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मंगलवार, 25 जुलाई 2017

राकेश तिवारी के उपन्यास ‘फसक’ का लोकार्पण और चर्चा


दिनांक : 21 जुलाई 2017 (सायं 5 बजे)
स्थान : साहित्य अकादेमी, सभा कक्ष
तृतीय तल, रवीन्द्र भवन, फ़िरोज़शाह रोड, नयी दिल्ली - 110001


वरिष्ठ पत्रकार एवं कथाकार राकेश तिवारी के उपन्यास ‘फसक’ का साहित्य अकादेमी सभागार, तृतीय तल, रवीन्द्र भवन, फ़िरोज़शाह रोड, नयी दिल्ली-110001 में शुक्रवार, 21 जुलाई 2017, शाम 5 बजे लोकार्पण किया जाएगा और उपन्यास पर चर्चा भी होगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध आलोचक एवं गद्यकार डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी करेंगे । इस अवसर पर मुख्य अतिथि सुपरिचित आलोचक प्रोफेसर नित्यानन्द तिवारी, मुख्य वक्ता जामिया मिलिया इस्लामिया में हिंदी की विभागाध्यक्ष और सुपरिचित अम्बेडकरवादी प्रोफेसर हेमलता महिश्वर और वक्ता के रूप में देशबंधु कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर तथा वरिष्ठ आलोचक, कथाकार एवं कवि डॉक्टर संजीव कुमार, अम्बेडकर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में अध्यापक तथा युवा आलोचक डॉक्टर वैभव सिंह और दयाल सिंह कॉलेज में अध्यापक एवं युवा आलोचक डॉक्टर प्रेम तिवारी उपस्थित होंगे।

राकेश तिवारी ने उपन्यास ‘फसक’ के अलावा दो कहानी संग्रह ‘उसने भी देखा’ और ‘मुकुटधारी चूहा’, एक बाल उपन्यास ‘तोता उड़’ की रचना की है। इसके अलावा पत्रकारिता पर आधारित उनकी एक पुस्तक ‘पत्रकारिता की खुरदरी ज़मीन’ भी प्रकाशित हुई है।

राकेश तिवारी का उपन्यास ‘फसक’ इस दौर की जीती-जागती तस्वीर है, जिसमें लेखक ने अलग-अलग पहचाने जा सकने वाले पात्रों के माध्यम से हमारी दुनिया का एक नायाब ‘क्लोज-अप’ दिखाने का प्रयास किया है। यह वही दुनिया है जिसे हम अख़बारों, न्यूज़ चैनलों और अपने गली-मोहल्लों में रोज़ देखते हैं, पर इन सभी ठिकानों पर बिखरे हुए बिन्दुओं को जोड़कर जब राकेश एक मुकम्मल तस्वीर उभारते हैं तो हमें अहसास होता है कि इन बिन्दुओं की योजक रेखाएँ अभी तक हमारी निगाहों से ओझल थीं। आश्चर्य की बात नहीं कि इस तस्वीर को देखने के बाद, उपन्यास के अन्त में आये लालबुझक्कड़ के ऐलान को हम अपने ही अन्दर से फूटते शब्दों की तरह सुनते हैं। थोड़ा बताना, थोड़ा छुपाकर रखना और ऐन वक़्त पर उद्घाटित करना राकेश तिवारी की मुख्य विशेषता है। इसके साथ ही चुहलबाज़ भाषा और व्यंग्यगर्भित कथा-स्थितियाँ मिलकर यह सुनिश्चित करती हैं कि एक बार उठाने के बाद आप उपन्यास को पूरा पढ़कर ही दम लें।

वाणी प्रकाशन 55 वर्षों से 32 विधाओं से भी अधिक में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। इसने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वाणी प्रकाशन ने देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 कस्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। वाणी प्रकाशन भारत की प्रमुख पुस्तकालय प्रणालियों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 32 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। संस्था को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, इण्डोनेशियन लिटरेरी क्लब और रशियन सेंटर ऑफ़ आर्ट कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो-स्वीडिश, रशियन और पोलिश लिटरेरी सांस्कृतिक विनिमय विकसित करने का गौरव प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ने 2008 में भारतीय प्रकाशकों के संघ द्वारा प्रतिष्ठित ‘गण्यमान्य प्रकाशक पुरस्कार’ भी प्राप्त किया है। लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को वातायन सम्मान तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउंडेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिजनेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में एक्सीलेंस अवार्ड से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है । हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है। 3 मई, 2017 को नयी दिल्ली के ‘विज्ञान भवन’ में 64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल- 2017’ पुरस्कार वाणी प्रकाशन को बतौर प्रकाशक व लेखक यतीन्द्र मिश्र को पुस्तक ‘लता:सुर-गाथा’ के लिए प्रदान किया गया।
- अदिति माहेश्वरी-गोयल
निदेशक, वाणी प्रकाशन

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