दाऐं से बाएँ : डाॅ जीवन सिंह, हरेराम समीप, रामकुमार कृषक, विनय मिश्र एवं रामचरण राग |
अलवर, 26 जून। ‘‘विनय मिश्र के दोहे मानवीय संवेदना को बचाने और जीवन के संघर्ष में सच्चाई के साथ खड़ा होने की हिमायत करते हैं। आज के संवेदनहीन समय में उनके दोहे हमारे मन में संवेदना को बचाने की एक सार्थक पहल करते हैं। लोकचेतना, संघर्ष और प्रेम उनके दोहों के मुख्य स्वर हैं जो उन्हें तुलसी और नागार्जुन की परम्परा से जोड़ते हैं।’’ यह बात युवा कवि विनय मिश्र के चौथे काव्य संग्रह- ‘इस पानी में आग’ समकालीन दोहों के संग्रह का लोकार्पण करते हुए वरिष्ठ कवि, चिंतक और सम्पादक रामकुमार कृषक ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कही।
वरिष्ठ कवि-समीक्षक व समारोह के मुख्य अतिथि हरेराम समीप ने विनय मिश्र को भारतीय चेतना का कवि कहते हुए कहा कि उनके दोहों का मूल धर्म अपने समय, समाज और स्वयं से संवाद है। इसी क्रम में समारोह के विशिष्ट वक्ता और हिन्दी कविता के ख्यातिलब्ध समीक्षक डाॅ जीवन सिंह ने विनय मिश्र के दोहों की इस पुस्तक को अपने समय के अघोषित आपातकाल का दस्तावेज बताया और कहा- ‘‘इस विषमता मूलक समाज में एक समतामूलक समाज का सपना उनके इस दोहा संग्रह में मौजूद है जो हमारी बहुलधर्मी संस्कृति और सामासिकता के पक्ष में खड़ा है।’’
इस अवसर पर अपने चुनिंदा दोहों का पाठ करते हुए विनय मिश्र ने कहा कि कविता वही होती है जो कवि स्वयं होता है। अतः बड़ी कविता लिखने के लिए उसके प्रति गहरा विश्वास जरूरी है। पद्मश्री सूर्यदेव बारेठ ने इस अवसर पर कहा कि उनके दोहे लोकतंत्र और सच्चाई के साथ खड़े हैं। कला महाविद्यालय के उपाचार्य डाॅ शषिकान्त शर्मा ने उन्हें बधाई देते हुए इस पुस्तक को अपने समय का आईना बताया। उन्होंने कहा कि उनके दोहे अपने भीतर झाँकने और खुद से सवाल करने में समर्थ हैं। उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए डाॅ श्याम शर्मा, डाॅ हेमा देवरानी, भिवाड़ी से पधारी कथाकार रेणु अस्थाना, वरिष्ठ व्यंगकार एवं लेखक डाॅ अशोक शुक्ल आदि शहर के प्रबुद्ध साहित्य प्रेमियों ने प्रसन्नता व्यक्त की और यह स्वीकारा कि हिन्दी कविता के छांदस आंदोलन की शुरूआत आज अलवर से हो गई है।
इस अवसर पर रेवती रमण शर्मा, प्रदीप माथुर, हरिशंकर गोयल, इन्द्रकुमार तोलानी, डाॅ रमेश बैरवा, शीला स्वामी, सविता भार्गव, राज गुप्ता, सरिता भारत, रेणु मिश्रा, डाॅ अंशु वाजपेयी, अलका अवस्थी, डाॅ सुमन सिंह, बीना शर्मा, डाॅ छंगाराम मीणा, खेमेन्द्र सिंह, मा प्यारे सिंह, त्रिलोक शर्मा, मुकेश मीणा, दुर्गेश शर्मा आदि बड़ी संख्या में शहर के कवि, लेखक और मीड़ियाकर्मी उपस्थित रहे। इस समारोह का संचालन युवाकवि रामचरण राग ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ रमेश चन्द्र खण्डूरी ने दिया।
Doha Sangrah By Vinay Mishra, Alwer, Raj., Indiaवरिष्ठ कवि-समीक्षक व समारोह के मुख्य अतिथि हरेराम समीप ने विनय मिश्र को भारतीय चेतना का कवि कहते हुए कहा कि उनके दोहों का मूल धर्म अपने समय, समाज और स्वयं से संवाद है। इसी क्रम में समारोह के विशिष्ट वक्ता और हिन्दी कविता के ख्यातिलब्ध समीक्षक डाॅ जीवन सिंह ने विनय मिश्र के दोहों की इस पुस्तक को अपने समय के अघोषित आपातकाल का दस्तावेज बताया और कहा- ‘‘इस विषमता मूलक समाज में एक समतामूलक समाज का सपना उनके इस दोहा संग्रह में मौजूद है जो हमारी बहुलधर्मी संस्कृति और सामासिकता के पक्ष में खड़ा है।’’
इस अवसर पर अपने चुनिंदा दोहों का पाठ करते हुए विनय मिश्र ने कहा कि कविता वही होती है जो कवि स्वयं होता है। अतः बड़ी कविता लिखने के लिए उसके प्रति गहरा विश्वास जरूरी है। पद्मश्री सूर्यदेव बारेठ ने इस अवसर पर कहा कि उनके दोहे लोकतंत्र और सच्चाई के साथ खड़े हैं। कला महाविद्यालय के उपाचार्य डाॅ शषिकान्त शर्मा ने उन्हें बधाई देते हुए इस पुस्तक को अपने समय का आईना बताया। उन्होंने कहा कि उनके दोहे अपने भीतर झाँकने और खुद से सवाल करने में समर्थ हैं। उन्हें शुभकामनाएँ देते हुए डाॅ श्याम शर्मा, डाॅ हेमा देवरानी, भिवाड़ी से पधारी कथाकार रेणु अस्थाना, वरिष्ठ व्यंगकार एवं लेखक डाॅ अशोक शुक्ल आदि शहर के प्रबुद्ध साहित्य प्रेमियों ने प्रसन्नता व्यक्त की और यह स्वीकारा कि हिन्दी कविता के छांदस आंदोलन की शुरूआत आज अलवर से हो गई है।
इस अवसर पर रेवती रमण शर्मा, प्रदीप माथुर, हरिशंकर गोयल, इन्द्रकुमार तोलानी, डाॅ रमेश बैरवा, शीला स्वामी, सविता भार्गव, राज गुप्ता, सरिता भारत, रेणु मिश्रा, डाॅ अंशु वाजपेयी, अलका अवस्थी, डाॅ सुमन सिंह, बीना शर्मा, डाॅ छंगाराम मीणा, खेमेन्द्र सिंह, मा प्यारे सिंह, त्रिलोक शर्मा, मुकेश मीणा, दुर्गेश शर्मा आदि बड़ी संख्या में शहर के कवि, लेखक और मीड़ियाकर्मी उपस्थित रहे। इस समारोह का संचालन युवाकवि रामचरण राग ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ रमेश चन्द्र खण्डूरी ने दिया।
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