फैजाबाद। अवधी भाषा के लिए पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त फैजाबादी कवि स्व आचार्य विश्वनाथ पाठक की द्वितीय पुण्यतिथि पर उनके जीवन और साहित्य को याद किया गया।
आपस संस्था के मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में आचार्य पाठक के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी और उनकी चर्चित पुस्तक सर्वमंगला के कुछ अंशों का सस्वर पाठ किया गया। इस अवसर पर आपस के निदेशक डाॅ विन्ध्यमणि ने कहा कि आचार्य विश्वनाथ पाठक का साहित्य भारतीय लोक जीवन का महत्वपूर्ण दस्तावेजी साहित्य है। पालि, प्राकृत, अपभ्रश, अवधी का ऐसा विद्वान अब मिलना मुश्किल है। सर्वमंगला और घर कै कथा जैसी कृतिया आज भी भारतीय परिवेश के लिए व्यापक अध्ययन और समीक्षा की मांग करती हैं। कठिन शब्दों की व्युत्पत्ति में उनके जैसा कोई नहीं।
डाॅ हरिश्चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि आचार्य पाठक ने साहित्य की लोक पक्ष को अपने जीवन और साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान पर रखा। दिनेशचन्द्र ने घर कै कथा की शब्द चयन योजना के सन्दर्भ में विस्तृत विवेचना प्रस्तुत किया। डाॅ मधु ने कहा कि पाठक जी के जीवन की भाव और क्रिया एक समान थी। उन्होंने अवधी भाषा के माध्यम से सर्वमंगला में वैश्विक समस्याओं का निराकरण प्रस्तुत किया। डाॅ राकेश शर्मा ने पाठक जी द्वारा अनुवादित कृतियों पर प्रकाश डाला और वज्जालग्ग के अवधी छन्दों को सुनाया।
इस अवसर पर अमित कुमार, आलोक गुप्ता, पुरुषोत्तम तिवारी, विनय मिश्र, मनोराम, पंकज सिंह के साथ अनेक साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया। अन्त में पुरुषोत्तम कुमार ने आये हुये सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
Remembering Acharya Vishwanath Pathak, Faizabad, U.P.आपस संस्था के मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में आचार्य पाठक के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी और उनकी चर्चित पुस्तक सर्वमंगला के कुछ अंशों का सस्वर पाठ किया गया। इस अवसर पर आपस के निदेशक डाॅ विन्ध्यमणि ने कहा कि आचार्य विश्वनाथ पाठक का साहित्य भारतीय लोक जीवन का महत्वपूर्ण दस्तावेजी साहित्य है। पालि, प्राकृत, अपभ्रश, अवधी का ऐसा विद्वान अब मिलना मुश्किल है। सर्वमंगला और घर कै कथा जैसी कृतिया आज भी भारतीय परिवेश के लिए व्यापक अध्ययन और समीक्षा की मांग करती हैं। कठिन शब्दों की व्युत्पत्ति में उनके जैसा कोई नहीं।
डाॅ हरिश्चन्द्र पाण्डेय ने कहा कि आचार्य पाठक ने साहित्य की लोक पक्ष को अपने जीवन और साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान पर रखा। दिनेशचन्द्र ने घर कै कथा की शब्द चयन योजना के सन्दर्भ में विस्तृत विवेचना प्रस्तुत किया। डाॅ मधु ने कहा कि पाठक जी के जीवन की भाव और क्रिया एक समान थी। उन्होंने अवधी भाषा के माध्यम से सर्वमंगला में वैश्विक समस्याओं का निराकरण प्रस्तुत किया। डाॅ राकेश शर्मा ने पाठक जी द्वारा अनुवादित कृतियों पर प्रकाश डाला और वज्जालग्ग के अवधी छन्दों को सुनाया।
इस अवसर पर अमित कुमार, आलोक गुप्ता, पुरुषोत्तम तिवारी, विनय मिश्र, मनोराम, पंकज सिंह के साथ अनेक साहित्य प्रेमियों ने भाग लिया। अन्त में पुरुषोत्तम कुमार ने आये हुये सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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