परिचय
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जन्म: | 04 जून 1979 |
जन्म स्थान: | चन्दपुरा (निहाल सिंह), ज़िला इटावा, उत्तर प्रदेश, भारत |
कृतियाँ: | अंग्रेज़ी के महान नाटककार विलियम शेक्सपियर द्वारा विरचित दुखान्त नाटक ‘किंग लियर’ का हिन्दी अनुवाद |
विविध: | हिन्दी व अंग्रेजी के पत्र-पत्रिकाओं में आलेख, समीक्षाएँ, साक्षात्कार, कहानियाँ, कविताओं एवं नवगीतों का निरंतर प्रकाशन |
सम्मान: | ब्रजेश शुक्ल स्मृति साहित्य साधक सम्मान, वर्ष 2009 |
संपर्क: | चन्दपुरा (निहाल सिंह), जनपद-इटावा (उ.प्र.)-२०६१२७, भारत |
अपना गाँव-समाज
बड़े चाव से बतियाता था
अपना गाँव-समाज
छोड़ दिया है चौपालों ने
मिलना-जुलना आज
बीन-बान लाता था
अपना गाँव-समाज
छोड़ दिया है चौपालों ने
मिलना-जुलना आज
बीन-बान लाता था
लकड़ी
अपना दाऊ बागों से
धर अलाव
अपना दाऊ बागों से
धर अलाव
भर देता था, फिर
बच्चों को
अनुरागों से
छोट, बड़ों से
छोट, बड़ों से
गपियाते थे
आँखिन भरे लिहाज
नैहर से जब आते
आँखिन भरे लिहाज
नैहर से जब आते
मामा
दौड़े-दौड़े सब आते
फूले नहीं समाते
दौड़े-दौड़े सब आते
फूले नहीं समाते
मिल कर
घण्टों-घण्टों बतियाते
भेंटें होतीं,
घण्टों-घण्टों बतियाते
भेंटें होतीं,
हँसना होता
खुलते थे कुछ राज
जब जाता था
खुलते थे कुछ राज
जब जाता था
घर से कोई
पीछे-पीछे पग चलते
गाँव किनारे तक
पीछे-पीछे पग चलते
गाँव किनारे तक
आकर सब
अपनी नम आँखें मलते
तोड़ दिया है किसने
अपनी नम आँखें मलते
तोड़ दिया है किसने
आपसदारी का
वह साज
वह साज
खूबसूरत भाव।
जवाब देंहटाएंवर्त्तमान में गाँव की तस्वीर तेजी से बदल रही है. गाँव-समाज का इस गीत के जरिये सजीव चित्रण किया गया है. अच्छा गीत है. बधाई.
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