मुरादाबाद की मानसरोवर कॉलोनी में रहने वाले डॉ. जी के उपाध्याय शिक्षा, शोध और सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहे हैं। वे एक अच्छे निदेशक तो हैं ही, अच्छे प्रमोटर भी हैं। हाल ही में उन्होंने एक युवा लेखक को प्रामेट किया था। एक दिन संयोग से मैं उनके घर पहुंच गया। वहां पर दो और लोग बैठे हुए थे- एक, मेरे विद्वान मित्र डॉ के के मिश्रा और दूसरे युवक से मेरा अभी तक कोई परिचय नहीं हुआ था। डॉ. मिश्रा ने मेरा परिचय कराया।
बातों-बातों में पता चला कि यही युवक (सौरभ शर्मा) *लव हेट्स मी एण्ड आई लव इट* नामक अंग्रेजी उपन्यास के लेखक हैं, जिसे पॉवर पब्लिकेशन, कोलकाता ने प्रकाशित किया है। डॉ. मिश्रा ने उपन्यास की एक प्रति मुझे दी। मैने उपन्यास को उलट पलटकर देखा। अच्छा यह लगा कि इसे एक युवा लेखक ने आज की युवा पीढ़ी को केन्द्र में रखकर लिखा है।
उपन्यास पढ़ने पर जाना कि इसका नायक शाश्वत अपनी किशोरावस्था से ही प्रेम और पीड़ा को एक साथ बुन रहा है। उसे रागिनी से प्यार हो गया। जैसा कि कई बार होता है कि प्यार एकतरफा चलता रहता है और सामने वाले को पता भी नहीं चलता या पता भी चल जाये तो वह पहले से ही बुक होता है। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में उसे रेस्पाँस नहीं मिल पाता। शाश्वत के साथ भी ऐसा ही हुआ, उसे भी रागिनी से रेस्पाँस नहीं मिला क्योंकि वह पहले से ही एन्गेज थी।
Genre: Fiction or Novel, Pages: 152, Binding: Paperback, Price Rs 250/- ISBN No:- 978-93-82792-52-9 |
एक और कहानी सामने आती है। शाश्वत का दोस्त नवनीत सोनल नामकी लड़की को प्यार करने लगता है। वह उसे पाना चाहता है। इसके लिये नवनीत शाश्वत से कहता है कि वह शोनल से उसकी दोस्ती करा दे। जब वह दोस्ती करा देता है तब वे दोनों शाश्वत को भूल जाते हैं। प्रेम और मित्रता में धोखा खाने के बाद शाश्वत निराश होने लगता है। हताशा में वह शराब और सिगरेट का अतिशय सेवन करने लगता है। डाक्टर उसे बताता है कि उसे केंसर है। ऐसी स्थिति में भी शाश्वत बी.टेक की पढ़ाई पूरी करता है और जॉब भी पा लेता है। उसे डाक्टर की बात याद है कि उसकी जल्दी ही मृत्यु हो जानी है। अत: निराशा में एक दिन वह आत्महत्या कर लेता है।
यह कहानी मुरादाबाद के युवा उपन्यासकार सौरभ शर्मा के जीवन-अनुभवों से जुड़ी हुई है। इसलिऐ इसमें जितना प्रेम, पीड़ा, झूठ-फरेब एवं नफरत का जिक्र है, उतना ही समकालीन युवा मन का सटीक चित्रण भी। पाठकों के लिये यह उपन्यास एक मसाला मूवी की तरह भी हो सकता है बशर्ते इसके दुखद अंत की तुलना मूवी के सुखद अंत से न की जाये। कुल मिलाकर यह उपन्यास अंग्रेजी भाषी युवाओं के लिये पठनीय एवं संग्रहणीय है।
समीक्षक:
अवनीश सिंह चौहान
Novel: Love Hates Me And I Love It by Saurabh Sharma
I still remember that day when i was coming from delhi in ALA-HAZRAT express, i boy sitting in front of me have this novel "LOVE HATES ME AND I LOVE IT", i liked its cover page so i ask him what's this novel is all about and he gave me the overview of it. As soon as i reached Moradabad(my home town) , I ordererd it through flipcart. Within 2 days the novel was in my hand, i read it completely in one go and the ters were rooloing down my eyes. It's the second novel which made me cry (the first one was I TOO HAD A LOVE STORY by RAVINDER SINGH). All the character were very attarctive and resemble todays day-to-day life of youth. Sonal's character was very promising, the way she always stand in all situation with Shaswat, the way she always motivate him but I dont know why she messed up the situation with him, she always consider shaswat as his best buddy. Ragini's character , i dont want to discuss her but she is a real B***H. She always betrays shaswat but shaswat never want to loose her.... Apart from all, this novel is the best work done by SAURABH SHARMA. A nice, simple, decent, heart touching novel. I would surely like to read his next novel, if he ever write. Heartiest congragulation saurabh.... best of luck for your life.... May be in future, I gets an opportunity to meet you....
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