मुरादाबाद: अखिल भारतीय साहित्य एवं संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित मानवतावादी साहित्य रचने वाले वरिष्ठ कवि ब्रजभूषण सिंह गौतम ‘‘अनुराग’’ जी के अभिनन्दन ग्रंथ 'आँगन से आकाश तक' (सम्पादक: मधुकर अष्ठाना, लखनऊ) तथा उनकी सद्यः प्रकाशित दो कृतियाँ- 'अपनेअपने सूरज' (नवगीत संग्रह) और 'साँसों की समाधि' (गद्यगीत संग्रह) का भव्य लोकार्पण रविवार को एक बजे प्रेस क्लब, मुरादाबाद में हुआ।
कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता अवनीश सिंह चौहान ने की, मुख्य अतिथि रहे वरिष्ठ गीतकवि मधुकर अष्ठाना जी और विशिष्ट अतिथि गोकुल दास गर्ल्स डिग्री कालेज- मुरादाबाद की संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ गीता जी और शम्भू दयाल महाविद्यालय- गाज़ियाबाद की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ पूनम सिंह रहीं।
तत्पश्चात अंकित गुप्ता ‘‘अंक’’ने मां शारदे की वंदना प्रस्तुत की। कार्यक्रम में ब्रजभूषण सिंह गौतम ‘‘अनुराग’’ के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर वरिष्ठ समीक्षक राजीव सक्सेना एवं चर्चित कवि शिशुपाल 'मधुकर' एवं विवेक निर्मल ने प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वेब पत्रिका पूर्वाभास के सम्पादक अवनीश सिंह चौहान ने कहा कि आज साहित्य के पाठकों की संख्या घट रही है। ऐसी स्थिति में भी गौतम जी की कृतियों का प्रकाशन होना साहित्य के प्रति सकारात्मक संकेत ही कहा जाएगा। गौतम जी साहित्यकारों की प्रथम पंक्ति के बहुमुखी प्रतिभा के धनी संवेदनशील कवि हैं। गौतम जी ने जहाँ ‘अपने-अपने सूरज’ नवगीत संग्रह के माध्यम से समस्त हिन्दी जाति को बहुमूल्य सन्देश दिया है, वहीं गद्य गीतों की रचना कर हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है। यद्यपि गौतम जी के साहित्य का समुचित मूल्यांकन अभी नहीं हुआ है, तथापि वे हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण सृजक है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकवि एवं समालोचक मधुकर अष्ठाना जी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वरिष्ठ कवि ब्रजभूषण सिंह गौतम ‘‘अनुराग’’ हिन्दी साहित्य के कोहिनूर है। वह विश्व स्तरीय रचनाकार है। महाकवि अनुराग जी ऐसे साहित्य मनीषी है जिनके अन्तर्मन में भारत बसता है और उसकी वेदना ही उनकी साधना का प्रेरणास्रोत है। गौतम जी का सम्पूर्ण जीवन त्याग, तपस्या, साधना से परिपूर्ण है।
विशिष्ट अतिथि डॉ गीता परिहार ने कहा कि गौतम जी हिन्दी गीत विधा के समर्थ हस्ताक्षर हैं। गौतम जी के गीतों-नवगीतों से जहां भारतीय संस्कृति की गंध, अपनी माटी की सौंधी महक आती है वहीं उन्होंने लोक जीवन की संवेदना को समेटकर गीत को नया आयाम दिया है। गौतम जी ऋषि परम्परा के कवि है।
विशिष्ट अतिथि डॉ पूनम सिंह ने कहा कि गौतम जी के गद्यगीत आम आदमी की जिन्दगी से जुड़े हुए गीत हैं वो कवि के अन्तर की पीड़ा का चित्रण करते है। गौतम जी मानवीय संवेदना के कवि है तथा सत्य और न्याय के समर्थक एवं साहित्य साधना के अनन्य पुजारी हैं।
कार्यक्रम के अगले चरण में सम्मानित कवि ब्रजभूषण सिंह गौतम ‘‘अनुराग’’ ने अपने मधुर कण्ठ से गीत सुनाकर उपस्थित साहित्यकारों को मंत्र मुग्ध कर दिया। उन्होने कहा कि मैं अपने को सरस्वती पुत्र मानता हूँ। जैसा मां मुझे आदेश देती है वैसी ही रचना का सृजन हो जाता है।
इस अवसर पर मुरादाबाद के प्रतिष्ठित साहित्यकार सर्वश्री शचीन्द्र भटनागर, डॉ महेश दिवाकर, पुष्पेन्द्र वर्णवाल, राकेश चक्र, ओमाचार्य, रामेश्वर प्रसाद 'वशिष्ठ, योगेंद पाल सिंह विश्नोई, मक्खन मुरादाबादी, शिवअवतार सरस, माहेश्वर तिवारी, डॉ अजय अनुपम, डॉ जगदीप भटनागर, डॉ मनोज रस्तौगी, वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी, योगेन्द्र कुमार रस्तौगी, जिया जमीर, डॉ प्रेमकुमारी कटियार, मनोज मनु, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', विकास मुरादाबादी, मूलचंद राज, अंकित कुमार गुप्ता आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम में शहर के लगभग सभी साहित्यकार और कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
राजीव सक्सेना, शिशुपाल मधुकर, रघुराज सिंह निश्चल, डॉ पेमवती उपाध्याय, वीरेंद्र सिंह 'ब्रिजवासी', अतुल जौहरी, योगेन्द्र कुमार रस्तौगी, विवेक निर्मल, डॉ राकेश जैसवाल, सतीश सार्थक, रवि चतुर्वेदी, रामसिंह निःशंक, उदय 'अस्त' एवं जितेन्द्र जौली का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का कुशल संचालन संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई जी ने तथा आभार चर्चित कवि शिशुपाल मधुकर ने व्यक्त किया।...
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