नई दिल्ली। यहां केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड में हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु पूरे एक पखवाड़े तक अनेक रोचक, ज्ञानवर्द्धक व प्रेरक कार्यक्रमों व प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन बोर्ड की अध्यक्ष श्रीमती प्रेमा करियप्पा एवं कार्यकारी निदेशक श्री सोहन कुमार झा ने दीप प्रज्जवलित करने के साथ ही बोर्ड की संस्थापक डॉ. दुर्गाबाई देशमुख के चित्र पर माल्यार्पण किया।
इसके पश्चात विभिन्न कार्यक्रमों का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर अहिंदी भाषी श्रीमती करियप्पा ने हिंदी में अपना बेहतरीन भाषण प्रस्तुत कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने देश में एक भाषा की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी से हिंदी को बढ़ावा देने का अनुरोध किया। श्री झा ने राजभाषा हिंदी के बेहतर क्रियान्वयन हेतु अपनी योजनायें बताईं और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उनके आदेशानुसार इस बार अनेक नई तरह की हिंदी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। संयुक्त निदेशक श्रीमती नीलम भारद्वाज ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर बोर्ड की पत्रिका समाज कल्याण के संपादक श्री किशोर श्रीवास्तव की राजभाषा हिंदी जन चेतना कार्टून पोस्टर प्रदर्शनी ‘खरी-खरी’ का प्रदर्शन भी किया गया।
15 दिनों तक विभिन्न प्रतयोगिताओं का आयोजन करने के पश्चात 23 सितंबर को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन करते हुए विभिन्न विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। अंतिम दिन अमरीका से पधारी प्रवासी भारतीय श्रीमती अनिता कपूर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्हें विदेशों में हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु कार्यकारी निदेशक श्री सोहन कुमार झा ने प्रतीक चिन्ह व पुष्प गुच्छ भेंटकर सम्मानित किया। संपादक श्री किशोर श्रीवास्तव ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर सहायक निदेशक श्रीमती मिनैती एवं साथियों सहित सर्वश्री मंजीत सिंह (संपादक-सोशल वेलफेयर), कुसुम चौधरी, सतीश, रवीन्द्र शर्मा, मंजू, शिवमंगल, सतपाल आदि बोर्ड के अनेक अधिकारियों व कर्मचारियों ने गीत, कविता एवं हास-परिहास की सुंदर प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी अधिकारी श्रीमती ज्योति सिंह ने किया। आभार संयुक्त निदेशक श्रीमती नीलम भारद्वाज ने व्यक्त किया एवं संयुक्त निदेशक श्री अरविन्द कुमार सिंह ने पखवाड़े पर अपनी टिप्पणी प्रस्तुत की। पूरे पखवाड़े के कार्यक्रमों की विशेषता यह रही कि कार्यकारी निदेशक महोदय के आवाहन पर इस बार पखवाड़े के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजयी प्रतिभागियों ने अपनी पुरस्कार राशि ज़रूरमतंदों को दान करने हेतु स्वेच्छा से बोर्ड में जमा कराई। इस तरह दान देने हेतु लगभग एक लाख रुपये की राशि इकट्ठा की गई। कार्यकारी निदेशक महोदय की पहल पर संभवतः देश में यह अपने तरह का अनूठा प्रयास व आयोजन रहा।
इसके पश्चात विभिन्न कार्यक्रमों का शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर अहिंदी भाषी श्रीमती करियप्पा ने हिंदी में अपना बेहतरीन भाषण प्रस्तुत कर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने देश में एक भाषा की आवश्यकता पर बल देते हुए सभी से हिंदी को बढ़ावा देने का अनुरोध किया। श्री झा ने राजभाषा हिंदी के बेहतर क्रियान्वयन हेतु अपनी योजनायें बताईं और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि उनके आदेशानुसार इस बार अनेक नई तरह की हिंदी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। संयुक्त निदेशक श्रीमती नीलम भारद्वाज ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर बोर्ड की पत्रिका समाज कल्याण के संपादक श्री किशोर श्रीवास्तव की राजभाषा हिंदी जन चेतना कार्टून पोस्टर प्रदर्शनी ‘खरी-खरी’ का प्रदर्शन भी किया गया।
15 दिनों तक विभिन्न प्रतयोगिताओं का आयोजन करने के पश्चात 23 सितंबर को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन करते हुए विभिन्न विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। अंतिम दिन अमरीका से पधारी प्रवासी भारतीय श्रीमती अनिता कपूर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्हें विदेशों में हिंदी के प्रचार प्रसार हेतु कार्यकारी निदेशक श्री सोहन कुमार झा ने प्रतीक चिन्ह व पुष्प गुच्छ भेंटकर सम्मानित किया। संपादक श्री किशोर श्रीवास्तव ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर सहायक निदेशक श्रीमती मिनैती एवं साथियों सहित सर्वश्री मंजीत सिंह (संपादक-सोशल वेलफेयर), कुसुम चौधरी, सतीश, रवीन्द्र शर्मा, मंजू, शिवमंगल, सतपाल आदि बोर्ड के अनेक अधिकारियों व कर्मचारियों ने गीत, कविता एवं हास-परिहास की सुंदर प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी अधिकारी श्रीमती ज्योति सिंह ने किया। आभार संयुक्त निदेशक श्रीमती नीलम भारद्वाज ने व्यक्त किया एवं संयुक्त निदेशक श्री अरविन्द कुमार सिंह ने पखवाड़े पर अपनी टिप्पणी प्रस्तुत की। पूरे पखवाड़े के कार्यक्रमों की विशेषता यह रही कि कार्यकारी निदेशक महोदय के आवाहन पर इस बार पखवाड़े के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजयी प्रतिभागियों ने अपनी पुरस्कार राशि ज़रूरमतंदों को दान करने हेतु स्वेच्छा से बोर्ड में जमा कराई। इस तरह दान देने हेतु लगभग एक लाख रुपये की राशि इकट्ठा की गई। कार्यकारी निदेशक महोदय की पहल पर संभवतः देश में यह अपने तरह का अनूठा प्रयास व आयोजन रहा।
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