जहां भोजपुरी में अश्लील गीतों के कैसेटों की भरमार है वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने भोजपुरी ग़ज़लों का एल्बम जारी कर एक नया इतिहास रचने की कोशिश की है। इन खूबसूरत ग़ज़लों के रचनाकार हैं भोजपुरी के सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार मनोज भावुक और स्वर दिया है सरोज सुमन ने। सरोज सुमन की ख्याति एक अच्छे म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में भी है। मनोज भावुक के रचे इन गज़लों को ऑडियो फार्म में लाने का कॉन्सेप्ट प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान के चेयरमैन मनोज सिंह राजपूत का है। वहीं संयोजन संस्था के नेशनल को-आर्डिनेटर आशुतोष कुमार सिंह का है। डिजाइनर दिवाकर शर्मा ( निधि आर्ट), टी-सीरीज के जीएम अजीत कोहली जी, सीनियर रिकार्डिंग इंजीनियर बैनर्जी दा, यूबी सिंह जी, प्रज्योत जी सहित कई मित्रों का सहयोग रहा है। टी-सीरीज द्वारा जारी ग़ज़लों के इस गुलदस्ते में कुल आठ भोजपुरी ग़ज़लें शामिल हैं जिनमें जिंदगी के तमाम शेड्स हैं। इसीलिए इस भोजपुरी ग़ज़ल अल्बम का नाम रखा गया है- तस्वीर ज़िंदगी के।
अपने इस एलबम के बारे में बताते हुए प्रतिभा-जननी सेवा संस्थान के सांस्कृतिक सचिव व ग़ज़ल गायक सरोज सुमन ने कहा कि हम देश को प्रत्येक स्तर पर स्वस्थ करना चाहते हैं। मनुष्य को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ मनोरंजन भी बहुत जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखकर इस एलबम को बनाने का साहस हमलोगों ने किया है।
अपने इस एलबम के बारे में बताते हुए मनोज सिंह राजपूत ने कहा कि हम देश को प्रत्येक स्तर पर स्वस्थ करना चाहते हैं। मनुष्य को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ मनोरंजन का होना भी बहुत जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखकर इस एलबम को बनाने का साहस हमलोगों ने किया है। ज्ञात हो कि मनोज सिंह राजपूत " स्वास्थ्य भारत विकसित भारत"अभियान चला रही प्रतिभा जननी सेवा संसथान के चेयरमैन है। . जो भारत को प्रत्येक क्षेत्र में स्वास्थ्य बना कर विकसित होते देखना चाहते है। भोजपुरी भाषा को स्वाथ्य करने की दिशा में यह पहला कदम है।
विदित हो कि ''तस्वीर ज़िन्दगी के" भोजपुरी का बहुचर्चित और लोकप्रिय ग़ज़ल-संग्रह है जिसके लिए इसके लेखक मनोज भावुक को ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी और सिने जगत के नामी फ़िल्मकार और गीतकार गुलज़ार द्वारा भारतीय भाषा परिषद सम्मान से नवाज़ा जा चुका है। एक भोजपुरी पुस्तक को पहली बार यह सम्मान दिया गया।
इस एल्बम को सुनने के बाद ऐसा लगता है कि यह सिर्फ गीत-संगीत नहीं है। यह शब्द और संगीत के माध्यम से तमाशाई संस्कृति के खिलाफ एक मुहीम है। इस अल्बम से भोजपुरी संगीत को एक नयी दिशा मिलेगी।
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