वाराणसी, 28 अगस्त से 2 सितंबर 2023: सोमवार को 'भारतीय ज्ञान परंपरा' (आईकेएस) पर छः दिवसीय 'अल्पावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम' का उद्घाटन विभिन्न महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों, गैर सरकारी संगठनों, यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय से पधारे अध्येताओं, शिक्षाविदों एवं विषय विशेषज्ञों की उपस्थिति में यूजीसी-एचआरडीसी, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के 'मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र' के सभागार में संपन्न हुआ।
इस अल्पावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन नई शिक्षा नीति 2020 के संकल्पों और उद्देश्यों को आत्मसात कर भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा (इंडियन नॉलेज सिस्टम) को शिक्षा के हर स्तर पर पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाना है। इस हेतु यूजीसी ने शिक्षा मंत्रालय के आईकेएस डिवीजन के सहयोग से भारतीय पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विषयों के साथ जोड़ने के उद्देश्य से भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित शिक्षाविदों के प्रशिक्षण और अभिविन्यास के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। इसीलिए यूजीसी-एचआरडीसी-बीएचयू के निदेशक प्रो आनंद वर्धन शर्मा के नेतृत्व में 'मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र' में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों से पधारे 163 शिक्षकों के लिए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन काशी की पावन धरा पर किया गया।
'आईकेएस' पर केंद्रित इस 'एसटीटीपी' के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा का विधिवत उपयोग करते हुए यूजीसी द्वारा निर्धारित यूजी/पीजी दिशानिर्देशों के तहत शैक्षणिक वर्ष 2023-2024 से मूलभूत आईकेएस पाठ्यक्रमों को पढ़ाया जाना है, जिसके लिए देशभर से लगभग एक हजार शिक्षकों को प्रशिक्षित करने का प्रयास चल रहा है। यह प्रयास हमें ऋग्वेद के एक महत्वपूर्ण श्लोक की याद दिलाता है— "भद्रायं सुमतौ यतेम (ऋग्वेद 6.1.10)" अर्थात - "हम लोग आपका शोभन अनुग्रह प्राप्त करने के लिए यत्न करते हैं।" यानि कि आइए हम उस ज्ञान को उपलब्ध हों जिसमें हम सबका कल्याण निहित हो।
उद्घाटन सत्र में प्रो अरुण कुमार सिंह (कुलसचिव, बीएचयू), श्री अनुराग देशपांडे और श्री श्रीराम (आईकेएस डिवीजन के कार्यसेवक), प्रो आनंद वर्धन शर्मा (निदेशक, यूजीसी-एचआरडीसी-बीएचयू) और डॉ माला कपाड़िया (अनादि फाउंडेशन में ट्रांस-डिसिप्लिनरी रिसर्च इनिशिएटिव्स की निदेशक) विशेष रूप से उपस्थित रहे। इस अवसर पर अपने बीज वक्तव्य में प्रो अरुण कुमार सिंह ने राष्ट्र-निर्माण में भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्व को रेखांकित किया; जबकि प्रो आनंद शर्मा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। अंग्रेजी विभाग (बीएचयू) की सह-आचार्य डॉ आरती निर्मल ने कार्यक्रम का कुशल संचालन कर पाँच राज्यों से पधारे प्रशिक्षुओं का उत्साहवर्धन किया।
कुल पंद्रह सत्र— 'आईकेएस-1 : एक अवलोकन' (श्री विनायक भट्ट), 'आईकेएस-2 : एक अवलोकन' (आचार्य श्रेयस कुरहेकर), 'आईकेएस-3 : एक अवलोकन' (डॉ राम शर्मा), 'आईकेएस- 4 : एक अवलोकन' (श्री वेंकटराघवन आर), 'आईकेएस-5 : एक अवलोकन' (डॉ. तुलसी कुमार जोशी), 'अभिनव शिक्षणकला-1' (डॉ. भरत दास), 'नवोन्वेषी शिक्षणकला-2' (श्री अनुराग देशपांडे), 'नवोन्वेषी शिक्षणकला-3' (डॉ. माला कपाड़िया), 'नवोन्वेषी शिक्षणकला-4' (श्री अमन गोपाल), 'केस स्टडी-1 : प्राचीन वनस्पति विज्ञान' (डॉ. सुब्रमण्य कुमार), 'केस स्टडी-2 : गणित' (डॉ वेंकटेश्वर पाई), 'केस स्टडी-3 : रसायन विज्ञान' (प्रो वी रामनाथन), 'केस स्टडी-4: अर्थशास्त्र' (डॉ. जीवन राजपुरोहित), 'केस स्टडी-5: 'अंतर-सभ्यतागत प्रभाव' (श्री राघव कृष्ण) और 'टीम प्रेजेंटेशन' आयोजित किए गए। उक्त कार्यक्रम के दौरान सक्रिय सहभागिता करते हुए 163 प्रतिभागियों के चार समूहों (आचार्य नागार्जुन, आचार्य सुश्रुत, महावीराचार्य, आचार्य कणाद) ने सुयोग्य वक्ताओं को बड़े धैर्य और आदर से सुना और समझा और अपनी बौद्धिक एवं मानसिक सक्रियता का परिचय भी दिया।
शनिवार की सुबह आयोजित लिखित परीक्षा के बाद समापन सत्र में बीएचयू के बहु-प्रतिभाशाली वित्त अधिकारी डॉ. अभय कुमार ठाकुर, युवा और ऊर्जावान सचिव (यूजीसी) प्रो मनीष आर. जोशी और बहुभाषी प्रो के. रामासुब्रमण्यम ने अपने उद्बोधनों से कार्यक्रम को ऊंचाइयाँ प्रदान कीं। कार्यक्रम के सफल आयोजन में आयोजक टीम के ऊर्जावान और मिलनसार सदस्यों का विशेष योगदान रहा, जिसमें विशेष रूप से प्रो आनंद वर्धन शर्मा, डॉ आरती निर्मल, डॉ हरीश कुमार, श्री महेश और श्री अनिल सहित क्षमा दुबे, सुनीता कुमारी, अंकी पटेल, रोहिणी दुबे और संकेत जी की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है।
प्रशिक्षुओं की प्रतिक्रियाएँ
1. "भारतीय ज्ञान परंपरा को समृद्ध करने वाला यह आयोजन निश्चित ही सराहनीय है" — स्वामी विद्याप्रदानंद, उ.प्र.
2. "आज देश को ऐसे कार्यक्रमों की बहुत आवश्यकता है" — डॉ. पथिक रॉय, पश्चिम बंगाल
3. “वैदिक साहित्य आज भी तर्क की कसौटी पर उतना ही खरा है, जितना वैदिक युग में रचे जाने के समय था।” — डॉ. श्रद्धांजलि सिंह, पश्चिम बंगाल
4. "इस प्रशिक्षण को पूरा करना अच्छा लग रहा है" — डॉ. अनुज राज, उत्तर प्रदेश .
5. "इस कार्यक्रम में पढ़ते-लिखते और सकारात्मक बातचीत करते हुए छह दिन बीत गए, पता ही नहीं चला" — डॉ सुरजोदय भट्टाचार्य, उत्तर प्रदेश
6. "इस प्रशिक्षण से हमारे गौरवशाली अतीत को वर्तमान से जोड़ते हुए जीवन बदलने वाले संदेश प्राप्त हुए" — डॉ. सीमा पटेल, बिहार
7. "यह कार्यक्रम अद्भुत रहा" — डॉ. स्वाति एस. मिश्रा, उत्तर प्रदेश
8. "इन छः दिनों के दौरान इस कार्यक्रम में आईकेएस के महत्वपूर्ण विषयों को प्रस्तुत किया गया" — डॉ राज कुमार शर्मा, झारखंड
9. "यह प्रशिक्षण शिक्षकों और छात्रों के सांस्कृतिक विकास में मदद करेगा" — डॉ. सुभाष चंद्र पाटी, ओडिशा
10. "मैंने यूजीसी-एचआरडीसी, बीएचयू द्वारा आयोजित इन बौद्धिक गतिविधियों का भरपूर आनंद लिया" — डॉ. लुंडुप भूटिया, पश्चिम बंगाल
11. "यह प्रशिक्षण कार्यक्रम वर्तमान परिदृश्य में भारतीय ज्ञान परंपरा की रचनात्मक प्रामाणिकता, प्रासंगिकता और व्यावहारिकता पर व्यवस्थित रूप से प्रकाश डालता है" — डॉ. अवनीश सिंह चौहान
समाचार प्रस्तुति: अवनीश चौहान एवं श्रद्धांजलि सिंह
Short Term Training Programme on Indian Knowledge System, Malaviya Center for Ethics and Human Values, UGC-HRDC, Banaras Hindu University (BHU).
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IKS ke prachar v prasar ke liye es prakar ke karykrem ki aavashkta h
जवाब देंहटाएंJay Ganesh 🙏
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