पूर्वाभास (www.poorvabhas.in) पर आपका हार्दिक स्वागत है। 11 अक्टूबर 2010 को वरद चतुर्थी/ ललित पंचमी की पावन तिथि पर साहित्य, कला एवं संस्कृति की पत्रिका— पूर्वाभास की यात्रा इंटरनेट पर प्रारम्भ हुई थी। 2012 में पूर्वाभास को मिशीगन-अमेरिका स्थित 'द थिंक क्लब' द्वारा 'बुक ऑफ़ द यीअर अवार्ड' प्रदान किया गया। इस हेतु सुधी पाठकों और साथी रचनाकारों का ह्रदय से आभार।

शनिवार, 15 जून 2024

नवगीत संग्रह — "टुकड़ा कागज़ का" का तृतीय संस्करण


"अवनीश चौहान के सृजन में लघु में विराट की यात्रा के संकेत हैं, जहाँ उनकी काल्पनिक, भावुक और नैसर्गिक शक्तियों का, यथार्थ के परिप्रेक्ष्य में समाजीकरण हुआ है। कहना चाहूँगा कि शक्ति का विलय (‘राम की शक्ति पूजा’ आदि के संदर्भ में) महाशक्ति में होना ही निराला का महाप्राण होना है। यहाँ ‘टुकड़ा कागज का’ अन्ततः मिट्टी में गुड़कर महाशक्ति में एक लय हो विलीन हो जाता है। इसी प्रकार कवि के कुछ गीतों में ‘दूब’ और ‘तिनका’ जैसी अति सामान्य चीजें असामान्य बनकर विराट बिम्ब का सृजन करती हैं।" 
वीरेंन्द्र आस्तिक,  वरिष्ठ कवि व आलोचक

पुस्तक: टुकड़ा कागज़ का (नवगीत-संग्रह) 
ISBN: 978-93553-693-90
कवि: अवनीश सिंह चौहान 
प्रकाशन वर्ष : 2013, 2014, 2024
संस्करण : तृतीय (पेपरबैक) 
पृष्ठ : 116
मूल्य: रुo 199/-
प्रकाशक: बोधि प्रकाशन, जयपुर
फोन : 0141-2503989, 09829018087

Available at AMAZON: CLICK LINK



समाचार प्रस्तुति :
ओम चौहान सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ बिहार में बीएएलएलबी  पाठ्यक्रम के छात्र हैं। 

Tukda Kagaz Ka (Hindi Lyrics)

3 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ अवनीश सिंह चौहान जी की प्रखर दृष्टि प्रकृति की अति सूक्ष्म वस्तु के बेहद बारीक कणों तक जाती है। उनका सही विश्लेषण करके उन्हें काव्य के रूप में चित्रित करने की अद्भुत क्षमता उनमें है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण उनकी पुस्तक "टुकड़ा काग़ज़ का" में मिलता है। मैं डॉ चौहान को हार्दिक बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि भविष्य में उनकी और भी कृतियाँ हिन्दी तथा अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में उत्तम स्थान पायेंगी।

    -- ओंकार सिंह 'ओंकार', मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)

    जवाब देंहटाएं
  2. साहित्यिक जीवन में कभी-कभी
    विचारों में सत्य उतर आता है। और सत्य भाषा में युगों-युगों तक के लिए अमर हो जाता है। भूमिका का यह अंश कुछ इसी तरह का है। संज्ञान में लाने के लिए आप को अनेक आशीष...
    -- वीरेंद्र आस्तिक, कानपुर

    जवाब देंहटाएं
  3. टुकड़ा काग़ज़ का
    ...
    "अवनीश सिंह चौहान एक प्रतिबद्ध नवगीतकार हैं। भारतीय ग्राम्य परिवेश, प्रकृति और मानवता के प्रति गहरी गीतात्मक अनुभूति के धनी इस कवि के पास अनुभव और दृष्टि के साथ लयात्मकता का वह अजस्त्र स्रोत है, जो देखे हुए यथार्थ को नए रूपों में प्रस्तुत करता है। सघन सामाजिकता के साथ शब्द और लय की विरल संगति वाले इस कवि को मेरी सहस्त्र शुभकामनाएँ।"

    -- अनिल जनविजय, मास्को

    Keep reading:
    https://www.poorvabhas.in/2024/06/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं

आपकी प्रतिक्रियाएँ हमारा संबल: