८३७६३६६७९
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बरसात
बिन बताए मेघ आए हो गई बरसात खेत चहके, फूल महके संग पी मनमोर बहके मुस्कुरा भूगर्भ में कुछ बो गई बरसात ये हवाएं, गुनगुनाएं बिजलियां रस्ता दिखाएं किन्तु रेगिस्तान में क्यों खो गई बरसात इंद्रधनुषी रंग बिखरे पर्वतों के रूप निखरे मैल तेरे मेरे मन का धो गई बरसात |
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