नई दिल्ली (28 अक्टूबर 2013) : अणुव्रत महासमिति द्वारा प्रतिवर्ष उत्कृष्ट नैतिक एवं आदर्श लेखन के लिए प्रदत्त किया जाने वाला ‘अणुव्रत लेखक पुरस्कार’ वर्ष-2011 के लिए लेखक, पत्रकार एवं समाजसेवी श्री ललित गर्ग को अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में जैन विश्व भारती, लाडनूं (राजस्थान) में आयोजित राष्ट्रीय अणुव्रत लेखक सम्मेलन में दिनांक 26 अक्टूबर 2013 को प्रदत्त किया गया। अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा ने श्री गर्ग को इक्यावन हजार रुपए की राशि का चैक,स्मृति चिह्न और प्रशस्ति पत्र प्रदत्त कर उन्हें सम्मानित किया। श्री गर्ग पिछले तीन दशक से राष्ट्रीय स्तर पर लेखन और पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं प्रदत्त करते हुए अणुव्रत आंदोलन के साथ सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। विदित हो वर्तमान में श्री गर्ग सूर्यनगर एज्यूकेशनल सोसायटी (रजि॰) द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल के विकास एवं मैनेजमेंट कमेटी के चेयरमैन है।
आचार्यश्री महाश्रमण ने श्री गर्ग की नैतिक एवं स्वस्थ लेखन की प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए कहा कि श्री गर्ग सृजनशील प्रतिभा हैं जिनमें सरलता, सादगी और नैतिक निष्ठा दिखाई देती है। ये संस्कार इन्हें इनके पिता वरिष्ठ पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार स्व॰ श्री रामस्वरूपजी गर्ग से विरासत में प्राप्त हुए हैं। आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के साथ सक्रिय रूप से कार्य करने वाले इनके पिताजी ने अणुव्रत आंदोलन की सक्रिय सेवाएं की हैं। श्री ललित गर्ग भी अणुव्रत आंदोलन, आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और हमारे वर्तमान कार्यक्रमों में विशिष्ट सहयोगी हैं। आचार्य श्री महाश्रमण ने अणुव्रत महासमिति के इस चयन को सही बताया और गर्ग की धर्मसंघ के प्रति सेवा और समर्पण भावना की सराहना की। आचार्य श्री महाश्रमण ने आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी की चर्चा करते हुए कहा कि देश में नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों की स्थापना में अणुव्रत आंदोलन का विशिष्ट योगदान है। उन्होंने लेखकों को सामाजिक विचारधारा का वाहक बताया और लेखन में नैतिकता अपनाने का आह्वान किया। अणुव्रत लेखक पुरस्कार की चर्चा करते हुए कहा कि उत्कृष्ट और नैतिक लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए ऐसे लेखकों की विशेषताओं को स्वीकार कर हम उनका सम्मान करें, आदर करें, इससे एक बड़ी शक्ति का प्रस्फुटन हो सकता है।
अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा ने श्री गर्ग और उनके परिवार द्वारा की गई उल्लेखनीय समाज सेवा चर्चा करते हुए कहा कि श्री ललित गर्ग हमारे समाज की एक विशिष्ट प्रतिभा है। साहित्य,पत्रकारिता और जनसंपर्क की दृष्टि से इनकी समाज को विशिष्ट सेवाएं प्राप्त हो रही हैं। अणुव्रत आंदोलन को उन्होंने पिछले तीन दशक में राष्ट्रव्यापी स्तर पर स्थापित करने में उल्लेखनीय सहयोग किया।
अणुव्रत लेखक पुरस्कार से सम्मानित श्री गर्ग ने आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुरस्कार मेरे लिए महान् संत पुरुषों का आशीर्वाद है। मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे बचपन से ही आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ और आचार्य श्री महाश्रमण का असीम अनुग्रह, स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। बचपन में जहां गांधी, विनोबा भावे और आचार्य तुलसी के साथ पिताजी से जुड़े निकटता के अनूठे संस्कारों से शिक्षित होने का अवसर मिला। आज प्राप्त पुरस्कार पिताजी की अविस्मरणीय एवं अनुकरणीय सेवाओं का ही अंकन है। उन जैसी सरलता, सादगी, समर्पण और नैतिक निष्ठा को जीना दुर्लभ है। फिर भी गुरुदेव श्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण से ऐसे आशीर्वाद की कामना है कि उनके नैतिक और मानवतावादी कार्यक्रमों में अपने आपको अधिक नियोजित करते हुए समाज और राष्ट्र की अधिक-से-अधिक सेवा कर सकूं।
इस अवसर पर श्री ठाकरमल सेठिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री गर्ग का जीवन प्रेरक है क्योंकि इन्हें बचपन से ही एक आदर्श पिता के साथ-साथ आचार्य तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण जैसे महान पुरुषों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ है। ये सम्मान प्रतिभा के साथ-साथ संस्कारों का भी सम्मान है। अणुव्रत महासमिति के महामंत्री श्री संपत सामसुखा ने प्रशस्ति पत्र का वाचन करते हुए कहा कि श्री गर्ग ने पत्रकारिता के क्षेत्र में नैतिक दर्शन और मूल्यों को प्रतिस्थापित करने की दृष्टि से प्रयत्न किए हैं। आपने पंद्रह वर्षों तक ‘‘अणुव्रत पाक्षिक’’ का संपादन किया। ‘‘अणुव्रत लेखक मंच’’ के संयोजक के रूप में लेखकों को संगठित करने और उन्हें नैतिक लेखन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विशिष्ट प्रयत्न किए। वर्तमान में भी ‘समृद्ध सुखी परिवार’ मासिक पत्रिका के संपादक के अलावा अन्य पत्र-पत्रिकाओं का संपादकीय दायित्व निभा रहे हैं। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए डॉ.. आनंद प्रकाश त्रिपाठी रत्नेश ने श्री ललित गर्ग की विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी की चर्चा करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई दी।
स्वर्गीय ‘शासनभक्त’ हुकुमचंद सेठिया, जलगाँव (महाराष्ट्र) की पुण्य स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले अणुव्रत लेखक पुरस्कार से अब तक स्व॰ श्री धरमचंद चोपड़ा, डॉ. निजामुद्दीन, श्री राजेन्द्र अवस्थी, श्री राजेन्द्र शंकर भट्ट, डॉ. मूलचंद सेठिया, डॉ. के. के. रत्तू, डॉ. छगनलाल शास्त्री, श्री विश्वनाथ सचदेव, डॉ. नरेन्द्र शर्मा कुसुम, डॉ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, श्रीमती सुषमा जैन एवं प्रो. उदयभानू हंस सम्मानित हो चुके हैं।
आचार्यश्री महाश्रमण ने श्री गर्ग की नैतिक एवं स्वस्थ लेखन की प्रतिबद्धता की चर्चा करते हुए कहा कि श्री गर्ग सृजनशील प्रतिभा हैं जिनमें सरलता, सादगी और नैतिक निष्ठा दिखाई देती है। ये संस्कार इन्हें इनके पिता वरिष्ठ पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार स्व॰ श्री रामस्वरूपजी गर्ग से विरासत में प्राप्त हुए हैं। आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ के साथ सक्रिय रूप से कार्य करने वाले इनके पिताजी ने अणुव्रत आंदोलन की सक्रिय सेवाएं की हैं। श्री ललित गर्ग भी अणुव्रत आंदोलन, आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और हमारे वर्तमान कार्यक्रमों में विशिष्ट सहयोगी हैं। आचार्य श्री महाश्रमण ने अणुव्रत महासमिति के इस चयन को सही बताया और गर्ग की धर्मसंघ के प्रति सेवा और समर्पण भावना की सराहना की। आचार्य श्री महाश्रमण ने आचार्य तुलसी जन्म शताब्दी की चर्चा करते हुए कहा कि देश में नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों की स्थापना में अणुव्रत आंदोलन का विशिष्ट योगदान है। उन्होंने लेखकों को सामाजिक विचारधारा का वाहक बताया और लेखन में नैतिकता अपनाने का आह्वान किया। अणुव्रत लेखक पुरस्कार की चर्चा करते हुए कहा कि उत्कृष्ट और नैतिक लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए ऐसे लेखकों की विशेषताओं को स्वीकार कर हम उनका सम्मान करें, आदर करें, इससे एक बड़ी शक्ति का प्रस्फुटन हो सकता है।
अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष श्री बाबूलाल गोलछा ने श्री गर्ग और उनके परिवार द्वारा की गई उल्लेखनीय समाज सेवा चर्चा करते हुए कहा कि श्री ललित गर्ग हमारे समाज की एक विशिष्ट प्रतिभा है। साहित्य,पत्रकारिता और जनसंपर्क की दृष्टि से इनकी समाज को विशिष्ट सेवाएं प्राप्त हो रही हैं। अणुव्रत आंदोलन को उन्होंने पिछले तीन दशक में राष्ट्रव्यापी स्तर पर स्थापित करने में उल्लेखनीय सहयोग किया।
अणुव्रत लेखक पुरस्कार से सम्मानित श्री गर्ग ने आयोजकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह पुरस्कार मेरे लिए महान् संत पुरुषों का आशीर्वाद है। मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे बचपन से ही आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ और आचार्य श्री महाश्रमण का असीम अनुग्रह, स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हुआ है। बचपन में जहां गांधी, विनोबा भावे और आचार्य तुलसी के साथ पिताजी से जुड़े निकटता के अनूठे संस्कारों से शिक्षित होने का अवसर मिला। आज प्राप्त पुरस्कार पिताजी की अविस्मरणीय एवं अनुकरणीय सेवाओं का ही अंकन है। उन जैसी सरलता, सादगी, समर्पण और नैतिक निष्ठा को जीना दुर्लभ है। फिर भी गुरुदेव श्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण से ऐसे आशीर्वाद की कामना है कि उनके नैतिक और मानवतावादी कार्यक्रमों में अपने आपको अधिक नियोजित करते हुए समाज और राष्ट्र की अधिक-से-अधिक सेवा कर सकूं।
इस अवसर पर श्री ठाकरमल सेठिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री गर्ग का जीवन प्रेरक है क्योंकि इन्हें बचपन से ही एक आदर्श पिता के साथ-साथ आचार्य तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञ एवं आचार्य श्री महाश्रमण जैसे महान पुरुषों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ है। ये सम्मान प्रतिभा के साथ-साथ संस्कारों का भी सम्मान है। अणुव्रत महासमिति के महामंत्री श्री संपत सामसुखा ने प्रशस्ति पत्र का वाचन करते हुए कहा कि श्री गर्ग ने पत्रकारिता के क्षेत्र में नैतिक दर्शन और मूल्यों को प्रतिस्थापित करने की दृष्टि से प्रयत्न किए हैं। आपने पंद्रह वर्षों तक ‘‘अणुव्रत पाक्षिक’’ का संपादन किया। ‘‘अणुव्रत लेखक मंच’’ के संयोजक के रूप में लेखकों को संगठित करने और उन्हें नैतिक लेखन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विशिष्ट प्रयत्न किए। वर्तमान में भी ‘समृद्ध सुखी परिवार’ मासिक पत्रिका के संपादक के अलावा अन्य पत्र-पत्रिकाओं का संपादकीय दायित्व निभा रहे हैं। कार्यक्रम का संयोजन करते हुए डॉ.. आनंद प्रकाश त्रिपाठी रत्नेश ने श्री ललित गर्ग की विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी की चर्चा करते हुए उन्हें हार्दिक बधाई दी।
स्वर्गीय ‘शासनभक्त’ हुकुमचंद सेठिया, जलगाँव (महाराष्ट्र) की पुण्य स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाले अणुव्रत लेखक पुरस्कार से अब तक स्व॰ श्री धरमचंद चोपड़ा, डॉ. निजामुद्दीन, श्री राजेन्द्र अवस्थी, श्री राजेन्द्र शंकर भट्ट, डॉ. मूलचंद सेठिया, डॉ. के. के. रत्तू, डॉ. छगनलाल शास्त्री, श्री विश्वनाथ सचदेव, डॉ. नरेन्द्र शर्मा कुसुम, डॉ. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, श्रीमती सुषमा जैन एवं प्रो. उदयभानू हंस सम्मानित हो चुके हैं।
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