कोलकाता: गत 21 सितम्बर को कोलकाता की प्रमुख साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था `परिवार मिलन' ने सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ बुद्धिनाथ मिश्र के गीत संग्रह `शिखरिणी' को पिछले वर्षों में प्रकाशित 68 प्रतिनिधि छंदोबद्ध काव्य संग्रहों में प्रथम स्थान देते हुए उसे अपने प्रथम `काव्य वीणा ' पुरस्कार से सम्मानित किया। भारतीय भाषा परिषद् के सभागार में आयोजित एक भव्य समारोह में डॉ . मिश्र को धातु-निर्मित पुस्तक-वीणा का प्रतीक-चिह्न, 51 हजार रु. की सम्मान-राशि, शाल, श्रीफल आदि भेंट कर उनके दीर्घ सृजनशील जीवन की कामना की गयी ।
समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र ने बुद्धिनाथ जी के गीतों में ग्रामीण जीवन के यथार्थ पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि बुद्धिनाथ में मैथिली और भोजपुरी के साथ-साथ बंगाली संस्कृति का अद्भुत मिश्रण है।
मुख्या अतिथि डॉ. रामजी तिवारी (मुंबई) ने हिन्दी गीत के परिप्रेक्ष्य में `शिखरिणी' के गीतों में प्रेम और सौंदर्य के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों का विशद विवेचन किया और कहा कि यवतमाल में किसानों की आत्महत्या लेकर केदार घाटी के महा प्रलय को गीतों में स्थान देनेवाले बुद्धिनाथ समकालीन परिस्थितियों के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील गीत-कवि हैं । डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी, डॉ बिमल लाठ , श्री अरुण चुडीवाल और डॉ. दुर्गा व्यास ने `शिखरिणी ' और उसके रचनाकार पर अपने उद्गार व्यक्त किये तथा श्री सुरेश नेवटिया , श्रीमती विमला पोद्दार, श्रीमती कल्याणी खेतान, डॉ . रामलोचन ठाकुर, डॉ . कुसुम खेमानी आदि ने विभिन्न संस्थाओं की और से उनका अभिनन्दन किया।
अरसे बाद कलकत्ता के तमाम साहित्यकारों, हिन्दी विद्वानों, पत्रकारों और हिन्दी-प्रेमियों की सारस्वत उपस्थिति ने इस सम्मान समारोह को ऐतिहासिक गरिमा प्रदान की और `गीतांजलि' की साहित्यिक परम्परा का अभिवंदन किया ।
प्रिय अबनीश भाई,
जवाब देंहटाएंआज ही समाचार देखा । अच्छा लगा । आपने सुदूर पूर्व के समाचार को दिग-दिगंत तक पहुंचा दिया । आभार ।
बुद्धिनाथ मिश्र