काठमाण्डू (नेपाल): (8 जून, 2013 से 11 जून, 2013 ): अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य कला मंच, मुरादाबाद (उ.प्र.) भारतवर्ष द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी का आयोजन नैपाल की राजधानी काठमाण्डू स्थित शंकर होटल के विशाल सभागार में किया गया जिसका मुख्य विषय था- ‘हिन्दी का वैश्विक परिदृश्य’। इस संगोष्ठी में भारत से सौ से अधिक शिक्षाविदों, आचार्यो, प्राचार्यो और साहित्यकारों ने सीधे सहभागिता की और 50 से अधिक शोधालेख इस संगोष्ठी में प्रस्तुत किए गये। यही नहीं, भारत के अतिरिक्त अमेरिका, इंग्लैण्ड, सिंहापुर, नॉर्वे, नैपाल, मॉरिशस आदि देशों के प्रतिनिधियों एवं साहित्यकारों ने भी इसमें सहभागिता की।
शंकर होटल के विशाल सभागार में आज ठीक 9:00 बजे प्रातः अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना के साथ हुआ जिसे प्रस्तुत किया डॉ महाश्वेता चतुर्वेदी (बरेली) ने और श्री गणेश वन्दना को कत्थक नृत्य के साथ प्रस्तुत किया कु सुरम्या शर्मा (नई दिल्ली) ने। इससे पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि- प्रो आर के मित्तल कुलपति- तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद (भारतवर्ष) और कार्यक्रम अध्यक्ष प्रोफेसर- हरिराज सिंह ‘नूर’, पूर्व कुलपति- इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद (भारतवर्ष) तथा डॉ शेर बहादुर सिंह (अमेरिका), डॉ सावित्री वशिष्ठ (सिंहापुर), डॉ जयवर्मा (इंग्लैण्ड), श्री शरद आलोक (नार्वे), माननीय भारतीय राजदूत श्री जयन्त प्रसाद (नैपाल), प्रोफेसर हीराबहादुर महाराजन कुलपति, त्रिभुवन विश्वविद्यालय (नैपाल), श्री गोविन्द राम अग्रवाल (नैपाल) श्री त्रिलोक चन्द्र अग्रवाल (नैपाल), डॉ आनन्दसुमन सिंह (उत्तराखण्ड), डॉ विनय पाठक (भारत), डॉ गिरिराजशरण अग्रवाल (भारत) डॉ राजेन्द्रनाथ मेहरोत्रा (भारत) आदि ने सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन करके पुष्पार्चन किया। कुछ समय के लिए सारा सभागार भक्तिमय हो गया।
तत्पश्चात्, मंच की ओर से मुख्य अतिथि, कार्यक्रम अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथियों विशिष्ट आमंत्रित अतिथियों को बैज लगाकर स्वागत किया गया, साथ ही सभागाार में उपस्थित सभी साहित्यकारों, प्रतिभागियों और हिन्दी सेवियों को भी बैज लगाकर स्वागत अभिनदन किया गया। मुख्य अतिथि, कार्यक्रम अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथियों और आमंत्रित अतिथियों को पुष्पगुच्छ भेंट करके सभी का भावभीना स्वागत एवं अभिन्दन किया गया। डॉ बाबू राम (कुरूक्षेत्र), डॉ राम सनेही ‘यायावर’ (फीरोजाबाद), डॉ करूणा पाण्डेय (बरेली), डॉ मीना कौल (मुरादाबाद), डॉ अभय कुमार (चान्दपुर), डॉ मयंक पंवार और श्री विवेक ‘निर्मल’ (मुरादाबाद), ने बैज, लगाकर पुष्पगुच्छ भेंट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
मंच के महासचिव डॉ राम गोपाल भारतीय ने मंच के कार्यो का जहाँ विवरण प्रस्तुत किया, वही मंच के संस्थापक अध्यक्ष ‘डॉ महेश ‘दिवाकर’ ने सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों और साहित्यकारों का स्वागत एवं अभिन्दन किया। डॉñ मीना कौल ने मंच की उपलब्धियों एवं इतिहास पर संक्षेप में प्रकाश डाला।
अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी संगोष्ठी के उद्घाटन-सत्र में बोलते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो आर. के. मित्तल ने इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के नैपाल में आयोजन करने हेतु मंच परिवार को बधाई एवं शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि अब वह दिन दूर नही है, जब हिन्दी महाशक्तियों के बीच अन्तर्राष्ट्रीय संवाद की भाषा का उच्च स्थान ग्रहण करेगी। प्रो आर. के. मित्तल ने कहा कि वर्तमान युग टैकनॉलॉजी एवं विज्ञान का महान युग है। और यह हर्ष का विषय है कि अन्तर्राष्ट्रीय परिवेश एवं विश्व बाजार हिन्दी की महत्ता एवं उपादेयता को सहज रूप से सवीकार कर रहा है। फलतः विश्व क्षितिज पर हिन्दी का फलक बढ़ता जा रहा हैं। उन्होंने हिन्दी के स्वर्णिम भविष्य की कामना करते हुए ‘अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य कला मंच परिवार की इस आयोजन के लिए भूरि-भूरि प्रशंसा की और शुभकामनाएँ दीं। इसी के साथ-साथ अतिथियों ने हिन्दी का वैश्विक परदिृश्य शीर्षक से प्रकाशित सम्पादित विशाल ग्रंथ का लोकार्पण किया जिसका सम्पादन, ‘डॉ महेश ‘दिवाकर’, डॉ मीना कौल और डॉñ करूणा पाण्डेय द्वारा मिलकर किया गया है।
अमेरिका से पधारे महान हिन्दी सेवी डॉñ मेजर शेर बहादुर सिंह, सिंहापुर की डॉñ सावित्री वशिष्ठ, इंग्लैण्ड की डॉ जयवर्मा, श्री शरद आलोक (नार्वे), नैपाल में भारत के राजदूत श्री जयन्त प्रसाद, त्रिभुवन विश्व विद्यालय, नेपाल के कुलपति प्रोफेसर हीराबहादुर महाराजन और विशिष्ट अतिथि श्री गोविन्द राम अग्रवाल (नैपाल) डॉñ आनन्द सुमन सिंह (उत्तराखण्ड) ने भारत- नैपाल सम्बंधों के उन्नयन एवं संवद्र्धन में हिन्दी भाषा और नैपाली भाषा की प्रासंगिकता एवं महत्ता पर प्रकाश डालते हुए, इस आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएँ दीं।
इसके उपरान्त डॉ विनय पाठक (छत्तीसगढ़) ने हिन्दी की दशा, दिशा एवं अन्र्तराष्ट्रीय महत्व पर अपना बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया तथा हिन्दी की भावी विश्व के निर्माण में बहुआयामी भूमिका को इंगित किया। इसी के साथ संगोष्ठी में पधारे शिक्षाविदों, आचार्यों, प्राचार्यों और साहित्यकारों तथा हिन्दी प्रेमियों ने अपने-अपने शोधालेख प्रस्तुत किये। संगोष्ठी में जिन विद्वानों ने अपने-अपने शोधालेख प्रस्तुत किए, उनमें उल्लेखनीय हैं- डॉ बाबू राम, डॉ धनंजय सिंह, डॉ रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, डॉ महाश्वेता चतुर्वेदी, डॉ किश्वर सुलताना, डॉ ए. के. रुस्तगी, डॉ विजय वेदालंकार, डॉ वन्दना रानी गुप्ता, डॉ बीना रुस्तगी, डॉ मिर्जाहाशम बेग, डॉ रणधीर सिंह, डॉ ऋषिपाल, डॉ मीना अग्रवाल, डॅ0 अनुराधा मृग्नेय, डॉ मंयक पंवार, डॉ ईश्वर सिंह सागवाल, डॉ जय कुमार, डॉ अनुराधा, डॉ अरूण रानी, डॉ मीना कौल, डॉ करूणा पाण्डेय, डॉ राकेश कुमार अग्रवाल, डॉ सतीश कदम, डॉ काजी शौकत, डॉ अशोक मर्डे, डॉ धन्य कुमार, डॉ चन्द्रकान्त मिशाल, डॉ सुभाष शास्त्री, डॉ आशा पाण्डेय, डॉ महेश ‘दिवाकर’, डॉ राम कठिन सिंह, डॉ विनय कुमार शर्मा, डॉ कमलेश राय, डॉ सावित्री कुमारी, डॉ राजकुमार शर्मा, डॉ विनय कुमार चैधरी, डॉ रवि शर्मा, डॉ वन्दन जाधव, डॉ मुरलीधर लहादे, डॉ पोलकार्तिक, डॉ अभय कुमार, (सभी भारत), और डॉ मेजर शेरबहादुर सिंह (अमेरिका), डॉ जयवर्मा (यूके) डॉ सावित्री वशिष्ठ (सिंहापुर), डॉ गोविन्दराम अग्रवाल (नैपाल), डॉ प्राण जग्गी, (अमेरिका), डॉ महीपाल सिंह वर्मा, (यूके), शरद आलोक (नार्वे), डॉ आनंद सुमन सिंह (उत्तराखण्ड), ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग (मुरादाबाद) आदि ने भी अपने विचार प्रकट करते हुए हिन्दी संगोष्ठी को सफलता के उच्च सोपानों पर पहुँचाया।
इसके उपरान्त डॉ विनय पाठक (छत्तीसगढ़) ने हिन्दी की दशा, दिशा एवं अन्र्तराष्ट्रीय महत्व पर अपना बीज वक्तव्य प्रस्तुत किया तथा हिन्दी की भावी विश्व के निर्माण में बहुआयामी भूमिका को इंगित किया। इसी के साथ संगोष्ठी में पधारे शिक्षाविदों, आचार्यों, प्राचार्यों और साहित्यकारों तथा हिन्दी प्रेमियों ने अपने-अपने शोधालेख प्रस्तुत किये। संगोष्ठी में जिन विद्वानों ने अपने-अपने शोधालेख प्रस्तुत किए, उनमें उल्लेखनीय हैं- डॉ बाबू राम, डॉ धनंजय सिंह, डॉ रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’, डॉ महाश्वेता चतुर्वेदी, डॉ किश्वर सुलताना, डॉ ए. के. रुस्तगी, डॉ विजय वेदालंकार, डॉ वन्दना रानी गुप्ता, डॉ बीना रुस्तगी, डॉ मिर्जाहाशम बेग, डॉ रणधीर सिंह, डॉ ऋषिपाल, डॉ मीना अग्रवाल, डॅ0 अनुराधा मृग्नेय, डॉ मंयक पंवार, डॉ ईश्वर सिंह सागवाल, डॉ जय कुमार, डॉ अनुराधा, डॉ अरूण रानी, डॉ मीना कौल, डॉ करूणा पाण्डेय, डॉ राकेश कुमार अग्रवाल, डॉ सतीश कदम, डॉ काजी शौकत, डॉ अशोक मर्डे, डॉ धन्य कुमार, डॉ चन्द्रकान्त मिशाल, डॉ सुभाष शास्त्री, डॉ आशा पाण्डेय, डॉ महेश ‘दिवाकर’, डॉ राम कठिन सिंह, डॉ विनय कुमार शर्मा, डॉ कमलेश राय, डॉ सावित्री कुमारी, डॉ राजकुमार शर्मा, डॉ विनय कुमार चैधरी, डॉ रवि शर्मा, डॉ वन्दन जाधव, डॉ मुरलीधर लहादे, डॉ पोलकार्तिक, डॉ अभय कुमार, (सभी भारत), और डॉ मेजर शेरबहादुर सिंह (अमेरिका), डॉ जयवर्मा (यूके) डॉ सावित्री वशिष्ठ (सिंहापुर), डॉ गोविन्दराम अग्रवाल (नैपाल), डॉ प्राण जग्गी, (अमेरिका), डॉ महीपाल सिंह वर्मा, (यूके), शरद आलोक (नार्वे), डॉ आनंद सुमन सिंह (उत्तराखण्ड), ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग (मुरादाबाद) आदि ने भी अपने विचार प्रकट करते हुए हिन्दी संगोष्ठी को सफलता के उच्च सोपानों पर पहुँचाया।
अन्त में डॉ ओमप्रकाश सिंह और डॉ मीना कौल द्वारा तैयार की गयी संगोष्ठी आख्या की प्रस्तुति डॉ ओम प्रकाश सिंह ने की। विषय प्रवर्तन का कार्य डॉ बाबू राम (कुरूक्षेत्र), और संगोष्ठि संचालन डॉ रवि शर्मा (नई दिल्ली), और डॉ राकेश कुमार अग्रवाल (हापुड़) ने संयुक्त रूप से किया। डॉ मीना कौल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
27वाँ वार्षिक सम्मान-समारोह
काठमाण्डू (नैपाल)-9 जून, 2013 अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य कला मंच, मुरादाबाद (उप्र) भारतवर्ष का 27वाँ वार्षिक सम्मान-समारोह-2013 काठमाण्डू (नैपाल) स्थित शंकर होटल के विशाल सभागार में आज दिनॉक 9 जून, 2013 को 2:30 बजे से शुभारम्भ हुआ जिसमें डॉ आशा पाण्डेय (राजस्थान) ने सरस्वती की वन्दना प्रस्तुत की तो मुख्य अतिथि प्रो आर. के. मित्तल कुलपति- तीर्थकर महावीर विश्वविद्यालय, मुरादाबाद, कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर- हरिराज सिंह ‘नूर’, पूर्व कुलपति- इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, विशिष्ट अतिथि- डॉ राजेन्द्र नाथ मेहरोत्रा (ग्वालियर) डॉ शेर बहादुर सिंह (अमेरिका), डॉ जयवर्मा (इंग्लैण्ड), डॉ सावित्री वशिष्ठ (सिंहापुर), श्री शरद आलांक (नार्वे), डॉ राम कठिन सिंह (लखनऊ), डॉ रजनी पाठक (छत्तीसगढ़) डॉ गिरिराजशरण अग्रवाल (गुड़गॉव) डॉ धनजय सिंह (भारत), महाकवि अनुराग गौतम (मुरादाबाद) डॉ ओमप्रकाश सिंह (रायबरेली), डॉ गोविन्द राम अग्रवाल (नैपाल), डॉ बाबू राम (कुरूक्षेत्र), डॉ राम सनेही शर्मा ‘यायावर’ (फीरोजाबाद), डॉ आन्नद सुमन सिंह (भारत), डॉ प्राण जग्गी, (अमेरिका), आदि ने सरस्वती को पुष्पार्पित किए तथा दीप प्रज्जवलन मुख्य अतिथि ने किया।
तत्पश्चात् देश-विदेश में हिन्दी के उन्नयन एवं संवद्र्धन हेतु विशिष्ट सेवा कार्य करने हेतु साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। इस क्रम में डॉ आर के मित्तल (महाकवि हरिशंकर आदेश साहित्य सिन्धु सम्मान), डॉ बाबूराम (महाकवि हरिशंकर आदेश साहित्य-चूडामणि-सम्मान), डॉ गिरि राज शरण अग्रवाल (प्रवासी साहित्कार शरद आलोक साहित्य सुमन सम्मान), डॉ हरिराज सिंह (प्रवासी साहित्कार शरद आलोक साहित्य भूषण सम्मान), डॉ राजेन्द्रनाथ मेहरोत्रा (विश्व हिन्दी सेवी सम्मान), डॉ गोविन्द राम अग्रवाल (अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य सेवी सम्मान), को नामित सामानों से अलंकृत किया गया।
विशिष्ट सम्मानों के अंतर्गत श्री लक्ष्मी खन्ना ‘सुमन’ (गुड़गॉव) और श्री सत्यराज (धामपुर) को (स्व सतीश चन्द्र अगंवाल स्मृति साहित्य श्री सम्मान), डॉ नथमल भंवर (छत्तीसगढ़), और श्री देवेन्द्र ‘सफल’ (कानपुर), को (स्व राम किशन दास स्मृति साहित्य सम्मान), डॉ अजय जनमेजय (बिजनौर), को (स्व कृपाल सिंह पंवार स्मृति साहित्य सेवी सम्मान), महाकवि अनुराग गौतम को (श्री लक्ष्मण प्रसाद अग्रवाल साहित्य गौरव सम्मान ) डॉ विनय पाठक (छत्तीसगढ़) को (डॉ महेन्द्र सागर प्रचण्डिया स्मृति साहित्यवारिधि सम्मान), डॉ राम सनेही लाल शर्मा ‘यायावर’ को (शब्द साधना सम्मान), डॉ मिर्जा हाशम बेग (शोलापुर), डॉ चन्द्रकान्त मिशाल (पुणे) और डॉ शेर बहादुर सिंह (अमेरिका) को (स्व किशन स्वरूप खन्ना स्मृति साहित्य सम्मान),
डॉ सावित्री वशिष्ठ (सिंहापुर), डॉ जयवर्मा (यूके), को (स्व राजकुमारी खन्ना स्मृति संस्कृति, साहित्य सेवा सम्मान), डॉ मीना अग्रवाल (गुड़गॉव), को (स्व मनोरंजिनी प्रचण्डिया ‘देवी जी’ स्मृति हिन्दी सम्मान), डॉ राम कठिन सिंह (लखनऊ), डॉ बृजेश सिंह (छत्तीसगढ़) को (स्व मदन मोहन सिंह परिहार स्मृति हिन्दी सम्मान) श्री सुमन अग्रवाल (चैन्नई) को (स्व राजेन्द्र कुमार अग्रवाल स्मृति हिन्दी सेवी सम्मान) डॉ करूणा पाण्डेय (बरेली), डॉ आशा पाण्डेय (राजस्थान) को (स्व हरिशंकर पाण्डेय स्मृति हिन्दी भूषण सम्मान) डॉ मीना कौल (मुरादाबाद) को (शारदा सम्मान), डॉ बीना रुस्तगी (अमरोहा) और डॉ अशोक कुमार रुस्तगी (अमरोहा) को (स्व विद्यादेवी हिन्दी स्मृति सम्मान), डॉ अभय कुमार (चाँदपुर) को (श्री वीरेन्द्र गुप्त साहित्य रत्न सम्मान), डॉ जसवीर सिंह चावला (चण्डीगढ़) को (प्रो राम प्रसाद गोयल साहित्य शिरोमणि सम्मान), डॉ विवेक ‘निर्मल’ को (डॉ परमेश्वर गोयल साहित्य शिखर सम्मान), डॉ विजय कुमार वेदालंकार को (डॉ बद्री प्रसाद कपूर स्मृति साहित्य भूषण सम्मान), डॉ रामस्वरूप उपाध्याय ‘सरस’, अम्वाह (म प्र) को (स्व बृजपाल सरन स्मृति साहित्य सम्मान), डॉ वन्दना रानी गुप्ता (अमरोहा) का (स्व मधुर ताज स्मृति साहित्य अलंकार सम्मान), श्री चरण सिंह सुमन (धामपुर) को (स्व भगवती देवी परिहार स्मृति हिन्दी रत्न सम्मान), डॉ रवि शर्मा (नयी दिल्ली) को (स्व माता चाण्णनदेई वासु स्मृति सुरभि सम्मान), और डॉ महेश ‘दिवाकर’ (मुरादाबाद) को लाला जयनारायण चेरि ट्रास्ट, चेन्नै की और से विशिष्ट हिन्दी सेवा के लिए (लाला जय नारायण अग्रवाल स्मृति विश्व हिन्दी सेवी सम्मान) से विभूषित किया गया। इसके अन्र्तगत सभी सम्मानीय साहित्यकारों को कुछ सुनिश्चिित पर्ण भारतीय मुद्राओं के साथ-साथ शॉल, सम्मान पत्र, प्रतीक चिन्ह और रूद्राक्ष की मालाएँ भेंट की गयीं।
विशिष्ट सम्मान श्रंखला के अन्र्तगत साहित्य श्री सं. 45 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया, जिसके अन्र्तगत प्रत्येक साहित्कार को शॉल, सम्मानपत्र और प्रतीक चिन्ह तथा रूद्राक्ष की मालाएँ भेंट की गयीं । इन साहित्यकारों के नाम- डॉ किश्वर सुल्ताना, डॉ धन्य कुमार, डॉ महाश्वेता चतुर्वेदी, डॉ सुभाष शास्त्री, डॉ ओम प्रकाश सिंह, श्री इन्द्र प्रसाद अकेला, डॉñ शौकत अली, श्री सूर्यकान्त सुमन, डॉ राम गोपाल भारतीय, डॉ पोलकार्तिक, डॉ धनंजय सिंह, श्री योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई, डॉ अनुराधा मृग्नेय, डॉ अरूण रानी, डॉ वन्दन जाधव, डॉ सुरम्या शर्मा, डॉ मुरलीधर लहादे, डॉ राजकुमार शर्मा, श्रीमति नीरजा कुमारी, डॉ कमलेशलता, डॉ मधुबाला सक्सेना, श्रीमति रेखा अग्रवाल, डॉ रणधीर सिंह, डॉ ऋषिपाल, डॉ राकेश कुमार अग्रवाल, डॉ ईश्वर सिंह सागवाल, डॉ संयुक्ता देवी चैहान, डॉ कमलेश राय, डॉ सतीश कदम, डॉ अशोक मर्डे, डॉ मनोज कुमार ‘मनोज’, डॉ काजी सत्तार, डॉ सुधा शर्मा पुष्प, डॉ रजनी पाठक, डॉ सावित्री कुमारी, डा विनय कुमार चैधरी, श्री राम सिंह ‘निःशक’, डॉ आन्नद सुमन सिंह, डॉ विनय कुमार शर्मा, डॉ त्रिलोक अग्रवाल, प्रो जय कुमार, श्री प्राण जग्गी, श्री शरद आलोक (नार्वे) आदि साहित्यकारों को साहित्य श्री सम्मान से विभूषित किया गया। सम्मान कार्यक्रम के उपरान्त डॉ महेश ‘दिवाकर’ ने सभी के प्रति धन्यवाद एवं आभार ज्ञापित किया।
मंच के तृतीय सत्र का शुभारम्भ ‘काव्य गोष्ठी’ के रूप में ठीक 4:30 बजे हुआ। मंच को सुशोभित किया- डॉ आर. के. मित्तल, डॉ हरिराज सिंह (अध्यक्ष), ब्रजभूषण सिंह गौतम अनुराग, डॉ रामसनेही लाल शर्मा यायावर, डॉ बाबूराम, डॉ ओमप्रकाश सिंह, डॉ रजनी पाठक, डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल, डॉ राम कठिन सिंह, डॉ शेर बहादुर सिंह, (अमेरिका), डॉ जयवर्मा (यूक), श्री शरद आलोक (नार्वे), डॉ आनंद सुमन सिंह, डॉ धनंजय सिंह, श्री प्राण जग्गी ने सरस्वती को माल्यार्पण किया। मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्जवलन किया।
तत्पश्चात् काव्य पाठ। सरस्वती वन्दना श्री विवेक निर्मल (मुरादाबाद) ने प्रस्तुत की और संचालन किया श्री मनोज कुमार ‘मनोज’ ने। काव्य पाठ में करने वालों में उल्लेखनीय हैं- डॉ अजय जनमेजय, डॉñ रामगोपाल भारतीय, श्री सुमन अग्रवाल, डॉ रवि शर्मा ‘मधुप’ डॉ सुधा शर्मा ‘पुष्प’, डॉ सैयद शौकत, डॉ रजनी पाठक, डॉ महाश्वेता चतुर्वेदी, श्री मति रेखा अग्रवाल, डॉ कमलेश रानी, श्री मति नीरजा सिंह, देवेन्द्र ‘सफल’, मनु स्वामी, डॉ नथमल झंवर, डॉ आशा पाण्डेय, लक्ष्मी खन्ना ‘सुमन’ डॉ योगेन्द्र पाल सिंह, डॉ राज कुमारी शर्मा, डॉ राम कठिन सिंह, डॉ जसवीर चावला, डॉ रामस्वरूप ‘सरस’ प्रो बाबू राम, डॉ मीना कौल, डॉ अशोक मर्डे, डॉ मिर्जा हाशमबेग, डॉ सतीश कदम, डॉ इन्द्र प्रसाद, डॉ महेश ‘दिवाकर’, आदि ने अपना काव्य पाठ किया। धन्यवाद डॉ महेश ‘दिवाकर’ ने किया।
हिन्दी का आयोजन और नेपाल में क्यों ?? पुरस्कार हिन्दुस्तानियों को और नेपाल में क्यों....ये सब व्यर्थ का नाटक है ....रेवड़ियां बांटने वाला ....हिन्दी तो वेचारी रो रही है भारत में ही वेचारी.....कुछ तो......
जवाब देंहटाएंshyam guptaji, kyaa aap kathmandu gaye the? yadi gaye hon, to apka vichar swagatyogya hai, anyatha...? kya aapne kisi antar-rashtrreya hindi samaroh mein kabhee desh se bahar bhag liya hai? athava apne star par koee ayojan karake apnon ko ya doosaron ko sammanit kiya hai? keval revadiyan khana hee nahee chahiye , bantana bhee chahiye. kyaa apne kabhee revadiyan bantee hain? kripya batayen ki hindi kahan rotee huee apko milee, pata dene ka kasht karenge.. gaal bajane se achchha hai ki hindi ke liye kuchh karen, aur apne girevan mein jhankar dekhate bhee rahen...
जवाब देंहटाएंsanjeev mathur
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