नयी दिल्ली में भारतीय ज्ञानपीठ प्रवर परिषद् की महत्त्वपूर्ण बैठक में 55वाँ ज्ञानपीठ
पुरस्कार मलयालम भाषा के शीर्ष कवि-साहित्यकार अक्कितम अच्युतन नम्बूदिरी को देने
की घोषणा की गयी है, जो अक्कितम नाम से जाने जाते हैं।
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रतिष्ठित ओडिय़ा कथाकार
श्रीमती प्रतिभा राय की अध्यक्षता में सम्पन्न इस बैठक में चयन समिति के अन्य
सदस्य—प्रो. शमीम हनफी, प्रो. हरीश
त्रिवेदी, प्रो. सुरंजन दास, श्री चन्द्रकान्त
पाटिल, श्री माधव कौशिक, डॉ. एस. मणि वालन, डॉ. पुरुषोत्तम
बिलिमाले, श्री असगर वजाहत
और भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक श्री मधुसूदन आनन्द उपस्थित रहे।
8 मार्च, 1926 को केरल के पालक्काड जिले के कुमरनल्लूर ग्राम
में जनमे श्री अक्कितम ने अल्प औपचारिक शिक्षा के उपरान्त संस्कृत, तमिल एवं
अँग्रेजी भाषा-साहित्य का स्वाध्यायपूर्वक अध्ययन किया। बचपन से ही साहित्य, संगीत, चित्रकला तथा
ज्योतिष आदि में उनकी अत्यधिक रुचि रही। आठ वर्ष की आयु से प्रारम्भ श्री अक्कितम
की रचना-यात्रा इडश्शेरी, नालप्पाडन व कुट्टिकृष्ण मारार आदि के सान्निध्य से सार्थक
और समृद्ध हुई। सम्पादक, मीडियाकर्मी, वेदविद्या-प्रचारक, समाजसुधारक व कलामर्मज्ञ के रूप में श्री
अक्कितम अनन्य हैं। कविता, नाटक, उपन्यास तथा अनुवाद आदि विधाओं में उनकी 40 से अधिक कृतियाँ
प्रकाशित हैं। वे सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन के प्रस्तावक युगद्रष्टा महाकवि हैं।
'अक्कितम कवित्तकळ' के काव्य में मानवीय गरिमा के अन्त:संघर्ष का
निरूपण है। कवि की सतर्क सामाजिक-साहित्यिक दृष्टि के कारण इन रचनाओं में प्रेम, करुणा, त्याग, परम्परा और
आधुनिकता के मूल्यवान आयाम उद्घाटित हुए हैं। आद्यन्त आत्मान्वेषण श्री अक्कितम की
कविताओं की मूलशक्ति है। श्री अक्कितम का समग्र काव्य-वैभव चिरन्तन सत्य का आकलन
करते हुए समकालीन यथार्थ के निहितार्थ को शब्द देता है। उनका खंड काव्य 'इरुपदाम
नूट्टांडिडे इतिहासम्' अप्रतिम मानव प्रेम का प्रतिपादन करता है।
कविता की बिम्बविधायक प्रकृति और भाषा की अनेकार्थवादी संरचना के कारण उनकी रचनाएँ
कालपुरुष का दर्पण कही जाती हैं। वे मौलिकता के उपासक हैं,
'पडयाली' कविता इसका प्रमाण है। कला एवं क्रान्ति की सर्वोच्च
सामाजिक सदाशयता श्री अक्कितम की कविताओं को भारतीय साहित्य में सुप्रतिष्ठित करती
है।
युगप्रवर्तक सर्जनशीलता के लिए श्री अक्कितम को अनेक सम्मानों/पुरस्कारों से
विभूषित किया गया है। प्रमुख हैं—'साहित्य अकादेमी पुरस्कार', 'केरल साहित्य अकादमी सम्मान', 'मूर्तिदेवी पुरस्कार', 'मातृभूमि
पुरस्कार', 'ओडक्कुष़्ल सम्मान', 'आशान पुरस्कार', 'वल्लत्तोल सम्मान', 'कबीर सम्मान' एवं 'एष़्त्तच्छन पुरस्कार। श्री अक्कितम की रचनाओं
का कई भारतीय भाषाओं सहित विदेशी भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है।
रिपोर्ट
(मधुसूदन आनन्द)
निदेशक
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