बरेली : भगवान धन्वन्तरि और अमृत कलश की कथा ‘श्रीमद्भागवत महापुराण’ में बहुत चर्चित है। कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र-मंन्थन के समय भगवान धन्वन्तरि का प्राकट्य हुआ था। प्राकट्य के समय वे अपने हाथों में अमृत कलश लिए हुए थे। अतः उस दिन से इस तिथि को 'धनतेरस' या 'धनत्रयोदशी' के नाम से जाना जाने लगा है। इस 'धन्य तेरस' या 'धनतेरस' के उपलक्ष्य में 'बीआईयू कॉलेज ऑफ़ ह्यूमनिटीज एण्ड जर्नलिज्म' एवं 'बीआईयू कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट' (बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी) में संयुक्त रूप से रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया।
रंगोली प्रतियोगिता
दोनों महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने प्रकाशपर्व दीपावली को केंद्र में रखकर रंगों के माध्यम से आकर्षक रंगोली बनाई और अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इस प्रतियोगिता में बी.कॉम (ऑनर्स) व बीबीए (फाइनेंस एण्ड टेक्सेशन) के विद्यार्थियों— अक्षिता पाण्डेय, रूबी नूर, ज़मज़म फातमा लुत्फी, निमरा खान, प्रियांशी गुप्ता, हर्षित पटेल, अनिरुद्ध सिंह, आयुष कुमार व विकास पटेल के समूह को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ, जबकि बीए (मास कम्युनिकेशन) के छात्र-छात्राओं— बरषानी गुप्ता, युसरा ज़ैदी, यांका गंगवार, सलोनी गुप्ता व नैतिक वर्मा के समूह को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ।
जागरूकता सन्देश
इस प्रतियोगिता के माध्यम से छात्र-छात्राओं ने उत्सवधर्मिता और आगामी प्रकाशपर्व के उल्लास को जीवंत बनाये रखने का सन्देश दिया। कई प्रतिभागी विद्यार्थियों ने इस प्रतियोगिता में सेल्फी लेकर और संदेशपरक वीडियो क्लिप बनाकर इन्हें सोशल मीडिया में भी शेयर किया है।
मुक्तकंठ से प्रशंसा
कार्यक्रम के सफल आयोजन पर बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की माननीया कुलपति डॉ लता अग्रवाल, कुलसचिव डॉ एस के ठाकुर और दोनों महाविद्यालयों के प्राचार्य/ डीन डॉ अवनीश सिंह चौहान ने कोर्डिनेटर अतुल बाबू, शिवानी सक्सेना, मोनिका सहित सभी प्रतिभागी छात्र-छात्राओं की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। फोटोग्राफी का कार्य प्रवीण कुमार ने किया।
समाचार प्रस्तुति :
'वंदे ब्रज वसुंधरा' सूक्ति को आत्मसात कर जीवन जीने वाले वृंदावनवासी डॉ अवनीश सिंह चौहान (जन्म 4 जून, 1979) का नाम वेब पर हिंदी नवगीत की स्थापना करने वालों में शुमार है। वर्तमान में वे बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, बरेली के मानविकी एवं पत्रकारिता महाविद्यालय में प्रोफेसर और प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं।
Rangoli Making Competition on Dhanteras in BIUCHJ &BIUCM
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