बीकानेर : राजस्थान की जानी -मानी वरिष्ठ रंगनेत्री सुश्री मंजु रांकावत ने मेरे नाटक ''वो सुबह कभी तो होगी '' को अपने काबिल निर्देशन द्वारा पौने दो घंटे तक दर्शको को बांधे रखा ! 11 सितम्बर को मंचित इस नाटक के लिए और ख़ास बात ये भी थी की इस महिला प्रदान नाटक को जिसमे कुल तेरह किरदारों में सात तो महिला किरदार थे जो एक अरसे बाद इतनी महिला कलाकारो को एक साथ बीकानेर के रंगमंच ने देखा और इसमें ख़ास बात भी की वो भी जानी -मानी महिला रंगनेत्री सुश्री मंजु जी के कुशल निर्देशन में ! अगर देखा जाए तो राजस्थान में महिला निर्देशकों की संख्या सीमित ही और उनमे से मंजु जी एक है ! ''वो सुबह कभी तो होगी '' मुस्लिम परिवेश में ढला उस आशा /अस्मा की पीड़ा थी जो प्रेम तो कर बैठी और अपने रूढ़िवादी परिवार की दहलीज भी लांघ ली मगर तब तक विलम्ब हो चुका था अपने निर्णय पर की जिससे उसने प्यार किया वो आशु आशुतोष नहीं अशरफ था ! नाटक में सभी किरदारों डूब के काम किया। निर्देशक मंजू जी ने मेहनत भी बहुत की अपने पात्रो को सवारने में ! मैंने सभी कलाकारों श्रीमती प्रीती बोथरा , नेहा शर्मा। श्रीमती ज्योति सेठिया। आयुषी भूरा। साक्षी , कोमल , शैलन्द्र सिंह भाटी। पंकज व्यास। नवनीत रंगा , आयुष मोदी। मनोज भरत सिंह , सहित अर्पण आर्ट सोसायटी के रंगकर्मी , निर्देशक श्री दलीप सिंह भाटी एवं सभी सम्मानित सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ! प्रस्तुति के दौरान रंगमंच के वरिष्ठ हस्ताक्षर भी मंचन की गरिमा सुशोभित कर रहे थे ! पुनः निर्देशिका मंजु रांकावत को बधाई सफल मंचन के लिए ! शुभ कामनाओं सहित !
haardik aabhar
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