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रविवार, 5 मई 2013

दीप्ति शर्मा की चार कविताएँ

दीप्ति शर्मा 

ताजमहल के शहर की युवा रचनाकार दीप्ति शर्मा का जन्म 20 फरवरी 1989 को आगरा, उ. प्र. में हुआ। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा पिथौरागढ़ और भीमताल से हुई। आपने 2012 में आनंद इंजीनियरिंग कॉलेज, आगरा से बी.टेक. किया। आप छोटी आयु से ही लेखन करने लगीं थी। इंटरनेट की कई पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित भी हो चुकी हैं। आपका ब्लॉग: deepti09sharma.blogspot.com। संपर्क:deepti09sharma@facebook.com। आपकी चार कविताएँ यहाँ प्रस्तुत हैं:-

१. आवाज़
चित्र गूगल सर्च इंजन से साभार

आवाज़ जो
धरती से आकाश तक
सुनी नहीं जाती
वो अंतहीन मौन आवाज़
हवा के साथ पत्तियों
की सरसराहट में
बस महसूस होती है
पर्वतों को लांघकर
सीमाएं पार कर जाती हैं
उस पर चर्चायें की जाती हैं
पर रात के सन्नाटे में
वो आवाज़ सुनी नहीं जाती
दबा दी जाती है
सुबह होने पर
घायल परिंदे की
अंतिम साँस की तरह
अंततः दफ़न हो जाती है
वो अंतहीन मौन आवाज़

२. दंश

स्त्री होने का दर्द
कचोटता है
कचोटता है मन के भीतर
अनगिनत तारों को
वो रो नहीं सकती
कुछ कह नहीं सकती
बाहर निकली तो
मर्यादा का डर,
सबसे ज्यादा घर से मिले
संस्कारों का डर
तो कभी
आलोचना का डर,
नियमों का डर,
कायदों का डर
जो डगमगा देता हैं आत्मविश्वास
फिर भी हँसती है
वो छटपटाती है और
अपने ही सवालों से घिर जाती है
हर एक दायित्व बस
उसी से जोड़कर देखा जाता है
कहा जाता है
मर्यादा में रहो
समाज की सुनो
प्रेम ना करो
किया तो मार दी जाओगी
बस आँख बंद कर
इस सो कॉल्ड समाज की
मर्यादा का पालन करो
और ये न भूलो कि
तुम एक स्त्री हो
ये समाज के रखवाले
ठेकेदार बन
चूस लेंगे खून
जीने नहीं देंगे
और कहेंगे
सहना पड़ेगा ये दंश
तुम्हें उम्रभर
क्योंकि तुम एक स्त्री हो ।

३. ख़ामोशी

मांग करने लायक
कुछ नहीं बचा
मेरे अंदर
ना ख्याल, ना ही
कोई जज्बात
बस ख़ामोशी है
हर तरफ अथाह ख़ामोशी
वो शांत हैं
वहाँ ऊपर
आकाश के मौन में
फिर भी आंधी, बारिश
धूप ,छाँव में
अहसास करता है
खुद के होने का
उसके होने पर भी
नहीं सुन पाती मैं
वो मौन ध्वनि
आँधी में उड़ते
उन पत्तों में भी नहीं
बारिस की बूंदों में भी नहीं
मुझे नहीं सुनाई देती
बस महसूस होता है
जैसे मेरी ये ख़ामोशी
आकाश के मौन में
अब विलीन हो चली है ।

४. इच्छाएँ

अक्सर खाक होकर भी
पनपती हैं इच्छाएँ
जो अन्दर ही
खोज लेती हैं राह
और कभी अपने
छुपने की जगहें भी ।

Four Hindi Poems Of Deepti Sharma

13 टिप्‍पणियां:

  1. दीप्ति शर्मा की कवितायेँ भावों की सहज अभिव्यक्तियाँ हैं ....इन ताजगी भारी रचनाओं के लिए उन्हें बधाई ।

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  2. अति सुन्दर अभिव्यक्ति ........बिलकुल तुम्हारी तरह !

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  3. दीप्ति शर्मा की कवितायें पढते हुए सुखद अहसास हुआ, मन के भावों को सरल सहज शब्दों द्वारा व्यक्त किया है, स्त्री कविता ने विशेष प्रभावित किया..

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  4. चारों कविताएं बेहद अच्छी हैंखास तौर पर 'स्त्री होने का दर्द' उर खामोशी सहेजने योग्य हैं।

    दीप्ति जी को हार्दिक शुभकामनाएँ!

    सादर

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  5. सभी कवितायेँ अच्छी हैं...ख़ास तौर पर 'इच्छाएं '.....लिखती रहिये ...शुभकामनाएं

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  6. दीप्ति जी का परिचय और उनकी रचनाये सब कुछ बेहद सुन्दर है, और आपने बहुत ही सुन्दरता से प्रस्तुत भी किया है इस हेतु आप दोनों को हार्दिक बधाई

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  7. सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर और अंतस को छू जाती हैं...

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