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रविवार, 5 अगस्त 2012

राकेश 'चक्र' के चार बालगीत

राकेश 'चक्र'

१४ नवम्बर १९५५ को ग्राम- सजाबाद-ताजपुर, जनपद-अलीगढ़ (उ.प्र.) में जन्मे राकेश 'चक्र' साहित्य जगत के एक चर्चित हस्ताक्षर हैं। आपकी रचनाएँ जीवन और जगत के प्रति सकारात्मक सोच को विकसित करने का सुन्दर प्रयास करती हैं। आप १९७३ से लेखन कर रहे हैं और आपकी प्रथम कविता ‘‘जन्म सिद्ध अधिकार है" लखनऊ के स्वतंत्र भारत में प्रकाशित हुई थी। अब तक आपकी लगभग चार दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी बाल साहित्य पर लिखी कई पुस्तकें कई विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में सम्मलित की जा चुकी हैं। आपकी लघुकथाओं का अंग्रेजी में 'द एक्जामिनेशन' शीर्षक से अनुवाद किया जा चुका है। रस्किन बोंड ने आपकी उक्त पुस्तक के सन्दर्भ में लिखा है कि राकेश चक्र एक संवेदनशील रचनाकार  हैं और इनकी कहानियाँ मानवीय मूल्यों को प्रस्तुत करती हैं। शिक्षा- स्नातकोत्तर (समाजशास्त्र), एल.एल.बी, एक्यूप्रेशर एवं योग। आपके द्वारा सृजित प्रकाशित प्रौढ़ कृतियाँ- चरवाहों का चक्रव्यूह (कविता-संग्रह), अमावस का अंधेरा (लघुकथा-संग्रह), प्रेम की भाषा ही हिन्दुस्तान है (गीतिका-संग्रह), मेरी गजलें मेरा प्यार (गजल-संग्रह), मेरे देश की थाती (मुक्तछंद कविता-संग्रह), फैज (लघुकथा-संग्रह), स्वास्थ्य का रहस्य, पर्यावरण और हम, आपका स्वास्थ्य, आपके हाथ, वृक्ष और बीज (लघुकथा-संग्रह), खास रपट-पुलिस अपने आइने में, योग शिक्षा व यौन शिक्षा व अन्य ज्वलंत प्रश्न, एकता के साथ हम (गीत-संग्रह), राकेश चक्र’ की लघु कथाएँ; प्रकाशित किशोर कृतियाँ- आजादी के दीवाने (कथा-संग्रह), कंजूस गोंतालू (बालउपन्यास-संग्रह), राकेश ’चक्र’ की श्रे’ठ कहानियाँ, तीसरी मां (कथा-संग्रह), उत्तरांचल की लोककथाएँ, आओ भारत नया बनाएँ (गीत-संग्रह), वीर सुभाष, साक्षरता अनमोल रे (गीत-संग्रह),आओ पढ़ लें और पढ़ाएँ (गीत-संग्रह), सपनों को साकार करेंगे (बच्चों के मनोविज्ञान पर श्रे’ठ कृति), माटी हिन्दुस्तान की (गीत-संग्रह); प्रकाशित बाल कृतियाँ- राकेश चक्र’ की एक सौ इक्यावन बाल कवितायें, लट्टू-सी ये धरती घूमे, बाल कवितायें, स्वर-व्यंजन के बालगीत (पाठ्य पुस्तक), धीरे-धीरे गाना बादल (बालगीत-संग्रह), पूरे हिन्दुस्तान से (बालगीत-संग्रह), दयानन्द थे ऋषिवर प्यारे (बालगीत-संग्रह), याद करेगा हिन्दुस्तान (बालगीत-संग्रह), पौधे रोपें (बालगीत-संग्रह), मेढ़क लाला चक्र निराला (बालगीत-संग्रह), बालक, सूरज और संसार, पशु-पक्षियों के मनोरंजक बालगीत, भरत का भारत (बालगीत-संग्रह), मात्रृभूमि है वीरों की (बालगीत-संग्रह), मीठी कर लें अपनी बोली (बालगीत-संग्रह), टीवी और बचपन (बालगीत-संग्रह), मेहनत से तुम डरो न भाई (बालगीत-संग्रह), कसरत नई दिखाती चिड़िया (बालगीत-संग्रह), चाचा कलाम (बालगीत-संग्रह), सात घोड़े (बालगीत-संग्रह), अजब है खेल क्रिकेट (बालगीत-संग्रह), पुच्छल तारे (विज्ञान-लेख), क्यों गिरती है बिजली (विज्ञान-लेख), विद्युत तरंगें (विज्ञान-लेख), अहिंसावादी शोर (कहानी-संग्रह), अन्यायी को दण्ड (बालगीत-संग्रह), साक्षरता अनमोल रे (बालगीत-संग्रह), बिच्छू वाला दीवान (बालकथा), रोबोट का आविष्कार (बाल कहानियाँ), राकेश ’चक्र’ की बाल मनोरंजक कहानियाँ; प्रकाशित शिशु कृतियां- साफ हवा कर देते पेड़ (शिशु गीत-संग्रह), वीर शिवाजी (शिशु गीत-संग्रह), ऊँचा देश उठाएँगे (शिशु गीत-संग्रह), था-था- थइया गाएँगे (शिशु गीत-संग्रह) आदि। दूरदर्शन व आकाशवाणी से प्रसारण, भारत की विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में हजार से अधिक लेख, कविताएँ , गीतिकायें, गजल कथाएँ  आदि प्रकाशित तथा कई पुरस्कृत। आपके साहित्यिक अवदान के परिप्रेक्ष्य में आपको उ0प्र0 कर्मचारी साहित्य संस्थान लखनऊ द्वारा सुमित्रानन्दन पंत पुरस्कार (51,०००/-धनराशि सहित) सहित लगभग दो दर्जन पुरस्कार/सम्मान प्रदान किये जा चुके हैं। सम्प्रति- उत्तरप्रदेश पुलिस (अभिसूचना विभाग) में सेवारत। संपर्क- 90 बी, शिवपुरी (डबल फाटक), मुरादाबाद - 244001 उत्तर प्रदेश। दूरभाष- 945620185 । इस विख्यात रचनाकार की चार बाल कविताएँ यहाँ दी जा रही हैं:-

चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार
१. मैं सीमा पर जाऊँगा

सपना देखा यूं मम्मी,
नन्हे से बोले- यूं पम्मी।

मैं सैनिक था सपने में,
तोप दागता सपने में।
दुश्मन की फौजें भी हारीं,
झन्डा ऊँचा सपने में।

सपने की ही बात मान,
दुश्मन को सबक सिखाऊँगा।
खूब पढूँगा अब मेहनत से,
मैं सीमा पर जाऊँगा।

२. गुड़िया की नानी

हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई,
प्यारे हैं सब हिन्दुस्तानी।
ऊँचा-नीचा कोई न होगा,
सब ही हैं धरती के प्राणी।

मेहनत से जीवन जी करके,
बोलेंगे सब मीठी वाणी।
बगिया सबकी, साथ रहेंगे,
कहती यह गुड़िया की नानी।

३. देश है अपना काम करेंगे

देश है अपना काम करेंगे,
नहीं लड़ेंगे, नहीं भिड़ेंगे।
जाती-धर्म का भेद मिटाकर,
मानवता से गले मिलेंगे।

करें नियंत्रण आबादी पर
आज़ादी का ध्यान रखेंगे,
भारत का गौरव बढ़ जाए,
जग में ऐसे काम करेंगे।

४. वीर शिवाजी

बाल शिवा बड़े वीर थे
बचपन से बड़े धीर थे।

जीजाबाई माता थीं
हर पल सुख की दाता थीं।

उन्होंने शत्रु पछाड़े थे
वे सिंह से दहाड़े थे।

हिम्मत कभी न हारे थे
अपना देश सँवारे थे।

जन-जन को वह प्यारे थे
आँखों के वे तारे थे।

तन-मन अपना अर्पित कर,
भारत माँ पे वारे थे।

Bal Kavitayen: Kavi- Rakesh 'Chakra'

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