शोध समाचार : पूर्वाभास, वर्ष 1, अंक 1, जनवरी 2022
19 दिसंबर 2021, शाम 5 बजे : अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में वरिष्ठ साहित्यकार अवधेश सिंह द्वारा लिखित कोरोना काल पर आधारित पुस्तक 'दुनिया जब ठहर गई' के लोकार्पण व परिचर्चा का आयोजन ऑनलाईन माध्यम से किया गया। कार्यक्रम का संचालन अरविंद कुमार मौर्य, क्षेत्रीय संयोजक, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, नैनीताल ने किया।
“साहित्य की यथार्थता वही है जो समसामयिकता को परिलक्षित करे। पुस्तक "दुनिया जब ठहर गयी" के अध्यायों में विश्व समाज पर, कोरोना त्रासदी से जुड़ी घटनाओं को दर्पण-सा प्रस्तुत किया गया है”। उक्त विचार दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय कला-संस्कृति के विशेषज्ञ, हिन्दी सलाहकार, गृह मंत्रालय भारत सरकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुनील पाठक, अध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद, उत्तराखंड ने व्यक्त किए।
विगत दिनों कोविड -19 वैश्विक आपदा पर लिखी गयी संदर्भ पुस्तक "दुनिया जब ठहर गयी" के लोकार्पण के दौरान अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ सुनील पाठक ने स्पष्ट किया कि पुस्तक का शीर्षक भोगा हुआ सच है, क्योंकि दुनिया उस काल में वास्तव में ठहर-सी गई थी और इस प्रकार यह पुस्तक साहित्य की परिभाषा पर भी खरी उतरती है। लॉकडाउन के समय को याद करते हुए श्री पाठक ने कहा कि कुछ लोगों को लॉक डाउन का समय "लगते दिवस समुद्र से लगता समय पहाड़..." जैसा लग रहा था, परंतु प्रस्तुत पुस्तक के लेखक अवधेश सिंह ने उस समय का सार्थक उपयोग किया व समाज को एक उत्कृष्ट कृति दी, इसलिए वे साधुवाद के पात्र हैं।
लोकार्पण कार्यक्रम में बीज वक्तव्य देते हुए पुस्तक 'दुनिया जब ठहर गई' के लेखक वरिष्ठ साहित्यकार अवधेश सिंह ने पुस्तक में वर्णित विषयवस्तु का संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि “इस किताब के माध्यम से कोरोना काल में हमारी जीवन-शैली में अचानक आये परिवर्तित को दिखाया गया है। अवधेश सिंह ने कहा कि वास्तव में उस समय दुनिया तो ठहरी लेकिन हमारे देश की सामर्थ्य, शक्ति, एकता व संस्कृति एक तरह से मुखर हो गतिशील बन गई। समाज के द्वारा 'वसुधैव कुटुंबकम', जोकि भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है, का पालन कई स्तरों पर हुआ।
वरिष्ठ वक्ता के रूप में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार शंभू प्रसाद भट्ट जी ने बताया कि पुस्तक में त्रासदी का जिस तरह क्रमवार विवरण दिया गया है यह दस्तावेजीकरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बहुत कुछ खोने के साथ-साथ हमने बहुत कुछ सीखा और पाया भी है। प्रकृति का सौंदर्यात्मक रूप हमने कोरोनाकाल में देखा। पुस्तक में कहा गया है कि विश्व ने हमारे अभिवादन के तरीके को अपनाया जो हमारी संस्कृति की महानता को सिद्ध करता है।
डॉ मनोज प्रसाद नौटियाल, सह-प्रोफेसर, गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, गोपेश्वर, चमोली द्वारा पुस्तक की सामिग्री को रोचक बताया गया। उन्होंने यह भी कहा कि पुस्तक की विषयवस्तु, शब्द संयोजन व जीवंत वर्णन सराहनीय है। कोरोना काल में, जो सामाजिक प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ा, वह इस पुस्तक में वर्णित है। उस समय उपचारात्मक उपाय हमारे पास नहीं थे, जिसकी जगह निवारत्मक उपाय अपनाए गए। भारतीय जीवन-पद्धति और प्राचीन मूल्यों ने यह साबित कर दिया कि वह विश्व में सर्वश्रेष्ठ है और उन्हें अपना कर मानव सभ्यता को बचाया जा सकता है। आने वाले समय में संदर्भ ग्रंथ के रूप में इस पुस्तक की महत्ता बढ़ेगी।
इसी क्रम में डॉक्टर स्मृति शर्मा, जोकि कोरोना काल में केंद्र प्रभारी- कोविड-19, गाजियाबाद रही हैं, के द्वारा पुस्तक के संबंध में अपने विचार प्रस्तुत किए गए। उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए यह पुस्तक धरोहर का कार्य करेगी। पुस्तक की रचना प्रक्रिया गागर में सागर भरने की उक्ति चरितार्थ करती है। कोरोनाकाल में देश की कठिन परिस्थितियों के साथ भारत के नेतृत्व की सराहना के साथ सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स के योगदान की चर्चा इस पुस्तक की विशेषता है, इस कारण लेखक के प्रति समाज की ओर से अपनी कृतज्ञता प्रकट करती हूँ।
वरिष्ठ साहित्यकार उपन्यासकार कवि बृजेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि “दुनिया जब ठहर गयी” पुस्तक में जहां प्रवासी मजदूरों के पलायन की चर्चा की गयी, वहीं प्रशासन के द्वारा तत्परता से इस कठिन समय में प्रवासी मजदूरों को भोजन पानी और ठहरने, रात्रि-विश्राम आदि प्रयासों का उल्लेख पुस्तक के सकारात्मक दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है । कोरोना की प्रथम लहर का सचित्र वर्णन होने के कारण यह पुस्तक संग्रहणीय है। किसी भी आगामी महामारी से निपटने के लिए यह पुस्तक प्रबन्धकों व प्रशासन के लिए भी एक अच्छा रोडमैप साबित हो सकती है।
कार्यक्रम का प्रारम्भ सर्वप्रथम किरण मौर्य द्वारा सरस्वती वंदना, तत्पश्चात सृष्टि गंगवार द्वारा परिषद गीत की प्रस्तुति के साथ किया गया। कार्यक्रम का समापन प्रेरणा द्वारा राष्ट्रीय गीत की प्रस्तुति के साथ हुआ। कार्यक्रम में अस्सिस्टेंट प्रोफेसर सबज सैनी, हिमांशी जी व उत्तराखंड व अन्य प्रांतों के अनेक साहित्यकार व साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे।
- अरविंद कुमार मौर्य
क्षेत्रीय संयोजक
अखिल भारतीय साहित्य परिषद
नैनीताल
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