मुरादाबाद के कुछ गीतकार
गीत-नवगीत
नया साल
नया साल आया है
घर भर के चेहरों की
झुर्रियां बढ़ाता
जैसे कोई उलझा-सा
सवाल आया है
सूखता हुआ पानी
पोखर का, तालों का
किस्सा बतलाता
बढ़ते हुए दलालों का
आदमकद मछली के लिए नाईलोन का
मछुआरा लिए जाल आया है
पुश्तैनी कर्जे-सा
पीढ़ी-दर-पीढ़ी
चढ़ता बाज़ार भाव
सीढ़ी-दर-सीढ़ी
गांधी का वंशज चांटे खाकर
सहलाता हुआ गाल आया है
मां, बेटी, बहनों-सी
मंत्र-प्रार्थनाएं
अग्निस्नान करतीं हैं
आएतें, ऋचाएं
लगता है अपने ही बेटे का सर लेकर
फिर कोई ढका थाल आया है
संपर्क: ‘हरसिंगार’,ब/म- 48, नवीन नगर, काँठ रोड, मुरादाबाद-244001 (उ०प्र०)
सम्पर्कभाषसं०:9456689998, 0591-2450733 | बिकने का चलन
बिकने के चलन में जहां चाहतें उभारों में हैं हम उन बाजारों में हैं बेटे का प्यार बिका है
मां का सत्कार बिका है जीवनसाथी का पल-पल सोलह श्रंगार बिका है विवश क्रय करें जो पीड़ा ऐसे व्यवहारों में हैं सन्दर्भों की खामी है सपनों की नीलामी है अवगाहन प्रीत-मीत का परिभाषित नाकामी है बस अपमानित होने को सिलसिले कतारों में हैं जो चाहे और किसी को
साथ जिए और किसी को चित्र सजाये रावण का और मनाये शबरी को इसी मुखोटा युग में जो कुछ गवाह नारों में हैं
संपर्क: मकान.8.।, हिमगिरि कॉलोनी, काँठ रोड,मुरादाबाद-244001 (उ0प्र0)
पत्राचार का पता: पोस्ट बॉक्स-311, मुरादाबाद-244001 (उ0प्र0))
सम्पर्कभाष सं०: 097194-47843
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योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
उगते बहुत तनाव
तन के भीतर बसा हुआ है
मन का भी इक गाँव
बेशक छोटा है लेकिन यह
झांकी जैसा है
जिसमें अपनेपन से बढ़कर
बड़ा न पैसा है
यहां सिर्फ सपने ही जीते
जब-जब हुए चुनाव
चौपालों पर आकर यादें
जमकर बतियाती
हंसी-ठिठोली करतीं सुख-दुख
गीतों में गातीं
मांटी का फसलों से जैसा
इनका रहा जुड़ाव
चंचलता की नदी पास में
इसके बहती है
जो जीवन को नई ताज़गी
देती रहती है
बाढ़ कभी जब आती इसमें
उगते बहुत तनाव
संपर्क: S-49, सचिन स्वीट्स के पीछे, दीनदयाल नगर फेज़-I, काँठ रोड, मुरादाबाद-244001 (उ०प्र०)
सम्पर्कभाष सं०: 094128-05981
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ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग'
बीत रहे हैं दिवस हमारे
बीत रहे हैं दिवस हमारे दुख की कजली गाते कोई सपना पांव चलेगा ऐसी आस लगाते पंखहीन दिन मुर्दा रातें बरबस काट रहे हैं ठूंठ बने हम टंगे हवा में खुद को बाँट रहे हैं जाने कब सूरज निकलेगा सोच-सोच दुखियाते हम मजहब के वस्त्र पहनकर करते ऊंची बातें बिछी दूब की हरियाली से करते रहते घातें धूप-छांह का सफ़र ज़िन्दगी हम यह समझ न पाते आवा जैसी सुलग रही है भीतर घनी उदासी बिना छांह के दुखी ज़िन्दगी है प्यासी की प्यासी हारे हुए जुआरी जैसे हम हर पल पछताते
संपर्क: MMIGB-23, रामगंगा विहार, फेस-1, मुरादाबाद-244001 (उ०प्र०)
सम्पर्कभाष सं०: 0983746889 |
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