पुरस्कृत कृति : 'एक अकेला पहिया' (नवगीत-संग्रह), कवि : अवनीश सिंह चौहान, प्रकाशक: प्रकाश बुक डिपो, बरेली, उ.प्र. (फोन: 0581-3560114), प्रकाशन वर्ष : 2024 (पेपरबैक), पृष्ठ : 112, मूल्य : रु. 250/-, ISBN: 978-93-91984-75-5, वेब लिंक : https://amzn.in/d/0QjUGH6
बरेली। संस्कारधानी, जबलपुर (म.प्र.) की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रियाशील साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था 'कादम्बरी' द्वारा द्विभाषी साहित्यकार व संपादक डॉ अवनीश सिंह चौहान को उनके नवगीत संग्रह— "एक अकेला पहिया" (प्रकाश बुक डिपो, बरेली, 2024) के लिए 'राधिका प्रसाद पाठक सम्मान' से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है।
बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, बरेली के मानविकी एवं पत्रकारिता महाविद्यालय में आचार्य (अंग्रेजी) और प्राचार्य के पद पर कार्यरत कवि, आलोचक, अनुवादक डॉ अवनीश सिंह चौहान (Dr Abnish Singh Chauhan) हिंदी भाषा एवं साहित्य की वेब पत्रिका— 'पूर्वाभास' और अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य की अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका— 'क्रिएशन एण्ड क्रिटिसिज्म' के संपादक हैं। 'समकालीन नवगीत संचयन'', 'शब्दायन', 'गीत वसुधा', 'सहयात्री समय के', 'समकालीन गीत कोश', 'नयी सदी के गीत', 'गीत प्रसंग' 'नयी सदी के नये गीत', 'समकालीन नवगीत संचयन' (भाग 1), 'कालजयी प्रेमगीत' आदि समवेत संकलनों में आपके नवगीत और मेरी शाइन द्वारा सम्पादित अंग्रेजी कविता संग्रह— 'ए स्ट्रिंग ऑफ़ वर्ड्स' एवं डॉ चारुशील एवं डॉ बिनोद मिश्रा द्वारा सम्पादित अंग्रेजी कविताओं का संकलन— 'एक्जाइल्ड अमंग नेटिव्स' में आपकी रचनाएं संकलित की जा चुकी हैं। पिछले बीस वर्ष से आपकी आधा दर्जन से अधिक अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य पर केंद्रित पुस्तकें कई विश्वविद्यालयों में पढ़ी-पढाई जा रही हैं। आपके नवगीत संग्रह— 'टुकड़ा कागज़ का' (2013, 2014, 2024) व 'एक अकेला पहिया' (2024) साहित्य समाज में बहुत सराहे गए हैं। 'नये-पुराने' पत्रिका (संपादक - दिनेश सिंह) के सहयोगी संपादक के रूप में साहित्यिक पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले इस इस रचनाकार ने 'बुद्धिनाथ मिश्र की रचनाधर्मिता' एवं 'नवगीत वाङ्मय' का बेहतरीन संपादन किया है। 'नवगीत : संवादों के सारांश' (साक्षात्कार संग्रह) नवगीत के समर्पित शब्द-साधकों से हुए संवादों पर केंद्रित आपकी महत्वपूर्ण पुस्तक है। 'वंदे ब्रज वसुंधरा' सूक्ति को आत्मसात कर जीवन जीने वाले वृन्दावनवासी इस रचनाकार को 'अंतर्राष्ट्रीय कविता कोश सम्मान', मिशीगन- अमेरिका से 'बुक ऑफ़ द ईयर अवार्ड', राष्ट्रीय समाचार पत्र 'राजस्थान पत्रिका' का 'सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार', अभिव्यक्ति विश्वम् (अभिव्यक्ति एवं अनुभूति वेब पत्रिकाएं) का 'नवांकुर पुरस्कार', उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान- लखनऊ का 'हरिवंशराय बच्चन युवा गीतकार सम्मान' आदि से अलंकृत किया जा चुका है।
'कादम्बरी' संस्था द्वारा आयोजित किये जाने वाले इस साहित्यकार/ पत्रकार सम्मान समारोह हेतु पाँच सदस्यीय चयन समिति का गठन किया गया था। इस समिति द्वारा दी गयी संस्तुति के आधार पर चयनित पुस्तकों पर लगभग तीन लाख रुपये के नकद पुरस्कार शहीद स्मारक प्रेक्षागृह, जबलपुर में 9 नवम्बर 2024 को प्रदान किये जाएंगे। इस समारोह में डॉ. चौहान को अंग वस्त्र, प्रतीक चिह्न व सम्मानजनक धनराशि प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा।
कादम्बरी सम्मान के लिए आपके नाम की घोषणा सुनकर मन प्रसन्न है। इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं 🙏
जवाब देंहटाएं- डॉ शिवमंगल कुमार, दिल्ली विश्वविद्यालय
देश की जानी-मानी सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था कादम्बरी (संस्कारधानी जबलपुर, म.प्र.) द्वारा अकूत प्रतिभा के धनी एवं बरेली इंटरनेशनल वि.वि. से संबद्ध महाविद्यालय में प्राचार्य के पद को सुशोभित करने वाले डाॅ. अवनीश सिंह चौहान की सद्य: प्रकाशित नवगीत-कृति 'एक अकेला पहिया' को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया गया है, जो मेरे लिए अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है।हिन्दी और अंग्रेजी दोनो भाषाओं में डॉ.चौहान का लेखन विश्व-स्तर पर समादृत है। विगत वर्षों में वे कयी सम्मानों से सम्मानित हो चुके हैं। कादम्बरी संस्था द्वारा सम्मानित होने पर मैं उन्हें बहुत बहुत बधाई देता हूॅ।
जवाब देंहटाएं-- वीरेन्द्र आस्तिक, कानपुर
अवनीश सिंह चौहान जी छल-छद्म से दूर अपनी तरह से काम करने वाले एक बेहतरीन इन्सान हैं, बेहद सहज, सरल एवम् सौम्य।
जवाब देंहटाएंबेशक वह विद्वान हैं, लेकिन उसका राग नहीं अलापते। अपनी धुन में रमे / बसे ऐसे साहित्यकारों की उपस्थिति आज उँगलियों पर गिनने लायक ही रह गई है।
उन्हें इस संग्रह पर "कन्दील" की तरफ से हार्दिक शुभकामना।
-- अनामिका सिंह
गीत यानि छंद । छंद यानी , प्रकृति - जीवन का प्रवाह। योगेन्द्र जी ने नवगीत की पैंसठ वर्षीय यात्रा का उल्लेख किया । पैंसठ वर्ष पूर्व ही भारतीयता के दुश्मनों ने गीत मर गया , छंद अप्रासंगिक हो गया के फतवे जारी किए थे । आज वे फतवेकार खुद मर गए । किंतु गीत , नवगीत के रूप में जिंदा ही नहीं बल्कि कविता का केंद्रीय तत्व बनकर समाज को प्राणवान बनाए हुए है । गीत विरोधी सुविधाभोगी गिरोह से गीत की अस्मिता बचाए रखने के लिए कितने लोगों ने नवगीत के रास्ते अपना बलिदान किया , यह शोध का विषय है । पूर्ववर्ती समस्त नवगीतकार स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों से कम नहीं हैं । अवनीश जी के नवगीतों को जानने समझने वाले तो बहुत होंगे । किंतु अवनीश जी ने लकवाग्रस्त स्थिति में पड़े स्मृतिशेष दिनेश सिंह जी से जो शिष्यत्व ग्रहण किया और उनकी नवगीत पत्रिका नए पुराने के प्रकाशन में दिनेश सिंह जी की सेवा करते हुए जो पाठ पढ़ा है , वही उनके नवगीतों में प्रगट होता है । कालबोध से अवगत आपके नवगीत वंचित वर्ग के , हाशिए में पड़े जन के जिजीविषा भरे स्वर हैं । इन नववगीत से जुड़ने के लिए योगेन्द्र जी एवं कंदील को साधुवाद ।
जवाब देंहटाएं-- राजेंद्र सिंह ठाकुर, कटनी
नवगीत की दुनिया के इस समय आप बड़े हस्ताक्षर है, मुझे लगता है कि आप पर मां-बाप का अपार स्नेह व मां सरस्वती का आशीर्वाद है, बड़े भइया (स्व दिनेश सिंह, रायबरेली) आज होते तो उन्हें बड़ा गर्व होता। सम्मान की तो लाइन लगने लगी है, बहुत-बहुत बधाई हो डॉ साहब.
जवाब देंहटाएं-- राजेंद्र राजन (रैज्जू भैया), लखनऊ
कादम्बरी संस्था द्वारा प्रदत्त राधिका प्रसाद सम्मान हेतु हार्दिक बधाई सर
जवाब देंहटाएं-गरिमा सक्सेना