मुंबई: फिल्म जगत के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना का बुधवार दोपहर मुंबई स्थित उनके आवास 'आशीर्वाद' पर निधन हो गया। उनके निधन की खबर आते ही बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गयी। सुपर स्टार राजेश खन्ना का अंतिम संस्कार आज सुबह 11 बजे किया जाना है। राजेश खन्ना के बंगले आशीर्वाद में उनके अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हो गई हैं। अक्षय-ट्विंकल का बेटा आरव उन्हें मुखाग्नि देगा। काका को अंतिम विदाई देने के लिए फिल्मी हस्तियां एवं उनके प्रशंसक पहुंचने लगे हैं। शोकाकुल परिवार को सांत्वना देने वालों में अमिताभ बच्चन, सायरा बानो, मनोज कुमार, सुभाष घई, करण जौहर, मधुर भंडारकर, अभिषेक बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान, सलमान खान, प्रेम चोपड़ा, ऋषि कपूर, शबाना आजमी, तुषार कपूर, नेहा धूपिया आदि रहे।
राजेश खन्ना (जन्म: 29 दिसम्बर 1942 - मृत्यु: 18 जुलाई 2012) एक भारतीय बॉलीवुड अभिनेता थे। राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था। 1966 में उन्होंने पहली बार 24 साल की उम्र में आखिरी खत नामक फिल्म में काम किया था। इसके बाद राज, बहारों के सपने, औरत के रूप जैसी कई फिल्में उन्होंने कीं लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में आराधना से मिली। इसके पश्चात एक के बाद एक 14 सुपरहिट फिल्में (आराधना, आनन्द आदि) देकर उन्होंने हिन्दी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का खिताब अपने नाम किया। उन्होंने राजनीति में भी प्रवेश किया। वे नई दिल्ली लोक सभा सीट से पाँच वर्ष तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे। बाद में उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया।
उन्होंने कुल 163 फीचर फिल्मों में काम किया, 128 फिल्मों में मुख्य भूमिका निभायी, 106 में उनका मुख्य रोल रहा, 22 में दोहरी भूमिका के अतिरिक्त 17 छोटी फिल्मों में काम किया। उन्हें फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिये तीन वार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा हिन्दी फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी अधिकतम चार बार उनके ही नाम रहा। 2005 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड भी दिया गया।
1971 में राजेश खन्ना ने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी, अन्दाज नामक फिल्मों से अपनी कामयाबी का परचम लहराये रखा। बाद के दिनों में दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम, हमशक्ल जैसी फिल्में भी कामयाब रहीं। 1980 के बाद राजेश खन्ना का दौर खत्म होने लगा। 1994 में उन्होंने एक बार फिर खुदाई फिल्म से परदे पर वापसी की कोशिश की। आ अब लौट चलें, क्या दिल ने कहा, जाना, वफा जैसी फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया लेकिन इन फिल्मों को कोई खास सफलता नहीं मिली।
राजेश खन्ना को फिल्मफेयर पुरस्कार के लिये चौदह बार तथा बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट अवार्ड के लिये पच्चीस बार नामांकित किया गया। दोनों पुरस्कारों के लिये कुल उन्तालिस बार के नामांकन में उन्हें तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार एवं चार बार बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट अवार्ड मिला। उन्हें 1975 -में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - अविष्कार; 1972 -में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आनन्द;1971 -में फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - सच्चा झूठा के लिए प्रदान किया गया।
जून 2012 में यह सूचना आई कि राजेश खन्ना पिछले कुछ दिनों से काफी अस्वस्थ चल रहे हैं। 23 जून 2012 को उन्हें उपचार हेतु लीलावती अस्पताल ले जाया गया जहाँ उनका सघन चिकित्सा कक्ष में उपचार चला और वे वहाँ से 8 जुलाई 2012 को डिस्चार्ज हो गये। उस समय वे काफी स्वस्थ थे। 14 जुलाई 2012 को उन्हें मुम्बई के लीलावती अस्पताल में पुन: भर्ती कराया गया। 18 जुलाई 2012 को सुपरस्टार राजेश खन्ना नहीं रहे। काका को विनम्र श्रद्धांजलि।
विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंIs Mahan nayak ko bhulana aas aasaan n hoga ... Vinamr shradhanjli hai Kaka ko ...
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