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बुधवार, 12 जनवरी 2011

मुरादाबाद के कुछ दोहाकार — अवनीश सिंह चौहान

मुरादाबाद के कुछ दोहाकार

महेश दिवाकर 

जन्म: 1 जनवरी 1950

कृतियाँ: कविता, मुक्तक, समीक्षा-शोध, खंडकाव्य, साक्षात्कार आदि विधाओं में 16 पुस्तकें प्रकाशित

प्रकाशन : विभिन्न समाचार पत्रों, साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित 

संपर्क:
मिलानविहार,दिल्ली रोड, मुरादाबाद-244 001 उत्तरप्रदेश, भारत

सम्पर्कभाष सं०: 09927383777
सपना यह मन में बसा 
                                                                                                             
सपना यह मन में बसा, हो अनुपम परिवार।
जहां ईर्ष्या-द्वेष का, पैदा हो न विकार॥

भांति-भांति के हैं यहां, दुनियां में इंसान।
निज तन पर पीड़ा सहें, पर बाटें मुस्कान॥

हर घटना के मूल में, जीवन का विस्तार।
सखे! मर्म तुम जानते, हम तो निपट गंवार ॥

अब तो होते ही नहीं, संतों के दीदार।
मनुज-मनुज के बीच में, इसीलिये दीवार॥

रहता सबके साथ हूं, रहता सबके बीच।
घर में ऐसे रह रहा, ज्यों पानी में कींच॥
अम्बरीश कुमार गर्ग 

जन्म: 18 दिसंबर 1953

कृतियाँ: आदमी का सच (काव्य-संग्रह)

प्रकाशन: विभिन्न समाचार पत्रों, साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित 

संपर्क:
आर्यावर्त , खुशहालपुर मार्ग, मुरादाबाद-244 001 उत्तरप्रदेश, भारत

सम्पर्कभाष सं०: 09897038128

टूट गया परिवार 

रचना-रचना से लड़ी, आहत रचनाकार
अहंकार टूटा नहीं, टूट गया परिवार 

कौन ख़ता मैंने करी, दिया मुझे दुत्कार
में तो सबका ही सदा, करता हूं सत्कार

जाति पूछकर क्यों सभी, हो जाते गंभीर
जैसे सीने मै कहीं, चुभा दिया हो तीर 

कौन विवशता थी कहो, कब थे हम लाचार
एक मनुजता तोड़कर , जाति बना दीं चार

एक वृक्ष की टहनियां, एक वृक्ष के पात
फिर अछूत कैसे हुआ, बस मेरा ही गात

रघुराज सिंह निश्चल

जन्म:17 जुलाई 1942

कृतियाँ:  गीत, ग़ज़ल, कविता, मुक्तक, आदि विधाओं में रचंयें प्रकाशित 

प्रकाशन : विभिन्न समाचार पत्रों, साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित 

संपर्क:
'राजमंदिर', 
मिलन विहार ,दिल्ली रोड, मुरादाबाद-244 001 उत्तरप्रदेश, भारत

सम्पर्कभाष सं०: 09457291528
पैसे से है जीत

कुत्ते घूमें कार में, जिनके लगते सैंट।
रिक्शा खींचे आदमी, पहने उधड़ी पैंट॥

पैसे से संबंध हैं, पैसे से सब मीत।
बिन पैसे तो हार है, पैसे से है जीत॥

राजनीति में क्या घुसे, हुए कष्ट काफ़ूर।
अब नभ से बातें करें, होकर मद में चूर॥

दौलत आनी चाहिए, चाहे जैसे आय।
इनका मक़सद है यही, देश रसातल जाय॥

आसमान को छू रहे, अब चीजों के रेट।
बड़ा कठिन अब हो गया, भैया भरना पेट॥
मूलचंद 'राज' 

जन्म: 25 जून 1971

प्रकाशन :विभिन्न समाचार पत्रों, साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित 

संपर्क: ग्राम-रामनगर, गंगपुर, तहसील बिलारी, जनपद- मुरादाबाद-244 001 उत्तरप्रदेश, भारत 

म्पर्कभाष सं०: 09759262435

रिश्ते-नाते आज

रिश्ते-नाते हो गये, आज एक व्यापार।
जिस पर जितना माल है, उससे उतना प्यार॥

नेताजी हैं बांटते, वादों की सौग़ात ।
पूंछ उठाकर देख ली, निकले मादा जात॥

मानव अपने कर्म से, करने लगा विनाश।
आफ़त सर पर डोलती, क्या जीवन की आस॥

आय वही है आज भी, व्यय में हुआ उछाल।
मंहगाई ने छीन ली, रोटी-सब्जी-दाल ॥

जो मानवता पर सदा, करते अत्याचार।
ऐसे लोगों के लिए, कैसा सोच-विचार ॥ 

1 टिप्पणी:

  1. मुरादाबाद के इन सभी दोहाकारों की रचनाएँ पसंद आयीं. बधाई .

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