हरियाणा साहित्य अकादमी ने प्रसिद्ध साहित्यकार और शोध दिशा के प्रधान संपादक डा. गिरिराजशरण अग्रवाल को आजीवन साहित्य साधना सम्मान प्रदान किया है. राष्ट्रीय स्तर का यह सम्मान हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल ने एक भव्य समारोह में प्रदान किया. डा. अग्रवाल को स्मृति चिह्न के अतिरिक्त सात लाख रुपए का चेक भी दिया गया.
संभल (उ.प्र.) में 14 जुलाई 1944 को जन्मे डा. अग्रवाल ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की. संभल के बाद उनकी कर्मभूमि बिजनौर रही और वहीं से उन्होंने 'शोध दिशा' तथा 'शोध संदर्भ' (छह खंड) के प्रधान संपादक के रूप में महत्वपूर्ण काम किया.
गीत, ग़ज़ल, कहानी, एकांकी, निबंध, हास्य-व्यंग्य, बालसाहित्य एवं समालोचना के क्षेत्र में उन्होंने भरपूर काम किया है. उनकी संपादित और मौलिक शताधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं.
उन्हें अब तक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से साहित्यभूषण, केंद्रीय हिन्दी निदेशालय से शिक्षा पुरस्कार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रथम पुरस्कार, विद्यासागर, विद्यावारिधि, रतन शर्मा बालसाहित्य पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सूर पुरस्कार, समन्वय सहारनपुर द्वारा सारस्वत सम्मान, राष्ट्रधर्म गौरव सम्मान, राष्ट्रीय हिन्दीसेवी सहस्राब्दी सम्मान सहित अनेकानेक सम्मान प्राप्त हुए हैं. डा. अग्रवाल के साहित्य पर भारत के विविध विश्वविद्यालयों में पी-एच.डी. उपाधि के लिए 20 से अधिक शोधकार्य हुए हैं.
संभल (उ.प्र.) में 14 जुलाई 1944 को जन्मे डा. अग्रवाल ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त की. संभल के बाद उनकी कर्मभूमि बिजनौर रही और वहीं से उन्होंने 'शोध दिशा' तथा 'शोध संदर्भ' (छह खंड) के प्रधान संपादक के रूप में महत्वपूर्ण काम किया.
गीत, ग़ज़ल, कहानी, एकांकी, निबंध, हास्य-व्यंग्य, बालसाहित्य एवं समालोचना के क्षेत्र में उन्होंने भरपूर काम किया है. उनकी संपादित और मौलिक शताधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं.
उन्हें अब तक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से साहित्यभूषण, केंद्रीय हिन्दी निदेशालय से शिक्षा पुरस्कार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का प्रथम पुरस्कार, विद्यासागर, विद्यावारिधि, रतन शर्मा बालसाहित्य पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सूर पुरस्कार, समन्वय सहारनपुर द्वारा सारस्वत सम्मान, राष्ट्रधर्म गौरव सम्मान, राष्ट्रीय हिन्दीसेवी सहस्राब्दी सम्मान सहित अनेकानेक सम्मान प्राप्त हुए हैं. डा. अग्रवाल के साहित्य पर भारत के विविध विश्वविद्यालयों में पी-एच.डी. उपाधि के लिए 20 से अधिक शोधकार्य हुए हैं.
Dr Girirajsharan Agrawal
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