डा. रत्नाकर पाण्डेय, डा. बालशौरि रेड्डी, डा. कमलकिशोर गोयनका, डा. टी.जी. प्रभाशंकर प्रेमी और डा. रामप्रकाश सक्सैना द्वारा सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण |
मुरादाबाद (16 अक्टूबर, 2011)- अखिल भारतीय साहित्य कला मंच, उ. प्र., भारत द्वारा आयोजित समारोह में आज यहाँ मंच द्वारा हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में विविध उपलब्धियों के लिए चौबीस विभूतियों को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम का समारम्भ मुख्य अतिथि डा. चमनलाल सप्रू (जम्मू एवं कश्मीर) कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात हिन्दी सेवी डा. रत्नाकर पाण्डेय (नई दिल्ली), विशिष्ट अतिथि डा. बालशौरि रेड्डी ( चेन्नई),डा. कमलकिशोर गोयनका (नई दिल्ली), डा. टी.जी. प्रभाशंकर प्रेमी (बेंगलूर) और डा. रामप्रकाश सक्सैना (नागपुर) द्वारा सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन करने के साथ हुआ। प्रेम एवं सौन्दर्य के कवि श्री महेश ‘मधुकर’ (बरेली) ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की।
तत्पश्चात मंच के संरक्षक श्री लक्ष्मण प्रसाद अग्रवाल (मुरादाबाद), श्री राजकुमार अग्रवाल और श्री मनोज कुमार अग्रवाल (चाँदपुर) ने मुख्य अतिथि, कार्यक्रम अध्यक्ष, और विशिष्ट अतिथियों को बैज लगाकर एवं माल्यार्पण करके स्वागत किया। स्वागत भाषण श्री मनोज कुमार अग्रवाल, संरक्षक मंच ने प्रस्तुत किया। तत्पश्चात डा. रामगोपाल भारतीय (मेरठ)- महासचिव, ने मंच का परिचय देते हुए मंच की उपलब्धियों की चर्चा की।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. रत्नाकर पाण्डेय (नई दिल्ली), और मुख्य अतिथि डा. चमनलाल सप्रू द्वारा डा. शमा परवीन की डी.लिट. शोधकृति 'बीसवीं शती की हिन्दी कहानी की शिल्प संरचना का तुलनात्मक अध्ययन', डा. महेशराम आर्य की शोधकृति 'गौतमबुद्ध के चरितकाव्य का विश्लेषणात्मक अध्ययन' और डा. मंजू सिंह की शोधकृति- ‘गीतकार मधुकर गौड़ : व्यक्तित्व और साहित्य’ तथा ‘उत्तर प्रदेश के साहित्यकार’ का लोकार्पण किया गया। तत्पश्चात साहित्य सृजन हेतु डा. आरिफ नजीर (अलीगढ़), डा. नवीनचंद्र लोहानी (मेरठ), डा. बालशौरी रेड्डी (चेन्नई), डा. मीना सोनी (झारसुकुड़), डा. रत्नाकर पाण्डेय (दिल्ली), डा. बल्देव वंशी (फरीदाबाद), डा. ओमीश परूथी (सोनीपत), डा. मोहन सपरा (जालंधर), डा. कमलकिशोर गोयनका (नई दिल्ली), डा. विद्या बिन्दु सिंह (लखानाऊ); प्रो. चमनलाल सप्रू (जम्मू व कश्मीर), डा. टी.जी. प्रभाशंकर ‘प्रेमी’ (बेंगलूर), डा. मिलनरानी जमातिया (त्रिपुरा), सुश्री सीमा देव वर्मा (त्रिपुरा), श्री राजकुमार सचान ‘होरी’ (आजमगढ़), डा. दिवाकर दिनेश गौड़ (गोधरा), डा. ओम जोशी (गुना), श्री एम.पी. ‘कमल’ (गाजियाबाद), श्री शिवशंकर यजुर्वेदी (बरेली), डा. राजेंद्र सोनवणे ‘अक्षत’, (बीड़), डा. ज्ञानेश दत्त ‘हरित’ (मेरठ), डा. मीना नकवी (मुरादाबाद), श्री मनु स्वामी (मुजफ्फरनगर) को मंच की ओर से विविध सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। उन्हें शाल, प्रतीक चिन्ह, सम्मान पत्र और नकद राशि भेंट की गयी।
इसी अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. रत्नाकर पाण्डेय ने ‘अन्तर्राष्ट्रीय सन्दर्भ और हिन्दी की भूमिका’ पर बोलते हुए मानवीय मूल्यों, विश्व मानवता और विश्व शान्ति की स्थापना के लिए हिन्दी के साहित्यकारों को निरन्तर सृजन करने हेतु आवाहन किया। मुख्य अतिथि डा. चमनलाल सप्रू ने ‘हिन्दी की दशा एवं दिशा’ पर अपना वक्तव्य देते हुए हिन्दी की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और दक्षिण के साहित्यकारों की उपेक्षा की ओर इंगित किया। विशिष्ट अतिथि डा. बालशौरि रेड्डी ने भारतीय संस्कृति के अनुरूप काव्य सृजन करने हेतु साहित्यकारों को प्रेरित किया और आयकर विभाग में हिन्दी की स्थिति को बताया। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि डा. कमलकिशोर गोयनका ने हिन्दी साहित्य के महत्व और साहित्यकार के दायित्व को उदघाटित किया। विशिष्ट अतिथि टी.जी. प्रभाशंकर ‘प्रेमी’ ने वैश्विक एकता में हिन्दी साहित्य की महत्ता और साहित्यकार के दायित्व पर प्रकाश डाला। और विशिष्ट अतिथि डा. रामप्रकाश सक्सैना ने हिन्दी वर्तनी के प्रयोग में महत्वपूर्ण सावधानियों पर अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर सम्मानित साहित्यकारों ने संस्कृति एवं साहित्य के संवर्धन में साहित्यकारों की भूमिका को बताया। कार्यक्रम का संचालन डा. रामगोपाल भारतीय तथा डा. अम्बरीष कुमार गर्ग ने संयुक्त रूप में किया। आभार संस्थापक अध्यक्ष- डा. महेश ‘दिवाकर’ ने किया। समारोह में इस अवसर पर अनेक प्रान्तों के साहित्यकार मौजूद थे। प्रो. रामप्रकाश गोयल (बरेली), डा. परमेश्वर गोयल (पूर्णिया), डा. प्रभा कपूर (मुरादाबाद), डा. विनय कुमार मालवीय (इलाहाबाद), डा. के.एस. चौहान, डा. राकेश कुमार, डा. अरूण रानी, रामप्रकाश ‘ओज’, डा. मीना कौल, दिनेश चमोला (देहरादून), डा. ऋजु पंवार, रमेश सोबती, ओमप्रकाश सिंह (रायबरेली), डा. विनोद कुमार ‘प्रसून’ (नोयडा), डा. सुनील अग्रवाल, मयंक पंवार, डा.अभय कुमार, डा. स्वाति पंवार, डा. अनुराधा पंवार, आनन्द कुमार 'गौरव', रामलाल ‘अन्जाना’, सतीश फिगार, योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’, वीरेंद्र सिंह राजपूत, विवेक ‘निर्मल’, अवनीश सिंहचौहान आदि साहित्यकार उपस्थित थे। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में स्थानीय और बाहर से आये साहित्यकारों की कविगोष्ठी भी आयोजित की गयी। अन्त में सभी को मंच की ओर से सहभोज दिया गया।
कार्यक्रम का समारम्भ मुख्य अतिथि डा. चमनलाल सप्रू (जम्मू एवं कश्मीर) कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात हिन्दी सेवी डा. रत्नाकर पाण्डेय (नई दिल्ली), विशिष्ट अतिथि डा. बालशौरि रेड्डी ( चेन्नई),डा. कमलकिशोर गोयनका (नई दिल्ली), डा. टी.जी. प्रभाशंकर प्रेमी (बेंगलूर) और डा. रामप्रकाश सक्सैना (नागपुर) द्वारा सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन करने के साथ हुआ। प्रेम एवं सौन्दर्य के कवि श्री महेश ‘मधुकर’ (बरेली) ने सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की।
तत्पश्चात मंच के संरक्षक श्री लक्ष्मण प्रसाद अग्रवाल (मुरादाबाद), श्री राजकुमार अग्रवाल और श्री मनोज कुमार अग्रवाल (चाँदपुर) ने मुख्य अतिथि, कार्यक्रम अध्यक्ष, और विशिष्ट अतिथियों को बैज लगाकर एवं माल्यार्पण करके स्वागत किया। स्वागत भाषण श्री मनोज कुमार अग्रवाल, संरक्षक मंच ने प्रस्तुत किया। तत्पश्चात डा. रामगोपाल भारतीय (मेरठ)- महासचिव, ने मंच का परिचय देते हुए मंच की उपलब्धियों की चर्चा की।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. रत्नाकर पाण्डेय (नई दिल्ली), और मुख्य अतिथि डा. चमनलाल सप्रू द्वारा डा. शमा परवीन की डी.लिट. शोधकृति 'बीसवीं शती की हिन्दी कहानी की शिल्प संरचना का तुलनात्मक अध्ययन', डा. महेशराम आर्य की शोधकृति 'गौतमबुद्ध के चरितकाव्य का विश्लेषणात्मक अध्ययन' और डा. मंजू सिंह की शोधकृति- ‘गीतकार मधुकर गौड़ : व्यक्तित्व और साहित्य’ तथा ‘उत्तर प्रदेश के साहित्यकार’ का लोकार्पण किया गया। तत्पश्चात साहित्य सृजन हेतु डा. आरिफ नजीर (अलीगढ़), डा. नवीनचंद्र लोहानी (मेरठ), डा. बालशौरी रेड्डी (चेन्नई), डा. मीना सोनी (झारसुकुड़), डा. रत्नाकर पाण्डेय (दिल्ली), डा. बल्देव वंशी (फरीदाबाद), डा. ओमीश परूथी (सोनीपत), डा. मोहन सपरा (जालंधर), डा. कमलकिशोर गोयनका (नई दिल्ली), डा. विद्या बिन्दु सिंह (लखानाऊ); प्रो. चमनलाल सप्रू (जम्मू व कश्मीर), डा. टी.जी. प्रभाशंकर ‘प्रेमी’ (बेंगलूर), डा. मिलनरानी जमातिया (त्रिपुरा), सुश्री सीमा देव वर्मा (त्रिपुरा), श्री राजकुमार सचान ‘होरी’ (आजमगढ़), डा. दिवाकर दिनेश गौड़ (गोधरा), डा. ओम जोशी (गुना), श्री एम.पी. ‘कमल’ (गाजियाबाद), श्री शिवशंकर यजुर्वेदी (बरेली), डा. राजेंद्र सोनवणे ‘अक्षत’, (बीड़), डा. ज्ञानेश दत्त ‘हरित’ (मेरठ), डा. मीना नकवी (मुरादाबाद), श्री मनु स्वामी (मुजफ्फरनगर) को मंच की ओर से विविध सम्मानों से सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया। उन्हें शाल, प्रतीक चिन्ह, सम्मान पत्र और नकद राशि भेंट की गयी।
इसी अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष डा. रत्नाकर पाण्डेय ने ‘अन्तर्राष्ट्रीय सन्दर्भ और हिन्दी की भूमिका’ पर बोलते हुए मानवीय मूल्यों, विश्व मानवता और विश्व शान्ति की स्थापना के लिए हिन्दी के साहित्यकारों को निरन्तर सृजन करने हेतु आवाहन किया। मुख्य अतिथि डा. चमनलाल सप्रू ने ‘हिन्दी की दशा एवं दिशा’ पर अपना वक्तव्य देते हुए हिन्दी की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और दक्षिण के साहित्यकारों की उपेक्षा की ओर इंगित किया। विशिष्ट अतिथि डा. बालशौरि रेड्डी ने भारतीय संस्कृति के अनुरूप काव्य सृजन करने हेतु साहित्यकारों को प्रेरित किया और आयकर विभाग में हिन्दी की स्थिति को बताया। इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि डा. कमलकिशोर गोयनका ने हिन्दी साहित्य के महत्व और साहित्यकार के दायित्व को उदघाटित किया। विशिष्ट अतिथि टी.जी. प्रभाशंकर ‘प्रेमी’ ने वैश्विक एकता में हिन्दी साहित्य की महत्ता और साहित्यकार के दायित्व पर प्रकाश डाला। और विशिष्ट अतिथि डा. रामप्रकाश सक्सैना ने हिन्दी वर्तनी के प्रयोग में महत्वपूर्ण सावधानियों पर अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर सम्मानित साहित्यकारों ने संस्कृति एवं साहित्य के संवर्धन में साहित्यकारों की भूमिका को बताया। कार्यक्रम का संचालन डा. रामगोपाल भारतीय तथा डा. अम्बरीष कुमार गर्ग ने संयुक्त रूप में किया। आभार संस्थापक अध्यक्ष- डा. महेश ‘दिवाकर’ ने किया। समारोह में इस अवसर पर अनेक प्रान्तों के साहित्यकार मौजूद थे। प्रो. रामप्रकाश गोयल (बरेली), डा. परमेश्वर गोयल (पूर्णिया), डा. प्रभा कपूर (मुरादाबाद), डा. विनय कुमार मालवीय (इलाहाबाद), डा. के.एस. चौहान, डा. राकेश कुमार, डा. अरूण रानी, रामप्रकाश ‘ओज’, डा. मीना कौल, दिनेश चमोला (देहरादून), डा. ऋजु पंवार, रमेश सोबती, ओमप्रकाश सिंह (रायबरेली), डा. विनोद कुमार ‘प्रसून’ (नोयडा), डा. सुनील अग्रवाल, मयंक पंवार, डा.अभय कुमार, डा. स्वाति पंवार, डा. अनुराधा पंवार, आनन्द कुमार 'गौरव', रामलाल ‘अन्जाना’, सतीश फिगार, योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’, वीरेंद्र सिंह राजपूत, विवेक ‘निर्मल’, अवनीश सिंहचौहान आदि साहित्यकार उपस्थित थे। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में स्थानीय और बाहर से आये साहित्यकारों की कविगोष्ठी भी आयोजित की गयी। अन्त में सभी को मंच की ओर से सहभोज दिया गया।
संयोजक
डा. महेश ‘दिवाकर’
संस्थापक-अध्यक्ष
डा. महेश ‘दिवाकर’
संस्थापक-अध्यक्ष
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-701:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत बढिया रपट प्रस्तुत की है।
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