हैदराबाद, 19 मार्च, 2017। साठ्ये महाविद्यालय, विले पार्ले, मुंबई के तत्वावधान में ‘स्त्री साहित्य’ विषय पर एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। संगोष्ठी का उद्घाटन जे. एस. विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश के कुलपति डॉ. हरिमोहन ने किया। बीज वक्तव्य प्रख्यात साहित्यकार डॉ. सूर्यबाला ने दिया. अध्यक्षता डॉ. कविता रेगे ने की तथा संचालन डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने किया।
डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने यह जानकारी दी है कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में हैम्बर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी से आए डॉ. रामप्रसाद भट्ट और न्यू जेरसी, अमेरिका से आई डॉ. देवी नागरानी ने बतौर विशेष अतिथि उपस्थिति दर्ज कराई। संगोष्ठी के विविध सत्रों में डॉ. योगेश दुबे, बिजय कुमार जैन, डॉ. एन. जी. देवकी, डॉ. राजम नटराजन पिल्लै, डॉ. विजयबहादुर सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह. डॉ. श्रीराम परिहार, डॉ. सुधा अरोड़ा, डॉ. महात्मा पांडेय, डॉ. धनंजय सिंह, डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी, डॉ. सुशील कुमार और डॉ. विनय कुमार आदि विद्वानों और साहित्यकारों ने विश्व की विभिन्न भाषाओं के स्त्री साहित्य पर गहन विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह द्वारा संपादित पुस्तक ‘स्त्री साहित्य’ को भी इस अवसर पर लोकार्पित किया गया।
इंद्रधनुष थियेटर के कलाकारों द्वारा प्रेमचंद की कहानी ‘मिस पद्मा’ की नाट्य प्रस्तुति ने भी खूब सराहना प्राप्त की।
डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने यह जानकारी दी है कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में हैम्बर्ग विश्वविद्यालय, जर्मनी से आए डॉ. रामप्रसाद भट्ट और न्यू जेरसी, अमेरिका से आई डॉ. देवी नागरानी ने बतौर विशेष अतिथि उपस्थिति दर्ज कराई। संगोष्ठी के विविध सत्रों में डॉ. योगेश दुबे, बिजय कुमार जैन, डॉ. एन. जी. देवकी, डॉ. राजम नटराजन पिल्लै, डॉ. विजयबहादुर सिंह, डॉ. अनिल कुमार सिंह. डॉ. श्रीराम परिहार, डॉ. सुधा अरोड़ा, डॉ. महात्मा पांडेय, डॉ. धनंजय सिंह, डॉ. बजरंग बिहारी तिवारी, डॉ. सुशील कुमार और डॉ. विनय कुमार आदि विद्वानों और साहित्यकारों ने विश्व की विभिन्न भाषाओं के स्त्री साहित्य पर गहन विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. प्रदीप कुमार सिंह द्वारा संपादित पुस्तक ‘स्त्री साहित्य’ को भी इस अवसर पर लोकार्पित किया गया।
इंद्रधनुष थियेटर के कलाकारों द्वारा प्रेमचंद की कहानी ‘मिस पद्मा’ की नाट्य प्रस्तुति ने भी खूब सराहना प्राप्त की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आपकी प्रतिक्रियाएँ हमारा संबल: