पूर्वाभास (www.poorvabhas.in) पर आपका हार्दिक स्वागत है। 11 अक्टूबर 2010 को वरद चतुर्थी/ ललित पंचमी की पावन तिथि पर साहित्य, कला एवं संस्कृति की पत्रिका— पूर्वाभास की यात्रा इंटरनेट पर प्रारम्भ हुई थी। 2012 में पूर्वाभास को मिशीगन-अमेरिका स्थित 'द थिंक क्लब' द्वारा 'बुक ऑफ़ द यीअर अवार्ड' प्रदान किया गया। इस हेतु सुधी पाठकों और साथी रचनाकारों का ह्रदय से आभार।

सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

ग्यारह वर्ष : आभासी दुनिया में पूर्वाभास — आचार्य शिवम्


10 अक्टूबर 2010 को चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ता लियू शियाओबो को 'चीन में मौलिक मानवाधिकारों के लिए उनके लंबे और अहिंसक संघर्ष' के लिए 'नोबेल शांति पुरस्कार' प्रदान किया गया। जब यह समाचार दुनियाभर में सुर्खियाँ बटोर रहा था तब 11 अक्टूबर 2010 को वरद चतुर्थी/ ललित पंचमी की पावन तिथि पर अनियतकालीन पत्रिका 'पूर्वाभास' (www.poorvabhas.in) की यात्रा इंटरनेट पर प्रारम्भ हुई। सोमवार के दिन इस यात्रा का शुभारंभ— "दिनेश सिंह के नवगीत" पोस्ट से हुआ, जिसके तहत 'नये-पुराने' पत्रिका के यशस्वी संपादक दिनेश सिंह का संक्षिप्त परिचय और पाँच नवगीत प्रस्तुत किये गये थे। आभासी दुनिया में प्रथम पोस्ट के आते ही सुधी पाठकों-विद्वानों ने इस पत्रिका का स्वागत करते हुए अपना भरपूर स्नेह और सहयोग देना प्रारंभ कर दिया था। शायद इसीलिये इसी पोस्ट के 'कमेंट बॉक्स' में सकारात्मक प्रतिक्रिया करते हुए डॉ बुद्धिनाथ मिश्र ने लिखा था— 
प्रिय भाई, पूर्वाभास को देखा। अच्छी तरह देखा। बहुत पसंद आया। आपने इस तरह दिनेश जी के नवगीतकार को नया रूप, नया आयाम दिया। उनके गीतों को विश्व-पटल पर रखने के लिए नवगीतकारों को आपके प्रति आभारी होना चाहिए। आपकी यह नेट-यात्रा सफल और सार्थक हो। नवरात्र पर मेरी शुभ कामनाएँ।

'पूर्वाभास' पत्रिका का ध्येय वाक्य— "शब्द-साधकों की साधना स्थली" (जिसे बाद में— "शब्द-साधकों का रचना-संसार" कर दिया गया) सांकेतिक भाषा में बहुत कुछ कह तो रहा था, किन्तु पत्रिका के कलेवर में कुछ चीजों को सूत्रबद्ध करने की बड़ी आवश्यकता थी। इसलिए पत्रिका का खण्ड विभाजन कर पत्रिका के स्वरुप और उद्देश्यों को स्पष्ट करने के लिए कुछ स्वतंत्र पृष्ठों का निर्माण किया गया। इसी क्रम में "आलेख, कविता, कहानी, ग़ज़ल, दोहा, नवगीत, पुस्तकें, बालगीत, यादें, विविध, समाचार, समीक्षा, साक्षात्कार, हाइकु" खण्ड बनाए गए और मुखपृष्ठ पर प्रारंभिक दौर में पत्रिका में छपे रचनाकारों के लिए "संस्थापक शब्द-साधक” सहित “कुछ पुराने लिंक, प्रकाशक एवं प्रकाशन, प्रमुख हिन्दी पत्रिकाएँ, संपादक के बारे में" जैसे स्वतंत्र पृष्ठों को यथाशक्ति तैयार किया गया। मुखपृष्ठ पर ही "लोकप्रिय पोस्ट", अनुवाद करने का टूल— "TRANSLATE", सामग्री को खोजने के लिए— "खोज बटन", पत्रिका का निःशुल्क सदस्य बनने के लिए— "सब्स्क्राइब करें", पाठकों की संख्या को जानने के लिए— "कुल पृष्ठ दृश्य" एवं पाठकों की लोकेशन जानने के लिए "अतिथिवृंद" जैसे महत्वपूर्ण विजेट लगाकर और अपनी ही अन्य पत्रिकाओं— 'गीत पहल' (www.geetpahal.webs.com), 'क्रिएशन एण्ड क्रिटिसिज्म' (www.creationandcriticism.com), 'आईजेएचईआर' (www.ijher.com), 'भक्तकोश विकी' आदि के लिंक जोड़कर 'पूर्वाभास' को और अधिक 'यूजर फ्रेंडली' बनाने की कोशिश की गयी है। यथा—
आ गए पंछी
नदी को पार कर
इधर की रंगीनियों से प्यार कर। — दिनेश सिंह

आभासी दुनिया की 'रंगीनियों' से प्यार कर पत्रिका यहाँ तक आ तो गयी, किन्तु अभी भी अपने मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए यह पूरी तरह से तैयार नहीं थी; यानी कि उन दिनों पत्रिका के पास न तो अपना कम्प्यूटर था और न ही इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध थी। उन दिनों प्रकाशन के लिए आने वाली सामग्री भी डाक से ही आया करती थी; बाजार से टाइपिंग होने के बाद उसे किसी प्रकार से यूनीकोड में कन्वर्ट किया जाता था और फिर उसकी प्रूफ रीडिंग होती थी। यह सब काम किसी कैफे (या कभी-कभार किसी कम्प्यूटर लैब) में जाकर ही संभव होता था। कुछ समय तक कैफे (या लैब) में ही बैलगाड़ी की तरह चलने वाले कम्प्यूटर पर काम कर किसी प्रकार से पत्रिका प्रकाशित होती रही। इस तरह से कुछ महीने और गुजर गये। सुविधा बनी तो पत्रिका को आगे बढ़ाने के लिए एक कम्प्यूटर खरीदा गया और इंटरनेट की सुविधा भी जुटायी गयी। सम्मिलित प्रयासों से धीरे-धीरे जब 'पूर्वाभास' पत्रिका पटरी पर आने लगी तब इसके माध्यम से 'कविता कोश', 'अनुभूति', 'रचनाकार', ‘अभिव्यक्ति' एवं ‘नवगीत विकी’ आदि बड़ी वेब पत्रिकाओं को भी यथा सम्भव रचनात्मक सहयोग मिलने लगा। 

हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार एवं विकास के उद्देश्य से 'पूर्वाभास' पत्रिका के 'आलेख खण्ड' में प्रथम पोस्ट— "सत्येन्द्र तिवारी : एक मानव, एक गीतकार" (अवनीश सिंह चौहान) लगाई गयी थी। उसके बाद "बुद्धिनाथ मिश्र और उनकी सृजन-यात्रा" (अवनीश सिंह चौहान), "महेन्द्र भटनागर : व्यक्तित्व और कृतित्व" (हरिश्चंद्र वर्मा), "शिवबहादुर सिंह भदौरिया की रचनाधर्मिता : 'नदी का बहना मुझमें हो’ के सन्दर्भ से" (अवनीश सिंह चौहान), "राधेश्याम बंधु कृत नवगीत के नये प्रतिमान" (राजेन्द्र गौतम), "नयी कविता बनाम गीत-नवगीत" (दिनेश सिंह), "इंग्लैण्ड में हिन्दी की वर्तमान स्थिति" (तेजेन्द्र शर्मा), "नवगीत का संक्षिप्त इतिहास और उसकी मौजूदा समस्याएँ" (वीरेन्द्र आस्तिक), "मॉरिशस की साहित्यिक यात्रा" (महेश दिवाकर), “दूसरी दुनिया यानी औरत की दुनिया - पार्ट- 1, 2, 3” (संवेदना दुग्गल), "यारों का यार अनिल जनविजय" (भारत यायावर), "प्रवासी साहित्यकारों का हिन्दी को अवदान" (आशा पाण्डे ओझा), "प्रेम के निवेदन में अपनी धुरी पर नतमस्तक पृथ्वी : महेंद्र भटनागर" (मनोज श्रीवास्तव), "ज्ञान के माध्यम की भाषा और गांधी का पाठ" (अमरनाथ), "अनबीता व्यतीत में पर्यावरण प्रदूषण" (लंबोधरन पिल्लै. बी.), "गीत स्वीकृति : रचना प्रक्रिया के नए तेवर, भाग-1 एवं 2" (वीरेन्द्र आस्तिक), "कहते कुछ, करते कुछ हैं आज के रचनाकार" (अवनीश सिंह चौहान), "सृजन और उसका क्रमिक विकास - विशेष सन्दर्भ निराला" (वीरेन्द्र आस्तिक), "विरासत : श्रृंगजी की याद आना स्वाभाविक है" (अवनीश सिंह चौहान), "आशाओं का सूर्योदय दिवाकर ही कर सकते" (साधना बलवटे), "समकालीन हिंदी गीत के पचास वर्ष" (नचिकेता), "राजेन्द्र प्रसाद सिंह : नवगीत से जनगीत तक" (रवि रंजन), "विरासत : नए आस्वाद का गद्य" (भारत यायावर), "रवीन्द्रनाथ और महावीर प्रसाद द्विवेदी" (भारत यायावर), "पिघलती पीर के गायक मनोज जैन मधुर" (अंजना दुबे), "दो संस्कृतियों के संगम थे संत कबीर" (ललित गर्ग), "महेन्द्र भटनागर का काव्य : सामाजिक समता, संघर्ष और विश्व-निर्माण का पथ" (मोहसिन ख़ान), "पोएट्री मैनेजमेंट : मूल्यांकन की माँग" (मोहसिन ख़ान), "लता मंगेशकर : अद्भुत, अकल्पित हैं स्वर-माधुर्य की साम्राज्ञी" (ललित गर्ग), "विभाजन का दर्द शायरों के मार्फ़त" (मनोज मोक्षेंद्र), "मैथिलीशरण गुप्त : सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय कवि" (ललित गर्ग), "यायावर, तेरे कितने पांव!" (दिलीप कुमार अर्श), "प्रकृति और हम" (अवनीश सिंह चौहान), "हार के आगे ही जीत है" (आचार्य शिवम्), "वृन्दावन मेरा घर है" (अवनीश सिंह चौहान), "राजेन्द्र यादव के किस्से" (भारत यायावर), "समकालीन गीत : कथ्य और तथ्य" (अवनीश सिंह चौहान), "भरम, करम और धरम" (अवनीश सिंह चौहान), "रेणु का ऋणजल-धनजल" (भारत यायावर), "नवगीत के उन्नायक दिनेश सिंह" (अवनीश सिंह चौहान), "गीति काव्य में वसंत की अनुभूति और उसका सौंदर्य" (समीर श्रीवास्तव), "वीरेन्द्र आस्तिक : समय, साहित्य और संपादन" (अवनीश सिंह चौहान), "हिन्दी-ग़ज़ल की दिशाबोधी पारदर्शियाँ" (मधुर नज्मी), "कलमकार की पीड़ा" (अवनीश सिंह चौहान), "माँ, तुझे प्रणाम!" (अवनीश सिंह चौहान), "गीत : जीवन-संघर्ष का संवेदना-शिल्प" (दिनेश सिंह), "संघर्षशील साहित्यकार प्रमोद प्रखर" (अवनीश सिंह चौहान), "अर्थों की पंखुड़ियाँ बिछाते गुलाब सिंह" (अवनीश सिंह चौहान), "नवगीत की नवता" (रामसनेही लाल शर्मा ‘यायावर’), "अंतरजाल पर 'गीत-पहल'" (राजा अवस्थी) आदि लेखों को समाहित किया गया है। इस अनंतिम लेख में यायावर जी ने जो बात कही है, वह नवगीत सर्जना के लिए ही नहीं, नवगीत पर आलोचना एवं उसके प्रकाशन के लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण है— 
नवगीत में नवता कल भी थी, आज भी है और जब तक सृजनशील प्रतिभाएँ सक्रिय रहेंगी और उनकी नूतनोद्भावनी कल्पना जीवित रहेगी तब तक नवगीत गीत-रसिकों और मनीषी समीक्षकों को प्रभावित करता रहेगा।

पूर्वाभास में नवगीत के प्रकाशन को ध्यान में रखते हुए 'नवगीत' खण्ड की स्थापना की गयी, जिसमें दिनेश सिंह, शिवबहादुर सिंह भदौरिया, शचीन्द्र भटनागर, ब्रजभूषण सिंह गौतम 'अनुराग', राजेंद्रमोहन शर्मा 'श्रंग', माहेश्वर तिवारी, गुलाब सिंह, राम सेंगर, वीरेंद्र आस्तिक, निर्मल शुक्ल, मधुकर अष्ठाना, ओमप्रकाश सिंह, विनय भदौरिया, रमाकांत,जय चक्रवर्ती, जयजयराम आनंद, मनोज जैन 'मधुर', आनंद कुमार 'गौरव', मयंक श्रीवास्तव, सत्येंद्र तिवारी, योगेन्द्र वर्मा 'व्योम', विवेक 'निर्मल', राघवेंद्र तिवारी, जय शंकर शुक्ल, पूर्णिमा वर्मन, जगदीश व्योम, महेश अनघ, देवेंद्र कुमार पाठक, अजय तिवारी, ज्योति खरे, रजनी मोरवाल, चंद्र प्रकाश पाण्डे, रामनारायण रमण, ओम धीरज, विनोद श्रीवास्तव, ब्रजनाथ श्रीवास्तव, चित्रांश वाघमारे, अम्बरीश कुमार गर्ग, प्रदीप शुक्ल, राम शंकर वर्मा, कृष्ण नंदन मौर्य, रविशंकर मिश्र, संध्या सिंह, विनय मिश्र, रामकिशोर दाहिया,राजा अवस्थी, मनोहर अभय, अवनीश त्रिपाठी, योगेंद्र प्रताप मौर्य, कृष्ण भारतीय, किशन सरोज, मंजुलता श्रीवास्तव, राहुल शिवाय, गरिमा सक्सेना, रवि खंडेलवाल, चंद्रेश शेखर, संतोष कुमार सिंह, रमेश गौतम, रघुवीर शर्मा, अवनीश सिंह चौहान आदि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी के साथ नवगीत प्रकाशित किये जा चुके हैं। इस खण्ड की अनंतिम पोस्ट में नवगीत के महत्व को प्रकाशित करते हुए गुलाब सिंह अपने एक गीत में ठीक ही कहते हैं—
गीत न होंगे 
क्या गाओगे? 

हँस-हँस रोते,/ रो-रो गाते 
आँसू-हँसी राग-ध्वनि-रंजित 
हर पल को संगीत बनाते 

लय-विहीन हो गए अगर तो
कैसे फिर सम पर आओगे?

कविता क्या है? कई मनीषियों ने अपने-अपने ढ़ंग से इसका उत्तर दिया है। गहनता से विचार करने पर प्रतीत होता है कि कविता साध्य है और कवि साधक। यद्यपि 'साध्य' और 'साधक' शब्द जनमानस में बहुत प्रचलित हैं, फिर भी रफ़्तार ऑनलाइन शब्दकोश में 'साध्य' शब्द का अर्थ कुछ इस प्रकार से देखा जा सकता है— "वह विचार जिसे पूरा करने के लिए कोई काम किया जाए", "वह कार्य जिसका साधन हो सके", "जो सिद्ध या पूरा किया जा सके", "ऐसा विषय जो प्रयत्न करने पर जाना जा सकता हो" आदि। किन्तु इतने से कविता की परिभाषा स्पष्ट नहीं होती? इसलिए यहाँ आचार्य रामचंद्र शुक्ल को उद्धृत करना समीचीन लगता है— "कविता वह साधन है जिसके द्वारा शेष सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक सम्बन्ध की रक्षा और निर्वाह होता है।" कविता में गीत, नवगीत, बालगीत, ग़ज़ल, दोहा, हाइकु, नई कविता, कुंडलियाँ, सवैया, घनाक्षरी आदि विधाएँ समाहित हैं। शायद इसीलिये 'पूर्वाभास' में 'कविता' खण्ड में कविता की दो विधाओं (नई कविता एवं कुण्डलियाँ) को रखते हुए पैडी मार्टिन, महेंद्र भटनागर, रमाशंकर यादव 'विद्रोही', केदारनाथ सिंह, वीरेन डंगवाल, वीरेंद्र आस्तिक, उमेश चौहान, जयप्रकाश मानस, अनिल जनविजय, कुमार मुकुल, दुष्यंत, सुरेंद्र वर्मा, संजीव निगम, कुँवर रवींद्र, सुधीर कुमार अरोड़ा, अनिल श्रीवास्तव, अवधेश सिंह, इंद्रेश भदौरिया, सुशील कुमार, सरस्वती माथुर, वसुंधरा पाण्डे निशी, पंखुरी सिन्हा, पंकज त्रिवेदी, परमेश्वर फूँकवाल, अनुज कुमार, ब्रजेश नीरज, हरिहर झा, सुनील कुमार सोनी, बीनू भटनागर, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, अनिल गुप्त, संजय वर्मा दृष्टि, ओम आचार्य, विशाखा तिवारी, नीरा सिंह, सुषमा वर्मा, दीप्ति शर्मा, तारिक असलम 'तस्नीम', अशोक शर्मा, आशा सहाय, नीलम डढवाल, अशोक बाबू माहौर, आशीष बिहानी, सुजश कुमार शर्मा, भूपेंद्र भावुक, गोरख प्रसाद मस्ताना, चंद्र आदि को स्थान दिया गया है। 

'गजल' खण्ड में मंसूर उस्मानी, मीना नक़वी, ओंकार सिंह 'ओंकार', कृष्ण कुमार 'नाज़', मधुर नज़्मी, रघुनाथ मिश्र, मनोज मनु, किशन तिवारी, प्राण शर्मा, कीर्ति श्रीवास्तव, अमरीक सिंह, साधना बलबटे, रमाकांत, धर्मेंद्र कुमार सिंह 'सज्जन', राकेश जोशी, महेश अग्रवाल आदि; 'दोहा' खण्ड में महेश दिवाकर, अम्बरीश कुमार गर्ग, रघुराज सिंह निश्चल, मूलचंद 'राज', जितेंद्र कुमार 'जौली', ज्योत्स्ना शर्मा, मनोहर अभय, इंद्रेश भदौरिया आदि; 'बालगीत' खण्ड में राकेश 'चक्र'; 'हाईकु' खण्ड में संतोष कुमार सिंह, त्रिलोक सिंह ठकुरेला, राजेंद्र वर्मा, विनोद कुमार दवे, अवनीश सिंह चौहान आदि; 'विविध' खण्ड में दिनेश पालीवाल, गुलाब सिंह, बुद्धिनाथ मिश्र, महेश दिवाकर, प्रहलाद सिंह चौहान, इंद्रेश भदौरिया, अलभ्य घोष, राहुल यादव, शैलेन्द्र कुमार शर्मा, ललित गर्ग, संवेदना दुग्गल, राकेश चक्र, विभावसु तिवारी, राधेश्याम बंधु, बलबंत, नरेंद्र शुक्ल, साधना बलबटे, गुर्रमकोण्डा नीरजा, अवनीश सिंह चौहान, शिवम् चौहान आदि के संस्मरण, व्यंग्य, नाटक, यात्रा-वृत्त, हास्य रचनाएँ, आध्यात्मिक लेख, पत्र, पुस्तक भूमिकायें आदि को शामिल किया गया है। 'यादें' खण्ड में पैडी मार्टिन, शिवबहादुर सिंह भदौरिया, देवेंद्र शर्मा इंद्र, केदारनाथ सिंह, दिनेश सिंह, महेश अनघ, विजयदान देथा, दिवाकर वर्मा, रामशंकर यादव 'विद्रोही', राजेन्द्र मोहन शर्मा 'श्रृंग, नबाब सिंह, जोधा सिंह, रामबेटी, बालकवि बैरागी, किशन सरोज आदि की पावन स्मृतियों को संजोया गया है। 

'पुस्तकें' खण्ड में 'मुरादाबाद जनपद के प्रतिनिधि रचनाकार', 'इस कोलाहल में', 'नये-पुराने' पत्रिका का 'बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता' पर केन्द्रित अंक, 'धार पर हम - दो', 'समर करते हुए!', 'जो हुआ तुम पर हुआ हम पर हुआ', 'सन्नाटे ढोते गलियारे', 'झूठ नहीं बोलेगा दर्पण', 'एक गैल अपनी भी', 'टेढ़े-मेढ़े ढाई आखर', 'नवगीत: नई दस्तकें', 'शब्दपदी', 'लखनऊ  के प्रतिनिधि गीतकार', 'एक और अरण्य काल', 'नील वनों के पार', 'मुट्ठी भर अस्थियाँ', 'और कितनी देर', 'दर्द जोगिया ठहर गया', 'नई सदी के पाँव', 'शब्द हैं प्रतिबिम्ब मेरे', 'किन्तु मन हारा नहीं', 'खिरनी की छांह', 'एक औरत: तीन बटा चार', 'कही अनकही', 'केयर ऑफ़ स्वात घाटी', 'करतूते मरदां', 'विमर्श और विस्तार', 'पढ़ते, लिखते, रचते', 'तनिक ठहरो समुद्र', 'पाटी', 'सदी के पार', 'वैदिक वाड्मय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी', 'समीक्षा के निकष पर', 'उत्तर प्रदेश के हिन्दी साहित्यकार : सन्दर्भ कोश', 'टुकड़ा कागज़ का', 'पांच जोड़ बांसुरी', 'श्रेष्ठ हिंदी गीत संचयन', 'नवगीत एकादश', 'नवगीत: नई दस्तकें', 'नवगीत: एक परिसंवाद', 'गीत वसुधा', 'नये-पुराने' पत्रिका के नवगीत पर केंद्रित छः विशेषांक (1996- 2000), 'काशी मरणान्मुक्ति', 'बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता', 'नवगीत का मूल्यबोध’, 'अभिनव सिनेमा', 'नवगीत वाङ्मय' आदि का सचित्र विवरण दिया गया है।

'समीक्षा' खण्ड धारदार समीक्षाओं से लबरेज है, जिसमें 'एक बूँद हम' : बूंद में समाहित गीत गंगा — किशन तिवारी, 'सप्तराग' यानी सात सुरों का समवेत सरगम — कुमार रवींद्र, 'नवगीत के नये प्रतिमान' — राजेन्द्र गौतम, 'काशी मरणान्मुक्ति' : साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन तथा अध्यात्म का अद्भुत समन्वय — एस.पी. दुबे, 'टुकड़ा कागज का' : सत्य से साक्षात्कार करवाते गीतों का संग्रह — साधना बलवटे, 'ये हवा से बोल देना' : जीवन के प्रति अगाध आस्था का आचमन करते गीत — साधना बलवटे, सौरभ शर्मा कृत 'लव हेट्स मी एण्ड आई लव इट' — अवनीश सिंह चौहान, 'दिन क्या बुरे थे!' : ज़मीनी चेतना के गीत — सन्तोष कुमार तिवारी, 'देती है आवाज नदी' : गीत के ये नये आकाश — वीरेंद्र आस्तिक, ‘अँजुरी भर प्रीति' : कविता की समसामयिक भंगिमा — कुमार रवीन्द्र, 'बंजारन': नए आस्वाद की कविताएँ — राहुल देव, 'डॉक्टर ग्लास' : नैतिकता तो मात्र हिंडोला है — कुमार मुकुल, 'सीढ़ियाँ चढ़ता मीडिया' : समकालीन संदर्भों में मीडिया की परख — राकेश कुमार, 'कुछ बेक्ड कविताएँ' : मर्मस्पर्शी संवेदनाओं के चित्र उकेरती कविताएँ — आनन्द कुमार 'गौरव', ‘उधेड़बुन’की सार्थकता — मधुकर अष्ठाना, 'संवेदन के बस्ते' : कस्बाई अंचल और भाषा की नई शक्तियाँ — वीरेन्द्र आस्तिक, 'साँझी साँझ' : सपनों के टुकड़े सँजोये गीत-नवगीत — मधुकर अष्ठाना, 'दिन क्या बुरे थे!' : वीरेन्द्र आस्तिक के रचनात्मक संदर्भ — सन्तोष कुमार तिवारी, 'चोंच में आकाश' : नवगीत होने का अर्थ — वीरेन्द्र आस्तिक, '‘कविता का ‘क’ : छन्दोबद्ध काव्य के विविध आयामों से परिचित कराती — राजेंद्र वर्मा, 'मुट्ठी भर विश्वास' की कविताई — वीरेन्द्र आस्तिक, ‘केसरिया सूरज‘: भावों का खूबसूरत गुलदस्ता — प्रियंका चौहान, ‘काव्यगंधा’ : काव्य जीवन की सुगन्ध - बाबूराम, 'अमिट लकीरें' : अनुभवों का इन्द्रधनुषी गुलदस्ता - दिनेश तिवारी, 'सरहदें' : स्मृतियाँ और शुभेच्छाएँ नहीं मानतीं ‘सरहदें’— ऋषभदेव शर्मा, 'समय की आँख नम है' : जो आँखों के पानी में है — अनूप अशेष, 'हिंदी साहित्य और फ़िल्मांकन' : सिनेमा और हिंदी साहित्य की दीर्घ परंपरा का रेखांकन — मोहसिन ख़ान, ‘नयी सदी के नवगीत’के वैचारिक अंतर्विरोध — नचिकेता, 'अमिट लकीरें' : हक जो अदा हुआ — अवनीश सिंह चौहान, 'टुकड़ा कागज़ का' पर विद्वानों की टिप्पणियाँ, 'इस पानी में आग' : जीवन के अतल में गहरे तक धँसा रचनाकार — रंजना गुप्ता, 'नॉट इक्वल टू लव' : स्त्रियों की छद्म आज़ादी का सूरज फेसबुक की झिर्रियों से — मोहसिन ख़ान, 'अँधेरे में : पुनर्पाठ' — मुक्तिबोध के प्रति हैदराबाद के हिंदी जगत की श्रद्धांजलि, 'गीत अपने ही सुने' का प्रेम-सौंदर्य — अवनीश सिंह चौहान, 'अभी समय है' : जो करना है अभी करना है — अवनीश सिंह चौहान, 'किंबहुना' : स्त्री संघर्ष की कथा — राजा अवस्थी, 'आग लगी है' : जो भी लिखा है, दिल से लिखा है — अवनीश सिंह चौहान, 'अंतराएँ बोलती हैं' : नवगीत की ज़मीन पर अंखुवायी संवेदनाओं का संकलन — माधव वाजपेयी, 'समकाल से मुठभेड़' : समकालीन चुनौतियों और विडंबनाओ से मुठभेड़ — वेदप्रकाश अमिताभ, 'दादाजी की चौपाल' : कहानियाँ सुनाती दादाजी की चौपाल — ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश', 'दिन कटे हैं धूप चुनते' — राहुल शिवाय, 'परछाईं के पाँव' : प्रेम और सौंदर्य की मौलिक अभिव्यक्ति — रवीन्द्र भ्रमर, 'रंगरेज़' : मोहे रँग दे ओ रंगरेज़ — अवनीश सिंह चौहान, 'बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता' : एक दस्तावेजी पुस्तक — शिवचन्द प्रसाद, मयंक श्रीवास्तव कृत रामवती — अवनीश सिंह चौहान, शचीन्द्र भटनागर कृत ‘ढाई आखर प्रेम के’ — अवनीश सिंह चौहान, रामनारायण रमण कृत ‘जोर लगाके हइया’ — अवनीश सिंह चौहान, प्रियंका चौहान कृत 'वैदिक वाड्मय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी' — वीरेन्द्र आस्तिक, 'नवगीत वाङ्मय :  एक स्वागतयोग्य संकलन' — गंगाप्रसाद 'गुणशेखर' आदि समीक्षाएँ संकलित हैं।

'साक्षात्कार' खण्ड में 'सहजगीत : रागवेशित आवेग का सहज संप्रेषण — आनंद कुमार 'गौरव', 'शिल्प तो रचना की अपनी विशिष्टता है — सत्यनारायण', 'मनुष्यता को बचाये रखना ज़रूरी है — वेदप्रकाश 'अमिताभ', 'रुकावट के लिए खेद है' के बाद का 'सीन' और भी आकर्षक हो — गुलाब सिंह', 'नवगीत भविष्य की कविता बनने की दिशा में है — कुमार रवीन्द्र', 'नवगीत, गीत का आधुनिक संस्करण — वीरेंद्र आस्तिक', 'बाजार मनुष्य की संवेदना को खत्म कर रहा हैं — दिनेश पालीवाल', 'नवगीत की आलोचना स्वयं लिखें — नचिकेता', 'संवेदना तो छन्द और छन्दमुक्त रचनाओं में भी होती ही है — पंकज त्रिवेदी', 'सारे हिंदी वाले एक यूटोपिया में जी रहे हैं — अमरनाथ', 'प्रतिलिपि डॉट कॉम के प्रतिनिधि से अवनीश सिंह चौहान की संक्षिप्त बातचीत', 'बात ही कविता में खुलती-बोलती है और उसे एक अभीष्ट स्वर देती है — राम सेंगर', 'कुछ फ़िल्में मन और बुद्धि दोनों को पुष्ट करती हैं — अवनीश सिंह चौहान, 'नवगीत ने गीत को रूढ़िग्रस्त होने से बचाया है — मयंक श्रीवास्तव', 'संतुलन अपने आप बन जाता है — पूर्णिमा वर्मन', फॉर्म से ज्यादा कॉन्टेंट पर ध्यान — बुद्धिनाथ मिश्र, 'समय की छलनी बड़ी निर्मम है — रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर', 'कवि केवल सोशल मीडिया के भरोसे नहीं — शान्ति सुमन' आदि सुधी पाठकों को आकर्षित करने में सफल रहे हैं। 

'पूर्वाभास' के 'समाचार' खण्ड में सर्वाधिक सामग्री संकलित हुई है, इसलिए इसका विस्तार से यहाँ वर्णन कर पाना कठिन है। किन्तु, इतना तो अवश्य कहा जा सकता है कि इस खण्ड में साहित्य, संस्कृति, कला से संबंधित जो भी समाचार प्रकाशित हुए हैं, वे बार-बार पढ़े जाने की माँग करते हैं। ऐसा इसलिए भी कि इसमें संकलित इतिहास-बोध से समृद्ध समाचारों का अवगाहन करने पर साहित्य की विभिन्न विधाओं में चल रही गतिविधियों की भरपूर जानकारी मिलती है। यह सब 'नये-पुराने' लेखकों के अथक परिश्रम और उनके द्वारा 'पूर्वाभास' पत्रिका को सस्नेह दिए गए सहयोग का ही सुफल लगता है। 'पूर्वाभास' के प्रेरणास्रोत— स्व. दिनेश सिंह, संरक्षक— वीरेन्द्र आस्तिक आदि के प्रति भी यह पत्रिका कृतज्ञता ज्ञापित करती है। साथ ही फेसबुक पर संचालित समूहों— 'गीत-नवगीत' (अगस्त 04, 2011 से संचालित), 'हिन्दी साहित्य' (जुलाई 09, 2012 से), 'वृन्दावन-मथुरा' (मार्च 21, 2020 से), 'इंडियन हाइकु' (मार्च 21, 2015 से), 'क्रिएशन एण्ड क्रिटिसिज़्म' (मई 10, 2016 से) आदि, जिन्होंने पूर्वाभास की सामग्री को सोशल मीडिया में प्रचारित-प्रसारित करने हेतु सदैव मंच प्रदान किया है, के प्रति भी ऋणी है।

'पूर्वाभास' हिन्दी साहित्य और साहित्यकारों से सम्बंधित सामग्री को इन्टरनेट पर एक स्थान पर लाने का एक अव्यावसायिक और सामूहिक प्रयास है, जिसमें नवगीत को केंद्र में रखकर हिन्दी की अन्य समस्त विधाओं में रचित मौलिक तथा स्तरीय रचनाओं का सदैव स्वागत किया जाता रहा है। इसका उद्देश्य बस इतना है कि हिंदी साहित्य की सेवार्थ वरिष्ठ रचनाकारों और उभरते रचनाकारों को एक ही मंच पर उपस्थित कर हिन्दी को और अधिक सशक्त बनाया जाय; इसलिए इस पत्रिका के लिए समस्त हिन्दी प्रेमियों, साहित्यकारों, साहित्य-सेवियों का मार्गदर्शन और सहयोग सदैव अपेक्षित रहता है। यहाँ 'पूर्वाभास' की यात्रा से संबंधित वीरेंद्र आस्तिक की टिप्पणी दृष्टव्य है— 
आजकल ई-पत्रिकाओं की सोशल मीडिया में भीड़ है, किन्तु उनमें से बहुत ही कम पत्रिकाएँ गीत-नवगीत केन्द्रित हैं। ऐसी ही पत्रिकाओं में से एक 'पूर्वाभास' पिछले 10 वर्ष से नवगीत को प्रमुखता से प्रकाशित करती आ रही है। इस महत्वपूर्ण एवं चर्चित पत्रिका में साहित्यिक विषयों की विविधता देखते बनती है। जिस पत्रिका को कुशल, निष्ठावान और परिश्रमी संपादक मिल जाता है, वह पत्रिका विश्वसनीयता और ख्याति का आकाश छू लेती है। कहना चाहूँगा— उक्त तथ्य को 'पूर्वाभास' और संपादक अवनीश सिंह चौहान की जोड़ी सार्थक करती है।

'पूर्वाभास' 'ओपन एक्सेस' और 'ओपन सबमिशन' पॉलिसी पर कार्य करती रही है। अतः सुधी रचनाकार अपनी रचनाओं को पत्रिका के पैटर्न के अनुरूप हिन्दी के यूनीकोड फॉण्ट में टाईप कर (या करवाकर) दिए गए ईमेल पर कभी भी भेज सकते हैं। रचनाएँ यदि अप्रकाशित, मौलिक और स्तरीय रहती हैं तो उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। अगर किसी अप्रत्याशित कारणवश रचनाएँ प्रकाशित नहीं हो पाती हैं अथवा रचनाकार को इस संबंध में कोई सूचना प्राप्त नहीं हो पाती है, तो भी रचनाकार सम्पादक को स्मरण दिलाने या अन्यत्र कहीं रचनाएँ भेजने के लिए स्वतंत्र रहता है। यह जरूर है कि इसमें प्रकाशित किसी भी रचनाकार की रचना या अन्य किसी प्रकार की सामग्री को कॉपी करना अथवा अपने नाम से कहीं और प्रकाशित करना, अवैधानिक माना गया है, फिर भी इसमें प्रकाशित किसी भी रचना/ सामग्री को कोई भावक रचनाकार के नाम का स्पष्ट उल्लेख करते हुए प्रयोग में लाना चाहता है, तो उसे उक्त रचनाकार की सहमति लेनी आवश्यक होती है। सहमति और असहमति लोकतंत्र के मूल तत्व कहे गए हैं, किन्तु इनसे परे भी इंटरनेट पर साहित्य का संसार दिखाई पड़ता है। जो भी हो इस वेब पत्रिका का संपादन एवं प्रकाशन डॉ अवनीश सिंह चौहान द्वारा बड़ी कुशलता से आज भी किया जा रहा है। 

संदर्भ:-

मिश्र, बुद्धिनाथ, "टिप्पणियाँ : दिनेश सिंह के नवगीत", 'पूर्वाभास', सोमवार, 11 अक्तूबर 2010 : https://www.poorvabhas.in/2010/10/blog-post.html

चौहान, अवनीश सिंह, "दिनेश सिंह और उनके पाँच प्रेम गीत", 'पूर्वाभास', बुधवार, 29 जनवरी 2020 : https://www.poorvabhas.in/2020/01/dinesh-singh.html

चौहान, अवनीश सिंह, "गुलाब सिंह और उनके दस नवगीत", 'पूर्वाभास',  बुधवार, 19 मई 2021 : https://www.poorvabhas.in/2021/05/blog-post.html

आस्तिक, वीरेन्द्र, "टिप्पणियाँ : अर्थों की पंखुड़ियाँ बिछाते गुलाब सिंह — अवनीश सिंह चौहान", 'पूर्वाभास', सोमवार, 31 मई 2021 : https://www.poorvabhas.in/2021/05/blog-post_78.html

रफ़्तार ऑनलाइन शब्दकोश— साध्य का हिंदी में अर्थ : https://shabdkosh.raftaar.in/Meaning-of-sadhya-in-Hindi#gsc.tab=0

शुक्ल, आचार्य रामचंद्र, "कविता क्या है", 'भक्तकोश' :  https://bhaktkosh.fandom.com/hi/wiki/%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%A3%E0%A5%80:%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF


'पूर्वाभास' पत्रिका के तकनीकी प्रबंधक, वृन्दावनवासी (मथुरा) आचार्य शिवम् (जन्म : 07 फरवरी 1993) संस्कृत भाषा एवं साहित्य के युवा विद्वान हैं। जिस समय 'पूर्वाभास' पत्रिका प्रारम्भ हुई थी उस समय शिवम् जी 'ब्रज सन्देश' पत्रिका का संपादन कर रहे थे। बाद में इन्होंने अपरिहार्य कारणों से 'ब्रज सन्देश' पत्रिका को बंद कर दिया। ई-मेल: toshivamchauhan@gmail.com

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3 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय आचार्य शिवम आपकी यह नवीन-यात्रा सफल और सार्थक हो। नवरात्र पर मेरी हार्दिक शुभ कामनाएँ

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  2. साहित्य अकादमी (भोपाल) से प्रकाशित होने वाली पत्रिका- साक्षात्कार का नवगीत विशेषांक (जुलाई-अगस्त-सितंबर 2022) पिछले दिनों डाक से प्राप्त हुआ। इस विशेषांक का कुशल संपादन श्रद्धेय डॉ रामसनेही लाल शर्मा यायावर जी के विशेष सहयोग से आ. डॉ विकास दवे जी द्वारा किया गया है। नवगीत के क्षेत्र में इसे एक बेहतरीन विशेषांक के रूप में देखा जा सकता है।

    इस विशेषांक में मेरे अग्रज विद्वान आ. राजा अवस्थी जी ने अपने लेख- 'आभासी दुनिया में नवगीत' में मेरे द्वारा संपादित - गीत पहल और पूर्वाभास वेब पत्रिकाओं द्वारा नवगीत के क्षेत्र में किए गए योगदान को सस्नेह रेखांकित किया है।

    इस हेतु अवस्थी जी का ह्रदय से आभारी हूं।

    - अवनीश सिंह चौहान

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