तरसमा : आयु में मुझसे छोटे मेरे फुफेरे भाई उपेन्द्र सिंह तोमर 8 अक्टूबर को 'ऑन ड्यूटी' शहीद हो गए। सेना में रेसलर के रूप में कई वर्ष तक अपनी सेवाएं देने वाले 'नेता भैया' कुछ दिन पहले ही नायब सूबेदार पद पर प्रमोट हुए थे।
मुरैना जनपद में तरसमा गाँव (पोरसा तहसील) की पहचान फौजियों की जन्मस्थली के रूप में है। इस गाँव के 500 से अधिक घरों से 600 से अधिक युवा देश की सेनाओं में कार्यरत हैं, जबकि 100 से अधिक लोग सेवानिवृत्त होकर पेंशन ले रहे हैं। इस गाँव में सबसे अधिक जवान वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं।
अपने क्षेत्र में 'नेता' नाम से प्रतिष्ठित रहे 'नेता भैया' धीर और वीर थे। युवावस्था में मुझे उनके साथ चम्बल क्षेत्र में स्थित उनके गांव— तरसमा में रहने का अवसर मिला था। मुझे अब भी याद है कि वह लम्बी कूद, तैराकी, कबड्डी और कुश्ती में अपने गांव में सबसे आगे थे। कई बार तो तमाम युवा हार के डर से उनके साथ खेलने से भी कतराते थे। किन्तु, इसका उन्हें कभी कोई अहंकार नहीं हुआ— उन्हें तो 10-12 करोड़ की पैतृक संपत्ति होने पर भी कभी कोई अहंकार नहीं हुआ (जबकि आजकल गांव-समाज के तमाम क्षत्रिय 10-20 लाख की संपत्ति होने पर साधे नहीं सधते हैं)।
स्वभाव से बहुत सहज, सौम्य, खुशमिजाज एवं निडर नेता भैया के साथ 'डबल ट्रेजेडी' हुई है— उनका इकलौता पुत्र पिछले वर्ष दिवंगत हो गया था और अब वह भी चले गये। उनके साथ जो हुआ वह अत्यधिक दुःखद है। मन बहुत उदास है। उन्हें हमारी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।
— अवनीश सिंह चौहान
Upendra Singh Tomar (Neta Bhaiya), Tarsma, Porsa, Morena
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