मुरादाबाद : 20 दिसंबर 2014: महाराजा हरिश्चन्द्र पीजी कालेज के अंग्रेजी विभाग में डॉ सीएल खत्री की कविता 'टू मिनट साईलेंस’ पर एक दिवसीय व्याख्यान का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ मधुबाला सक्सैना, डॉ विशेष गुप्ता एवं डॉ अवनीश सिंह चैहान द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ।
प्रतिभागी छात्रों को सम्मानित करते डॉ विशेष गुप्ता, डॉ मधुवाला सक्सैना एवं डॉ अवनीश सिंह चौहान |
मंच पर डॉ विशेष गुप्ता एवं डॉ मधुवाला सक्सैना |
एक दिवसीय व्याख्यान का विषय प्रस्तुत करते हुए ऋचा शर्मा ने खत्री जी की कविता पर विचार रखने के लिये उपस्थित प्राध्यापकगण एवं छात्रों को आमंत्रित किया। कॉलेज के विद्वान प्राध्यापक डॉ सुधीर कुमार अरोरा ने सीएल खत्री की कविता का विस्तृत विश्लेषण करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए इस कविता में समाज का एक सुन्दर मॉडल प्रस्तुत किया गया है, जिसमें प्रत्येक भारतीय को आगे बढ़कर अपना योगदान देना चाहिए। तदुपरांत मुज्जिमल जी ने खत्री जी की कविता का उर्दू अनुवाद व आतिफ सुजाद ने डॉ सुधीर अरोड़ा द्वारा हिन्दी में अनुवादित कविता को विधिवत प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज के चीफ प्रॉक्टर डॉ विशेष गुप्ता ने समाज, संस्कृति एवं साहित्य पर पुर्नमंथन की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में आमंत्रित विषय विशेषज्ञ डॉ अवनीश सिंह चैहान ने कहा कि डॉ सीएल खत्री की कविता बदलते मूल्यों के साथ भारतीय पराम्पराओं के टूटने और असंयमित आधुनिक जीवन शैली के दुष्परिणामों पर प्रकाश डालती है। अंग्रेजी विभाग की अध्यक्षा आदरणीया डॉ मधुबाला सक्सैना ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय अंग्रेजी साहित्य के समकालीन कवियों का विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना एक अच्छी पहल के रूप में देखा जा सकता है।
इस अवसर पर विभाग के छात्रों - उज़मा नाज़, युसरा कामरान, तानिया राजपूत, फतेह ताज, जौहा, गौरव आदि ने भी उक्त कविता पर अपने मौलिक विचार रखे।
इस अवसर पर 100 से अधिक छात्र-छात्राओं सहित अनेक प्रध्यापक एवं प्राध्यापिकाओं, जिनमें डॉ नरेन्द्र सिंह, डॉ रविश कुमार, डॉ मनीष भट्ट, डॉ मुकेश चन्द्र गुप्ता, डॉ प्रियंका गुप्ता, डॉ सुषमा गुप्ता, डॉ संगीता गुप्ता, डॉ मीना गुप्ता, डॉ असमा अजीज, डॉ इन्द्रा कश्यप, शीबा, शमा आदि उपस्थित रहे। मंच का संचालन डॉ शुभ्रा गुप्ता ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ मधुबाला सक्सैना ने किया ।
'टू मिनट साईलेंस’ : अनुवादक - डॉ सुधीर अरोड़ा
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मेरे देश की बहनों और भाईयों
आइऐे
दो मिनट का मौन रखे
उन टूटे हुए माइक्रोफोन के लिये
संसद की उन टूटी हुई कुर्सियों के लिये
संविधान के फटे हुए पन्नो के लिये
आइऐ
दो मिनट को मौन रखें
मेरे देश की सभी माताओं और पिताओं
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें
आप सभी की काव्यात्मक मृत्यु पर
आपके डर के सहम जाने पर
आपके वायदों और मूल्यों के सम्मान की मृत्यु पर
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें
मेरी देश की सभी भद्र महिलाओं और पुरूषों
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें
परम्पारिक घोती के गुम हो जाने पर
सम्मानित पगड़ी के गिर जाने पर
बैलों और कुलियों के गायब हो जाने पर
पहियों के आने से
हाथों के कट जाने पर
टांगो के लगड़ाने पर
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें
मेरे साथ आइऐ
मित्रों
दो मिनट मौन रखें
इस नयी संस्कृति के लिये
जो नाम से महान है
वहार से शानदार हैं
इस शताब्दी के लिये
जो अपने बड़े-बड़े वायदो के लिये
शानदार से भी ज्यादा शानदार सी लगती है
आइए,
दो मिनट का मौन रखें
अंतरिक्ष के सिकुड़ने पर
सूर्य के सिकुड़ने पर
पवित्र नदियों के जल के मैला हो जाने पर
चिड़ियों का चिर निद्रा में सो जाने पर
पत्तियों के लिये पतझड़ हो जाने पर
भाईयों के झगड़ो के बीच
तरबूज के टुकड़े-टुकड़े हो जाने पर
आइऐ
दो मिनट का मौन रखें
इतने में कोई जल्दी से
मेरे कानों में फुसफुसाता है
क्या ऐसा नहीं हो सकता कि
हम दो मिनट के बजाय
एक ही मिनट का मौन रखें !
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Sisters and brothers of India Let’s observe two-minute silence On the uprooted microphone On the broken chair in the parliament On the torn pages of the constitution. Mothers and Fathers of India Let’s observe two-minute silence On your death, on the death Of your fear and deference To your vows and values. Ladies and gentlemen of India Let’s observe two-minute silence On the death of dhoti and pugadi Oxen and coolies replaced by wheels Chopped up hands and lame legs. Friends, stand with me To observe two-minute silence On this great grand culture On this glorious century On its great promises. Let’s observe two-minute silence On the shrinking space, shrinking sun Stinking water of the sacred rivers Sleeping birds, falling leaves Watermelon being sliced for quarreling cousins. Someone whispered in my ear Can’t we do with one minute…? (‘Two-Minute Silence’ from Two Minute Silence 67-68) |
आपकी लिखी रचना आज बुधवार 24 दिसंबर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंpl see it
जवाब देंहटाएंhttps://www.youtube.com/watch?v=cvpVA0D8XE0